“गणेश जी की आरती: (Ganesh Ji Ki Aarti) चमत्कारी महत्व, विधि और लाभ”

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गणेश जी की आरती: (Ganesh Ji Ki Aarti) चमत्कारी महत्व, विधि और लाभ

“गणेश जी की आरती: (Ganesh Ji Ki Aarti) चमत्कारी महत्व, विधि और लाभ”

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) हिंदू धर्म में पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे भगवान गणेश की प्रसन्नता और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गाया जाता है। गणेश जी को “विघ्नहर्ता” और “सिद्धिदाता” कहा जाता है, और उनकी पूजा के बिना कोई भी धार्मिक अनुष्ठान अधूरा माना जाता है। इस लेख में, हम गणेश जी की आरती का महत्व, इसकी विधि, लाभ और इससे जुड़ी प्रमुख बातों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

Contents
“गणेश जी की आरती: (Ganesh Ji Ki Aarti) चमत्कारी महत्व, विधि और लाभ”गणेश जीआरती का महत्वगणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) का इतिहासगणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) का पाठगणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) की विधिआरती करने का समय और स्थानआरती के दौरान ध्यान देने योग्य बातेंगणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) के लाभगणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) से जुड़ी कहानियांगणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) और भजन का महत्वआधुनिक समय में गणेश जी की आरतीगणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) का महत्व बच्चों के लिएगणेश चतुर्थी और आरतीगणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) का वैज्ञानिक महत्वगणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) का आध्यात्मिक महत्वगणेश जी की आरती का सरल स्वरूपगणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) आत्मिक सुख का साधनगणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)1. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) का क्या महत्व है?2.गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) कौन-सी है?3. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) कब करनी चाहिए?4. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)में कौन-कौन से मंत्र शामिल होते हैं?5. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) करने के लिए कौन-सा दीपक इस्तेमाल करना चाहिए?6. आरती गाने के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?7. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) कितनी बार करनी चाहिए?8. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) कौन गा सकता है?9. क्या गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) अकेले गाई जा सकती है?10. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) में कौन-कौन से प्रसाद चढ़ाए जाते हैं?11. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) में कौन-से वाद्य यंत्र इस्तेमाल होते हैं?12.गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) कहां गानी चाहिए?13. क्या गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) मोबाइल या म्यूजिक सिस्टम पर सुनी जा सकती है?14. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) से क्या लाभ होता है?15. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) बच्चों को क्यों सिखानी चाहिए?

गणेश जी

भगवान गणेश, जिन्हें “गणपति,” “विनायक,” और “गजानन” के नाम से भी जाना जाता है, शिव और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन मूषक और उनकी चार भुजाएं होती हैं। उनकी पूजा सर्वप्रथम की जाती है, क्योंकि वे सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करते हैं। गणेश जी की आराधना सुख, शांति और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।


आरती का महत्व

आरती हिंदू पूजा पद्धति का एक अभिन्न अंग है। यह भगवान के प्रति भक्ति और सम्मान प्रकट करने का तरीका है। गणेश जी की आरती गाते समय भक्तों को मानसिक शांति, सकारात्मकता और ऊर्जा का अनुभव होता है। आरती के दौरान दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और घर में सकारात्मक वातावरण बनता है।

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)

गणेश जी की आरती
(Ganesh Ji Ki Aarti)

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

गणेश जी की आरती: 
(Ganesh Ji Ki Aarti) चमत्कारी महत्व, विधि और लाभ
गणेश जी की आरती: (Ganesh Ji Ki Aarti) चमत्कारी महत्व, विधि और लाभ!

