गायत्री चालीसा: (Gayatri Chalisa) माँ गायत्री की कृपा पाने का दिव्य स्रोत! पढ़ें पूरा विवर

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गायत्री चालीसा: (Gayatri Chalisa) माँ गायत्री की कृपा पाने का दिव्य स्रोत! पढ़ें पूरा विवर


गायत्री चालीसा: (Gayatri Chalisa) माँ गायत्री की कृपा पाने का दिव्य स्रोत! पढ़ें पूरा विवर


गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) – माँ गायत्री के उपासकों के लिए

गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) हिंदू धर्म में माँ गायत्री की स्तुति करने का एक प्रभावी माध्यम है। यह चालीस चौपाइयों में विभाजित एक पवित्र ग्रंथ है, जिसमें माँ गायत्री की महिमा, उनकी शक्ति, और उनकी कृपा का विस्तार से वर्णन किया गया है। माँ गायत्री को संस्कृत में वेदमाता कहा जाता है, क्योंकि वेदों की ज्ञानस्वरूपिणी देवी मानी जाती हैं।

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गायत्री चालीसा: (Gayatri Chalisa) माँ गायत्री की कृपा पाने का दिव्य स्रोत! पढ़ें पूरा विवरगायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) – माँ गायत्री के उपासकों के लिएगायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का महत्वगायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa)गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ करने के लाभगायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का सही विधि से पाठ कैसे करें?गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) पाठ का सर्वश्रेष्ठ समयगायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) की शक्ति और वैज्ञानिक दृष्टिकोणगायत्री चालीसा से जुड़े सबसे पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)1. गायत्री चालीसा क्या है?2. गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ करने से क्या लाभ होता है?3. गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) कब पढ़नी चाहिए?4. गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ कितनी बार करना चाहिए?5. क्या गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) पाठ करने के लिए किसी विशेष नियम का पालन करना चाहिए?6. गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) और गायत्री मंत्र में क्या अंतर है?7. गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) पाठ से कौन-कौन से कष्ट दूर होते हैं?8. क्या गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ महिलाएँ कर सकती हैं?9. क्या गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) किसी विशेष आसन पर बैठकर पढ़ना चाहिए?10. क्या गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ रात में किया जा सकता है?11. क्या गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) को बिना स्नान किए पढ़ सकते हैं?12. क्या बीमार व्यक्तिगायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ कर सकता है?13. क्या गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) से आर्थिक समस्याएँ दूर हो सकती हैं?14. क्या घर में रोज़गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ करने से लाभ होता है?15. क्या विद्यार्थी गायत्री चालीसा पढ़ सकते हैं?

गायत्री मंत्र के उच्चारण से मिलने वाले आध्यात्मिक लाभ असीम होते हैं, लेकिन जब इसे चालीसा के रूप में गाया जाता है, तो यह एक विशेष ऊर्जा उत्पन्न करता है। गायत्री चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को सुख, शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह बुद्धि को तेज करने, मन को शुद्ध करने और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ाने का एक अत्यंत प्रभावशाली साधन है।

आइए इस महान चालीसा का महत्त्व, लाभ, और सही विधि से पाठ करने की जानकारी प्राप्त करें।


गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का महत्व

गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) केवल एक भक्ति पाठ नहीं है, बल्कि यह अध्यात्म, ज्ञान, और शक्ति का एक अमूल्य स्रोत है। माँ गायत्री को तीनों लोकों की माता कहा जाता है, क्योंकि वे सभी प्रकार की ऊर्जा और ज्ञान की देवी हैं।

गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर कर सकारात्मकता बढ़ाने में सहायक है। गायत्री माँ की कृपा से सभी बाधाएँ दूर होती हैं, और साधक को ज्ञान, बुद्धि, और सफलता प्राप्त होती है।

यह चालीसा घर, मंदिर, या किसी भी पवित्र स्थान पर पढ़ी जा सकती है। इसे प्रातःकाल या संध्या के समय पढ़ना विशेष फलदायी माना जाता है। अगर कोई संकट में है या दुर्भाग्य का सामना कर रहा है, तो गायत्री चालीसा का नियमित जाप उसे हर परेशानी से बचा सकता है।

गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa)

गायत्री चालीसा
(Gayatri Chalisa)

