“दश महाविद्या स्तोत्र: (Dasa Mahavidya Stotram) रहस्यमय और शक्तिशाली स्तोत्र का अद्भुत रहस्य”

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"दश महाविद्या स्तोत्र: (Dasa Mahavidya Stotram) रहस्यमय और शक्तिशाली स्तोत्र का अद्भुत रहस्य"

“दश महाविद्या स्तोत्र: (Dasa Mahavidya Stotram) रहस्यमय और शक्तिशाली स्तोत्र का अद्भुत रहस्य”


हिंदू धर्म में दश महाविद्या को दस मुख्य देवियों के रूप में पूजा जाता है। ये देवियां विशेष रूप से तंत्र साधना और शक्ति उपासना में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। “दश महाविद्या स्तोत्र”(Dasa Mahavidya Stotram) एक ऐसा पवित्र स्तोत्र है जो इन दस देवियों के गुणों, महत्त्व और शक्तियों का वर्णन करता है। यह स्तोत्र साधक के जीवन में आध्यात्मिक शक्ति, मानसिक शांति और सफलता प्रदान करता है।

Contents
“दश महाविद्या स्तोत्र: (Dasa Mahavidya Stotram) रहस्यमय और शक्तिशाली स्तोत्र का अद्भुत रहस्य”दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram)“दश महाविद्या स्तोत्र”(Dasa Mahavidya Stotram) पर सामान्य प्रश्न (FAQs)1. दश महाविद्या क्या हैं?2. दश महाविद्या की कौन-कौन सी देवियां हैं?3. दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) क्या है?4. दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) का पाठ करने का क्या लाभ है?5. क्या यह स्तोत्र हर कोई पढ़ सकता है?6. दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) कब पढ़ना चाहिए?7. दश महाविद्या का ज्योतिषीय महत्व क्या है?8. दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) में मुख्य मंत्र कौन-कौन से हैं?9. दश महाविद्या साधना में कौन-सी देवी सबसे शक्तिशाली है?10. क्या दश महाविद्या तंत्र साधना में महत्वपूर्ण हैं?11. दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) से जुड़ी कोई विशेष कथा है?12. क्या दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) शत्रु बाधा को दूर करता है?13. क्या स्तोत्र का पाठ करने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है?14. दश महाविद्या साधना में क्या विशेष नियम हैं?15. क्या यह स्तोत्र नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है?

दश महाविद्या का अर्थ और महत्व
“दश महाविद्या” का अर्थ है दस महान ज्ञान। ये दस देवियां शक्ति के विभिन्न स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये हैं: काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला
दश महाविद्या स्तोत्र का पाठ साधक को उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है। ये स्तोत्र खासतौर पर ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त माना गया है।


दश महाविद्याओं का परिचय

  1. मां काली: काली माता समय और मृत्यु की देवी हैं।
  2. मां तारा: तारा माता ज्ञान और तारक शक्ति की प्रतीक हैं।
  3. षोडशी: जिन्हें त्रिपुरसुंदरी भी कहते हैं, ये सौंदर्य और आनंद की देवी हैं।
  4. मां भुवनेश्वरी: यह देवी ब्रह्मांड की रचयिता और पालनकर्ता हैं।
  5. छिन्नमस्ता: यह देवी आत्मबलिदान और बलिदान की प्रतीक हैं।
  6. त्रिपुर भैरवी: त्रिपुर भैरवी तपस्या और ऊर्जा की देवी हैं।
  7. धूमावती: धूमावती विध्वंस और अज्ञान का नाश करती हैं।
  8. बगलामुखी: यह देवी शत्रुओं का नाश करती हैं।
  9. मातंगी: मातंगी कला, संगीत और वाणी की देवी हैं।
  10. कमला: कमला माता समृद्धि और वैभव की देवी हैं।

दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) का पाठ क्यों करें?
दश महाविद्या स्तोत्र का पाठ करने से साधक को आध्यात्मिक जागृति, शत्रु बाधा से मुक्ति, और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। यह स्तोत्र व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है। विशेष रूप से, यह स्तोत्र उन लोगों के लिए उपयोगी है जो साधना या तंत्र विद्या में रुचि रखते हैं।


दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) का महत्व
यह स्तोत्र केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह एक गहन साधना का हिस्सा है। हर महाविद्या की अपनी ऊर्जा और शक्ति होती है, और जब इनका पाठ किया जाता है, तो साधक में उन शक्तियों का संचार होता है। यह स्तोत्र हर व्यक्ति के लिए उपयोगी है, चाहे वह आध्यात्मिक हो या सांसारिक।

दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram)

||दशमहाविद्या स्तोत्रम् ||
(Dasa Mahavidya Stotram)

श्रीपार्वत्युवाच –


नमस्तुभ्यं महादेव! विश्वनाथ ! जगद्गुरो ! ।
श्रुतं ज्ञानं महादेव ! नानातन्त्र तवाननत् ॥

इदानीं ज्ञानं महादेव ! गुह्यस्तोत्रं वद प्रभो ! ।
कवचं ब्रूहि मे नाथ ! मन्त्रचैतन्यकारणम् ॥

मन्त्रसिद्धिकरं गुह्याद्गुह्यं मोक्षैधायकम् ।
श्रुत्वा मोक्षमवाप्नोति ज्ञात्वा विद्यां महेश्वर ! ॥

श्री शिव उवाच –


दुर्लभं तारिणीमार्गं दुर्लभं तारिणीपदम् ।
मन्त्रार्थं मन्त्रचैतन्यं दुर्लभं शवसाधनम् ॥

श्मशानसाधनं योनिसाधनं ब्रह्मसाधनम् ।
क्रियासाधनकं भक्तिसाधनं मुक्तिसाधनम् ॥

तव प्रसादाद्देवेशि! सर्वाः सिद्ध्यन्ति सिद्धयः ।

ॐ नमस्ते चण्डिके चण्डि चण्डमुण्डविनाशिनि |
नमस्ते कालिके कालमहाभयविनाशिनि ||१||

शिवे रक्ष जगद्धात्रि प्रसीद हरवल्लभे |
प्रणमामि जगद्धात्रीं जगत्पालनकारिणीम् ||२||

जगत् क्षोभकरीं विद्यां जगत्सृष्टिविधायिनीम् |
करालां विकटां घोरां मुण्डमालाविभूषिताम् ||३||

हरार्चितां हराराध्यां नमामि हरवल्लभाम् |
गौरीं गुरुप्रियां गौरवर्णालङ्कारभूषिताम् ||४||

हरिप्रियां महामायां नमामि ब्रह्मपूजिताम् |
सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्धविद्याधरङ्गणैर्युताम् ||५||

मन्त्रसिद्धिप्रदां योनिसिद्धिदां लिङ्गशोभिताम् |
प्रणमामि महामायां दुर्गां दुर्गतिनाशिनीम् ||६||

उग्रामुग्रमयीमुग्रतारामुग्रगणैर्युताम् |
नीलां नीलघनश्यामां नमामि नीलसुन्दरीम् ||७||

श्यामाङ्गीं श्यामघटितां श्यामवर्णविभूषिताम् |
प्रणमामि जगद्धात्रीं गौरीं सर्वार्थसाधिनीम् ||८||

विश्वेश्वरीं महाघोरां विकटां घोरनादिनीम् |
आद्यामाद्यगुरोराद्यामाद्यनाथप्रपूजिताम् ||९||

श्रीं दुर्गां धनदामन्नपूर्णां पद्मां सुरेश्वरीम् |
प्रणमामि जगद्धात्रीं चन्द्रशेखरवल्लभाम् ||१०||

त्रिपुरां सुन्दरीं बालामबलागणभूषिताम् |
शिवदूतीं शिवाराध्यां शिवध्येयां सनातनीम् ||११||

सुन्दरीं तारिणीं सर्वशिवागणविभूषिताम् |
नारायणीं विष्णुपूज्यां ब्रह्मविष्णुहरप्रियाम् ||१२||

सर्वसिद्धिप्रदां नित्यामनित्यां गुणवर्जिताम् |
सगुणां निर्गुणां ध्येयामर्चितां सर्वसिद्धिदाम् ||१३||

विद्यां सिद्धिप्रदां विद्यां महाविद्यां महेश्वरीम् |
महेशभक्तां माहेशीं महाकालप्रपूजिताम् ||१४||

प्रणमामि जगद्धात्रीं शुम्भासुरविमर्दिनीम् |
रक्तप्रियां रक्तवर्णां रक्तबीजविमर्दिनीम् ||१५||

भैरवीं भुवनां देवीं लोलजिव्हां सुरेश्वरीम् |
चतुर्भुजां दशभुजामष्टादशभुजां शुभाम् ||१६||

त्रिपुरेशीं विश्वनाथप्रियां विश्वेश्वरीं शिवाम् |
अट्टहासामट्टहासप्रियां धूम्रविनाशिनीम् ||१७||

कमलां छिन्नभालाञ्च मातङ्गीं सुरसुन्दरीम् |
षोडशीं विजयां भीमां धूमाञ्च वगलामुखीम् ||१८||