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) का इतिहास

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) “जय गणेश, जय गणेश देवा” संत तुलसीदास द्वारा रचित मानी जाती है। यह आरती सरल, मधुर और भक्तिमय है। इसे गाते समय भक्त भगवान गणेश से अपने जीवन की समस्याओं का समाधान और आशीर्वाद मांगते हैं।


गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) का पाठ

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) का पाठ इस प्रकार है:

“जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
एकदंत दयावंत, चार भुजाधारी,
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी।”

इस आरती को सुबह और शाम नियमित रूप से गाना शुभ माना जाता है।


गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) की विधि

  1. साफ-सफाई: पूजा स्थल को साफ करें।
  2. दीपक जलाएं: तिल के तेल या घी का दीपक प्रज्वलित करें।
  3. धूप-अगरबत्ती: भगवान गणेश के सामने धूप जलाएं।
  4. पुष्प चढ़ाएं: गणेश जी को लाल फूल अर्पित करें।
  5. आरती करें: आरती गाएं और घुमाएं।
  6. प्रसाद अर्पित करें: भगवान को मोदक या लड्डू चढ़ाएं।

आरती करने का समय और स्थान

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) प्रातःकाल और संध्याकाल में करना सबसे शुभ माना जाता है। इसे मंदिर, घर, या किसी भी पवित्र स्थान पर किया जा सकता है। यह पूजा गणेश चतुर्थी, शुभारंभ, विवाह और अन्य मंगल कार्यों के समय विशेष रूप से की जाती है।


आरती के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

  • आरती गाते समय सच्ची भक्ति और विश्वास होना आवश्यक है।
  • दीपक को सुरक्षित तरीके से घुमाएं।
  • परिवार के सभी सदस्य आरती में भाग लें।
  • आरती के बाद प्रसाद को सभी में बांटें।

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) के लाभ

  1. विघ्नों का नाश: आरती करने से जीवन में आने वाले बाधाएं दूर होती हैं।
  2. मानसिक शांति: आरती गाने से मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
  3. सौभाग्य की प्राप्ति: भगवान गणेश के आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  4. भय का नाश: आरती के समय भक्तों का भय समाप्त होता है।

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) से जुड़ी कहानियां

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) से जुड़ी कई कहानियां प्रसिद्ध हैं। एक कथा के अनुसार, भगवान गणेश ने राजा कुबेर के घमंड को तोड़ा और उन्हें सच्ची भक्ति का महत्व समझाया। आरती के माध्यम से भक्त अपने अहंकार को त्यागकर भगवान के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं।


गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) और भजन का महत्व

आरती के साथ-साथ गणेश जी के भजन गाने का भी विशेष महत्व है। भजन से भक्त ध्यान केंद्रित कर पाते हैं और भगवान के करीब महसूस करते हैं। गणेश चतुर्थी के समय आरती और भजन का सामूहिक गान माहौल को भक्तिमय बनाता है।


आधुनिक समय में गणेश जी की आरती

आजकल गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) को डिजिटल माध्यमों से भी गाया और सुना जाता है। यूट्यूब, म्यूजिक ऐप्स और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर आरती की रिकॉर्डिंग उपलब्ध है। यह तकनीक भक्तों को कहीं भी और कभी भी भगवान गणेश की आराधना करने का अवसर देती है।


गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) का महत्व बच्चों के लिए

बच्चों को बचपन से ही गणेश जी की आरती गाने की आदत डालनी चाहिए। इससे उनमें धर्म और संस्कारों के प्रति प्रेम जागृत होता है। साथ ही, यह उनके जीवन में सकारात्मकता और अनुशासन लाता है।


गणेश चतुर्थी और आरती

गणेश चतुर्थी, भगवान गणेश का प्रमुख त्यौहार है। इस दिन गणेश जी की विशेष पूजा और आरती की जाती है। दस दिनों तक चलने वाले इस पर्व में रोज सुबह और शाम आरती गाने का विधान है।


गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) का वैज्ञानिक महत्व

आरती के दौरान वातावरण में ध्वनि तरंगों का निर्माण होता है, जो मानसिक तनाव को कम करता है। दीपक जलाने से घर का वातावरण शुद्ध होता है। यह प्रक्रिया मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है।


गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) का आध्यात्मिक महत्व

आरती के माध्यम से भक्त अपने अहंकार का त्याग करके भगवान से जुड़ते हैं। यह आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। आरती के समय गाई गई प्रार्थना से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।


गणेश जी की आरती का सरल स्वरूप

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) का पाठ सरल और सहज है। इसे हर उम्र के लोग आसानी से गा सकते हैं। इसका मधुर स्वर भक्तों के मन को शांति और आनंद से भर देता है।


गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) आत्मिक सुख का साधन

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) गाने से आत्मिक शांति और संतोष की अनुभूति होती है। यह भक्तों को उनकी समस्याओं से मुक्त करने और उनके जीवन में खुशियां लाने का साधन है।


गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे जीवन को सकारात्मकता और शांति से भर देती है। इसे नियमित रूप से गाने से मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ होते हैं। जय गणेश, जय गणेश देवा के मधुर शब्दों से भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन को सफल बनाएं।


गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)


1. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) का क्या महत्व है?

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) भगवान गणेश की पूजा का एक महत्वपूर्ण भाग है। यह भक्तों को मानसिक शांति, सकारात्मकता और भगवान के आशीर्वाद का अनुभव कराती है।


2.गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) कौन-सी है?

गणेश जी की सबसे प्रसिद्ध आरती “जय गणेश, जय गणेश देवा” है, जिसे श्रद्धा और भक्ति के साथ गाया जाता है।


3. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) कब करनी चाहिए?

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) प्रातःकाल और संध्याकाल में करना सबसे शुभ माना जाता है। विशेष अवसरों जैसे गणेश चतुर्थी पर इसे जरूर करना चाहिए।


4. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)में कौन-कौन से मंत्र शामिल होते हैं?

आरती में “जय गणेश जय गणेश देवा” के अलावा भगवान गणेश के गुणगान और उनकी स्तुति शामिल होती है।


5. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) करने के लिए कौन-सा दीपक इस्तेमाल करना चाहिए?

घी या तिल के तेल का दीपक सबसे शुभ माना जाता है। इससे वातावरण पवित्र और सकारात्मक होता है।


6. आरती गाने के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

आरती करते समय ध्यान, श्रद्धा और भक्ति का होना जरूरी है। दीपक को सुरक्षित तरीके से घुमाना और परिवार के साथ आरती में भाग लेना महत्वपूर्ण है।


7. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) कितनी बार करनी चाहिए?

सुबह और शाम एक-एक बार आरती करना उचित है। विशेष त्योहारों या पूजा के दौरान आरती को बार-बार गाना शुभ होता है।


8. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) कौन गा सकता है?

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) को कोई भी व्यक्ति गा सकता है। इसे गाने के लिए विशेष नियमों की आवश्यकता नहीं है, केवल सच्ची भक्ति जरूरी है।


9. क्या गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) अकेले गाई जा सकती है?

हां,गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) अकेले भी गाई जा सकती है। लेकिन इसे परिवार या समूह में गाने से अधिक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।


10. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) में कौन-कौन से प्रसाद चढ़ाए जाते हैं?

गणेश जी को मोदक, लड्डू, दूर्वा (घास), और नारियल चढ़ाना शुभ माना जाता है। आरती के बाद प्रसाद सभी में बांटना चाहिए।


11. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) में कौन-से वाद्य यंत्र इस्तेमाल होते हैं?

आरती के दौरान घंटी, ढोलक, मंजीरा और शंख का उपयोग किया जाता है। यह माहौल को भक्तिमय बनाता है।


12.गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) कहां गानी चाहिए?

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) मंदिर, घर, या किसी पवित्र स्थान पर गानी चाहिए। पूजा स्थल का साफ और व्यवस्थित होना जरूरी है।


13. क्या गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) मोबाइल या म्यूजिक सिस्टम पर सुनी जा सकती है?

हां, आरती को डिजिटल माध्यमों से सुनना और गाना आजकल प्रचलित है। लेकिन इसे स्वयं गाना अधिक शुभ और प्रभावी माना जाता है।


14. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) से क्या लाभ होता है?

आरती गाने से विघ्नों का नाश, मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा, और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


15. गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) बच्चों को क्यों सिखानी चाहिए?

बच्चों को आरती सिखाने से उनमें धर्म, संस्कार और भक्ति का विकास होता है। यह उन्हें अनुशासन और सकारात्मकता की ओर प्रेरित करता है।


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