॥ दोहा ॥

हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड ।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥
जगत जननि, मंगल करनि, गायत्री सुखधाम ।
प्रणवों सावित्री, स्वधा, स्वाहा पूरन काम ॥
॥ चालीसा ॥
भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी ।
गायत्री नित कलिमल दहनी ॥१॥

अक्षर चौबिस परम पुनीता ।
इनमें बसें शास्त्र, श्रुति, गीता ॥

शाश्वत सतोगुणी सतरुपा ।
सत्य सनातन सुधा अनूपा ॥

हंसारुढ़ सितम्बर धारी ।
स्वर्णकांति शुचि गगन बिहारी ॥४॥

पुस्तक पुष्प कमंडलु माला ।
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ॥

ध्यान धरत पुलकित हिय होई ।
सुख उपजत, दुःख दुरमति खोई ॥

कामधेनु तुम सुर तरु छाया ।
निराकार की अदभुत माया ॥

तुम्हरी शरण गहै जो कोई ।
तरै सकल संकट सों सोई ॥८॥

सरस्वती लक्ष्मी तुम काली ।
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ॥

तुम्हरी महिमा पारन पावें ।
जो शारद शत मुख गुण गावें ॥

चार वेद की मातु पुनीता ।
तुम ब्रहमाणी गौरी सीता ॥

महामंत्र जितने जग माहीं ।
कोऊ गायत्री सम नाहीं ॥१२॥

सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै ।
आलस पाप अविघा नासै ॥

सृष्टि बीज जग जननि भवानी ।
काल रात्रि वरदा कल्यानी ॥

ब्रहमा विष्णु रुद्र सुर जेते ।
तुम सों पावें सुरता तेते ॥

तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे ।
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ॥१६॥

महिमा अपरम्पार तुम्हारी ।
जै जै जै त्रिपदा भय हारी ॥

पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना ।
तुम सम अधिक न जग में आना ॥

तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा ।
तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेषा ॥

जानत तुमहिं, तुमहिं है जाई ।
पारस परसि कुधातु सुहाई ॥२०॥

तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई ।
माता तुम सब ठौर समाई ॥

ग्रह नक्षत्र ब्रहमाण्ड घनेरे ।
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ॥

सकलसृष्टि की प्राण विधाता ।
पालक पोषक नाशक त्राता ॥

मातेश्वरी दया व्रत धारी ।
तुम सन तरे पतकी भारी ॥२४॥

जापर कृपा तुम्हारी होई ।
तापर कृपा करें सब कोई ॥

मंद बुद्घि ते बुधि बल पावें ।
रोगी रोग रहित है जावें ॥

दारिद मिटै कटै सब पीरा ।
नाशै दुःख हरै भव भीरा ॥

गृह कलेश चित चिंता भारी ।
नासै गायत्री भय हारी ॥२८ ॥

संतिति हीन सुसंतति पावें ।
सुख संपत्ति युत मोद मनावें ॥

भूत पिशाच सबै भय खावें ।
यम के दूत निकट नहिं आवें ॥

जो सधवा सुमिरें चित लाई ।
अछत सुहाग सदा सुखदाई ॥

घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी ।
विधवा रहें सत्य व्रत धारी ॥३२॥

जयति जयति जगदम्ब भवानी ।
तुम सम और दयालु न दानी ॥

जो सदगुरु सों दीक्षा पावें ।
सो साधन को सफल बनावें ॥

सुमिरन करें सुरुचि बड़भागी ।
लहैं मनोरथ गृही विरागी ॥

अष्ट सिद्घि नवनिधि की दाता ।
सब समर्थ गायत्री माता ॥३६॥

ऋषि, मुनि, यती, तपस्वी, जोगी ।
आरत, अर्थी, चिंतित, भोगी ॥

जो जो शरण तुम्हारी आवें ।
सो सो मन वांछित फल पावें ॥

बल, बुद्घि, विघा, शील स्वभाऊ ।
धन वैभव यश तेज उछाऊ ॥

सकल बढ़ें उपजे सुख नाना ।
जो यह पाठ करै धरि ध्याना ॥४०॥

॥ दोहा ॥

यह चालीसा भक्तियुत, पाठ करे जो कोय ।
तापर कृपा प्रसन्नता, गायत्री की होय ॥

गायत्री चालीसा: (Gayatri Chalisa) माँ गायत्री की कृपा पाने का दिव्य स्रोत! पढ़ें पूरा विवर
गायत्री चालीसा: (Gayatri Chalisa) माँ गायत्री की कृपा पाने का दिव्य स्रोत! पढ़ें पूरा विवर

गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ करने के लाभ

गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) के पाठ से कई अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं। यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से व्यक्ति को सशक्त बनाता है

  1. बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि: माँ गायत्री को ब्रह्मविद्या की देवी कहा जाता है। चालीसा के पाठ से स्मरण शक्ति तेज होती है और बुद्धि का विकास होता है।
  2. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: इसे पढ़ने से घर और मन की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मकता का संचार होता है।
  3. संकटों से मुक्ति: यदि कोई जीवन में परेशानियों से घिरा है, तो गायत्री चालीसा का पाठ उसे सभी संकटों से उबार सकता है
  4. शांति और मानसिक स्थिरता: इसका पाठ मन को शांत और स्थिर करता है, जिससे व्यक्ति को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
  5. भय और चिंता का नाश: माँ गायत्री की कृपा से डर, चिंता और अवसाद दूर हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति को आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
  6. कर्मों का शुद्धिकरण: गायत्री चालीसा बुरे कर्मों का नाश कर नए और सात्विक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।

गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का सही विधि से पाठ कैसे करें?

गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।

  1. स्नान करके पवित्र भाव से करें: पाठ करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. शुद्ध स्थान का चयन करें: घर में मंदिर के पास, ध्यान कक्ष या शांत स्थान पर बैठकर पाठ करें।
  3. माँ गायत्री का ध्यान करें: पाठ से पहले गायत्री माँ की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर ध्यान करें।
  4. गायत्री मंत्र का उच्चारण करें: पाठ से पहले गायत्री मंत्र का 3, 9 या 108 बार जाप करें।
  5. एकाग्र मन से पढ़ें: पाठ को एकाग्र मन और श्रद्धा से करें, जिससे आध्यात्मिक ऊर्जा अधिक प्राप्त होगी।
  6. संख्या का पालन करें: इसे रोजाना 1, 3, 5 या 11 बार पढ़ने का संकल्प लें।
  7. शुद्धता और नियमों का पालन करें: पाठ के दौरान गलत शब्दों का उच्चारण न करें और इसे पूरे भक्ति भाव से पढ़ें

गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) पाठ का सर्वश्रेष्ठ समय

गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन कुछ समय इसे पढ़ने के लिए विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं:

  • ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे): इस समय पाठ करने से तीव्र आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • सूर्यास्त के समय: यह समय भी विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि संध्या में गायत्री मंत्र के जप का विशेष महत्व होता है।
  • एकादशी, पूर्णिमा और अमावस्या: इन दिनों पाठ करने से अधिक पुण्य प्राप्त होता है
  • विशेष अवसर जैसे जन्मदिन, विवाह वर्षगांठ, नवरात्रि और गुरु पूर्णिमा: इन दिनों गायत्री चालीसा का पाठ करना विशेष फलदायी होता है।

गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) की शक्ति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

गायत्री मंत्र और चालीसा का वैज्ञानिक प्रभाव भी बहुत गहरा है। जब कोई व्यक्ति गायत्री चालीसा का पाठ करता है, तो उसका मस्तिष्क विशेष कंपन उत्पन्न करता है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है।

  1. मस्तिष्क को ऊर्जा मिलती है: गायत्री चालीसा के उच्चारण से मस्तिष्क की तरंगें संतुलित होती हैं, जिससे ध्यान और स्मरण शक्ति बढ़ती है
  2. तनाव और अवसाद में राहत: वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि गायत्री मंत्र और चालीसा का पाठ करने से कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) का स्तर घटता है।
  3. शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है: नियमित पाठ करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: गायत्री चालीसा के पाठ से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है, जिससे नकारात्मकता दूर होती है।

गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) न केवल एक धार्मिक पाठ है, बल्कि यह जीवन को बदलने वाली शक्ति भी रखता है। इसका नियमित पाठ करने से ज्ञान, बुद्धि, सुख, शांति और सफलता प्राप्त होती है। आध्यात्मिक उन्नति, सकारात्मकता और सभी कष्टों से मुक्ति के लिए यह अद्भुत साधन है।

गायत्री चालीसा से जुड़े सबसे पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. गायत्री चालीसा क्या है?

गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) माँ गायत्री की महिमा का वर्णन करने वाला एक भक्ति पाठ है, जिसमें 40 चौपाइयों के माध्यम से उनकी कृपा, शक्तियाँ और उपासना का विवरण दिया गया है।

2. गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ करने से क्या लाभ होता है?

इसका नियमित पाठ करने से बुद्धि तेज होती है, नकारात्मकता दूर होती है, मानसिक शांति मिलती है और संकटों से मुक्ति मिलती है

3. गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) कब पढ़नी चाहिए?

इसे प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में या संध्या के समय पढ़ना विशेष फलदायी माना जाता है। एकादशी, पूर्णिमा और नवरात्रि में इसका पाठ करने से अधिक लाभ मिलता है।

4. गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ कितनी बार करना चाहिए?

इसे रोज़ 1, 3, 5, 7 या 11 बार पढ़ सकते हैं। विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए 40 दिनों तक लगातार पढ़ना शुभ माना जाता है।

5. क्या गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) पाठ करने के लिए किसी विशेष नियम का पालन करना चाहिए?

हाँ, इसे स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनकर, एकाग्र मन से, शांत स्थान पर बैठकर पढ़ना चाहिए। गलत उच्चारण से बचना चाहिए और पाठ से पहले गायत्री मंत्र का जप करना उत्तम माना जाता है।

6. गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) और गायत्री मंत्र में क्या अंतर है?

गायत्री मंत्र 24 अक्षरों का एक पवित्र मंत्र है, जबकि गायत्री चालीसा में 40 चौपाइयाँ होती हैं, जो माँ गायत्री की महिमा का विस्तार से वर्णन करती हैं।

7. गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) पाठ से कौन-कौन से कष्ट दूर होते हैं?

यह आर्थिक तंगी, मानसिक तनाव, शत्रु बाधा, रोग, भय और असफलता को दूर करता है। इससे घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

8. क्या गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ महिलाएँ कर सकती हैं?

हाँ, महिलाएँ और पुरुष दोनों इसे पढ़ सकते हैं। माँ गायत्री सभी के लिए समान रूप से करुणामयी हैं।

9. क्या गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) किसी विशेष आसन पर बैठकर पढ़ना चाहिए?

हाँ, कुशासन, ऊन का आसन या सूती आसन पर बैठकर पढ़ना उत्तम होता है। इससे ऊर्जा संतुलित रहती है और एकाग्रता बनी रहती है।

10. क्या गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ रात में किया जा सकता है?

हाँ, लेकिन इसे दिन में पढ़ना अधिक शुभ माना जाता है। यदि रात में पढ़ना हो तो शुद्धता और ध्यान का विशेष ध्यान रखें

11. क्या गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) को बिना स्नान किए पढ़ सकते हैं?

संभव हो तो स्नान करके ही पढ़ें, लेकिन यदि किसी कारण स्नान संभव न हो, तो हाथ-मुँह धोकर और शुद्ध मन से इसका पाठ किया जा सकता है।

12. क्या बीमार व्यक्तिगायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ कर सकता है?

हाँ, बीमार व्यक्ति बिस्तर पर लेटे-लेटे भी मन में पाठ कर सकता है। इससे स्वास्थ्य लाभ और चिकित्सा में सुधार होता है।

13. क्या गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) से आर्थिक समस्याएँ दूर हो सकती हैं?

हाँ, इसका नियमित पाठ करने से दरिद्रता दूर होती है और आर्थिक उन्नति के मार्ग खुलते हैं

14. क्या घर में रोज़गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ करने से लाभ होता है?

बिल्कुल! घर में रोज़गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) पढ़ने से सकारात्मक ऊर्जा आती है, घर की नकारात्मकता खत्म होती है और सुख-शांति बनी रहती है

15. क्या विद्यार्थी गायत्री चालीसा पढ़ सकते हैं?

हाँ, विद्यार्थियों के लिए गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) अत्यंत लाभकारी है। इससे स्मरण शक्ति, बुद्धि और एकाग्रता बढ़ती है, जिससे वे पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।

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