सर्वसिद्धिप्रदां सर्वविद्यामन्त्रविशोधिनीम् |
प्रणमामि जगत्तारां साराञ्च मन्त्रसिद्धये ||१९||

इत्येवञ्च वरारोहे स्तोत्रं सिद्धिकरं परम् |
पठित्वा मोक्षमाप्नोति सत्यं वै गिरिनन्दिनि ||२०||

कुजवारे चतुर्दश्याममायां जीववासरे ।
शुक्रे निशिगते स्तोत्रं पठित्वा मोक्षमाप्नुयात् ॥

त्रिपक्षे मन्त्रसिद्धि स्यात्स्तोत्रपाठाद्धि शंकरि ।
चतुर्दश्यां निशाभागे निशि भौमेऽष्टमीदिने ॥

निशामुखे पठेत्स्तोत्रं मन्त्र सिद्धिमवाप्नुयात् ।
केवलं स्तोत्रपाठाद्धि तन्त्रसिद्धिरनुत्तमा ।
जागर्ति सततं चण्डी स्तवपाठाद्भुजङ्गिनी ॥

इति मुण्डमालातन्त्रोक्त पञ्चदशपटलान्तर्गतं दशमहाविद्यास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

"दश महाविद्या स्तोत्र: (Dasa Mahavidya Stotram) रहस्यमय और शक्तिशाली स्तोत्र का अद्भुत रहस्य"
दश महाविद्या स्तोत्र:! (Dasa Mahavidya Stotram) रहस्यमय और शक्तिशाली स्तोत्र का अद्भुत रहस्य

दश महाविद्या की साधना कैसे करें?
दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) की साधना के लिए सबसे पहले अपने मन को शांत करना आवश्यक है। किसी शांत स्थान पर बैठकर ध्यानमग्न होकर इस स्तोत्र का पाठ करें। इसका पाठ करने से पहले अपने इष्ट देवता का स्मरण करें और उनकी पूजा करें। सच्चे मन और विश्वास के साथ इस स्तोत्र का पाठ करें।


दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) का प्रभाव
इस स्तोत्र का प्रभाव साधक के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाने में सहायक है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से साधक के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का घेरा बनता है।


प्रत्येक महाविद्या के विशेष मंत्र
दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) में प्रत्येक देवी के लिए अलग-अलग मंत्र दिए गए हैं। इन मंत्रों का सही उच्चारण और श्रद्धा के साथ पाठ करने से अद्भुत परिणाम मिलते हैं। उदाहरण:

  • काली मंत्र: “ॐ क्रीं कालिकायै नमः।”
  • तारा मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं तारा नमः।”

दश महाविद्या का तांत्रिक महत्व
तंत्र साधना में दश महाविद्या का विशेष महत्व है। ये देवियां तांत्रिक साधकों को सिद्धि और आत्मज्ञान प्रदान करती हैं। तंत्र मार्ग पर चलने वाले साधकों के लिए दश महाविद्या का ज्ञान और उनकी साधना अनिवार्य मानी जाती है।


दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) और ज्योतिष
ज्योतिष के अनुसार, दश महाविद्या ग्रहों के दोषों को शांत करने में सहायक होती हैं। जैसे:

  • काली माता: शनि ग्रह के दोष शांत करती हैं।
  • तारा माता: राहु के प्रभाव को कम करती हैं।
  • कमला देवी: शुक्र ग्रह को मजबूत करती हैं।

दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) और सकारात्मक ऊर्जा
इस स्तोत्र का नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है। यह नकारात्मकता और बुरी शक्तियों को दूर करता है। साथ ही, यह मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।


दश महाविद्या की महिमा
दश महाविद्या की महिमा का वर्णन वेदों और पुराणों में भी मिलता है। यह स्तोत्र न केवल साधकों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए है जो जीवन में शांति और सफलता की तलाश कर रहा है।


दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) का पाठ कब करें?
इस स्तोत्र का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन शुभ समय पर इसका पाठ करने से अधिक लाभ मिलता है। जैसे:

  • अमावस्या की रात
  • नवरात्रि के दौरान
  • गुरु पुष्य योग में


“दश महाविद्या स्तोत्र” (Dasa Mahavidya Stotram) एक अद्भुत साधना का साधन है। यह स्तोत्र व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक बल प्रदान करता है, बल्कि जीवन के हर पहलू में सफलता और शांति का मार्ग दिखाता है। यदि इसे सच्चे मन और श्रद्धा से पढ़ा जाए, तो यह चमत्कारी परिणाम देता है।
“दश महाविद्या स्तोत्र” (Dasa Mahavidya Stotram) का पाठ करने से साधक को एक अद्वितीय शक्ति और आंतरिक संतुलन प्राप्त होता है।

“दश महाविद्या स्तोत्र”(Dasa Mahavidya Stotram) पर सामान्य प्रश्न (FAQs)


1. दश महाविद्या क्या हैं?

दश महाविद्या हिंदू धर्म की दस प्रमुख देवी शक्तियां हैं, जो तंत्र साधना और शक्ति उपासना में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। ये देवियां शक्ति और ज्ञान के अलग-अलग स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं।


2. दश महाविद्या की कौन-कौन सी देवियां हैं?

दश महाविद्या में शामिल देवियां हैं:

  1. काली
  2. तारा
  3. षोडशी (त्रिपुरसुंदरी)
  4. भुवनेश्वरी
  5. छिन्नमस्ता
  6. त्रिपुर भैरवी
  7. धूमावती
  8. बगलामुखी
  9. मातंगी
  10. कमला

3. दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) क्या है?

दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) एक पवित्र ग्रंथ है जिसमें इन दस देवियों के गुण, शक्तियां, और महिमा का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र साधना और आध्यात्मिक उन्नति के लिए पाठ किया जाता है।


4. दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) का पाठ करने का क्या लाभ है?

इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक को मानसिक शांति, शत्रुओं से मुक्ति, आत्मविश्वास, और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। यह साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।


5. क्या यह स्तोत्र हर कोई पढ़ सकता है?

हाँ, “दश महाविद्या स्तोत्र” (Dasa Mahavidya Stotram) को कोई भी व्यक्ति श्रद्धा और सच्चे मन से पढ़ सकता है। विशेष साधना के लिए गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक हो सकता है।


6. दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) कब पढ़ना चाहिए?

इसका पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन अमावस्या, नवरात्रि, या गुरु पुष्य योग जैसे विशेष दिनों में इसका पाठ अधिक लाभकारी माना जाता है।


7. दश महाविद्या का ज्योतिषीय महत्व क्या है?

दश महाविद्या ग्रह दोषों को शांत करने में मदद करती हैं। जैसे:

  • काली माता शनि ग्रह के प्रभाव को शांत करती हैं।
  • तारा माता राहु के दोष दूर करती हैं।
  • कमला माता शुक्र ग्रह को मजबूत करती हैं।

8. दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) में मुख्य मंत्र कौन-कौन से हैं?

प्रत्येक महाविद्या के लिए अलग मंत्र हैं। जैसे:

  • काली मंत्र: “ॐ क्रीं कालिकायै नमः।”
  • तारा मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं तारा नमः।”
    इन मंत्रों का सही उच्चारण और श्रद्धा के साथ जप करना लाभकारी है।

9. दश महाविद्या साधना में कौन-सी देवी सबसे शक्तिशाली है?

हर देवी अपनी शक्ति और महत्व में अद्वितीय है। साधक की आवश्यकता और उद्देश्य के अनुसार देवी का चयन किया जाता है।


10. क्या दश महाविद्या तंत्र साधना में महत्वपूर्ण हैं?

हाँ, दश महाविद्या तंत्र साधना में बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये देवियां साधक को तांत्रिक शक्तियां और आत्मज्ञान प्राप्त करने में मदद करती हैं।


11. दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) से जुड़ी कोई विशेष कथा है?

दश महाविद्याओं की उत्पत्ति से जुड़ी कई कथाएं हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, यह तब हुआ जब सती ने शिव को रोकने के लिए अपने दस रूप धारण किए थे।


12. क्या दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) शत्रु बाधा को दूर करता है?

हाँ, इस स्तोत्र का नियमित पाठ शत्रु बाधा को दूर करता है और साधक को साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है।


13. क्या स्तोत्र का पाठ करने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है?

दश महाविद्या में कमला देवी धन, समृद्धि और वैभव की देवी हैं। उनका स्मरण और स्तोत्र का पाठ करने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।


14. दश महाविद्या साधना में क्या विशेष नियम हैं?

साधना के लिए पवित्रता, नियमों का पालन और गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है। साधक को संयमित जीवन और सच्ची श्रद्धा के साथ साधना करनी चाहिए।


15. क्या यह स्तोत्र नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है?

हाँ, दश महाविद्या स्तोत्र (Dasa Mahavidya Stotram) का पाठ नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों को दूर करता है। यह साधक के चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा का घेरा बनाता है।

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