शुक्रवार का ये व्रत (Vrat) कर देगा मां लक्ष्मी को प्रसन्न, दौलत-धन की होगी बारिश!
मां लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी माना जाता है। हिन्दू धर्म में शुक्रवार का दिन विशेष रूप से महालक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन यदि विधिपूर्वक व्रत (Vrat) रखा जाए और पूजा-पाठ किया जाए, तो मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं। इस लेख में हम शुक्रवार व्रत की विधि, उसकी महिमा, और सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
शुक्रवार का दिन सौंदर्य, समृद्धि और सुख-शांति का प्रतीक है। यह दिन महालक्ष्मी, संतोषी माता और व्रतों की देवी को समर्पित होता है। इस दिन व्रत रखने से घर में धन-धान्य की वृद्धि, विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होना और कर्ज से मुक्ति जैसे लाभ मिलते हैं। शुक्रवार को सच्चे मन से पूजा करने पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है।
व्रत से एक दिन पूर्व, अपने मन और शरीर को पवित्र रखें। शुक्रवार के दिन सुबह जल्दी उठें, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर में साफ-सफाई करें, खासकर पूजा स्थल को पूरी तरह से स्वच्छ रखें। सादा भोजन ग्रहण करें और व्रत के दौरान तामसिक चीजें, जैसे प्याज, लहसुन, मांस, शराब आदि से परहेज करें।
व्रत के दिन कुछ लोग निर्जल व्रत रखते हैं, जबकि कुछ फलाहार करते हैं। आप चाहें तो साबूदाने की खिचड़ी, फल, मूंगफली, सिंघाड़ा आटा आदि का उपयोग कर सकते हैं। भोजन पूरी तरह से सात्विक होना चाहिए। व्रत के बाद संध्या में पूजा करके ही भोजन ग्रहण करें।
यदि आप 16 शुक्रवार व्रत का संकल्प लेते हैं, तो अंतिम व्रत के दिन उद्यापन किया जाता है। इस दिन व्रती को कन्याओं और सुहागिन महिलाओं को भोजन कराना चाहिए और उन्हें सिंदूर, बिंदी, चूड़ी, वस्त्र, और दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए। यह प्रक्रिया मां लक्ष्मी को प्रसन्न करती है।
मंत्रों का उच्चारण व्रत को अधिक प्रभावशाली बनाता है। कुछ प्रमुख मंत्र:
इन मंत्रों का 108 बार जाप करना विशेष फलदायक होता है।
शास्त्रों के अनुसार, एक गरीब महिला ने मां लक्ष्मी का शुक्रवार व्रत किया। कुछ ही समय में उसके घर में धन, अन्न और सुख-सुविधाओं का आगमन हुआ। व्रत से पहले वह भिक्षा मांगती थी, और व्रत के बाद उसके पास सोने-चांदी के बर्तन, आभूषण और संपत्ति हो गई। यह कहानी बताती है कि श्रद्धा और विश्वास से किया गया व्रत जरूर फल देता है।
किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से व्रत आरंभ करना शुभ माना जाता है। 16 शुक्रवार लगातार व्रत करना सर्वश्रेष्ठ होता है। आप चाहें तो नित्य व्रत, मासिक व्रत या केवल एक विशेष शुक्रवार को भी व्रत रख सकते हैं।
घर की स्त्री को गृहलक्ष्मी कहा जाता है। यदि वह स्वयं यह व्रत करे तो परिवार में धन की वृद्धि, बीमारियों से मुक्ति, और सुखमय जीवन की प्राप्ति होती है। गृहलक्ष्मी के द्वारा किया गया व्रत पूरा परिवार का कल्याण करता है।
इनकी पूजा से व्रत के फल कई गुना अधिक हो जाते हैं।
यदि किसी कारण से व्रत टूट जाए, तो दूसरे शुक्रवार को उसका पुनर्पाठ करें। मां लक्ष्मी दयालु हैं, सच्चे मन से क्षमा मांगने पर वह माफ कर देती हैं। आप चाहें तो एक और शुक्रवार अतिरिक्त जोड़ सकते हैं।
शुक्रवार को तनाव कम करने, सकारात्मक सोच बढ़ाने, और अनुशासन में रहने का अभ्यास होता है। सात्विक भोजन और संयम से शरीर को विश्राम मिलता है। पूजा-पाठ से मन शांत होता है, जिससे कार्यों में सफलता मिलती है।
शुक्रवार व्रत एक आध्यात्मिक और व्यवहारिक साधना है, जो ना केवल आर्थिक स्थिति को सुधारता है बल्कि मन और आत्मा को भी शुद्ध करता है। अगर आप मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं, तो श्रद्धा और नियमपूर्वक शुक्रवार व्रत अवश्य करें।
यह रहे शुक्रवार व्रत (Vrat) विधि से जुड़े 15 महत्वपूर्ण FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल) –
शुक्रवार का व्रत मुख्य रूप से मां लक्ष्मी और संतोषी माता को समर्पित होता है। इससे धन, सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
इस व्रत को 16 शुक्रवार तक लगातार करना शुभ माना जाता है। लेकिन श्रद्धा अनुसार कम या ज्यादा भी किया जा सकता है।
हाँ, पुरुष भी यह व्रत रख सकते हैं। मां लक्ष्मी सबको समान कृपा देती हैं, बस मन शुद्ध होना चाहिए।
फल, दूध, साबूदाना, सिंघाड़ा आटा, मूंगफली आदि फलाहार में खाया जा सकता है। पूरी तरह सात्विक भोजन करना चाहिए।
“ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नमः” और “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद” मंत्र अत्यंत प्रभावशाली हैं।
अगर आप संतोषी माता व्रत कर रहे हैं तो नमक और खटाई नहीं खानी चाहिए। लक्ष्मी व्रत में सात्विक नमक लिया जा सकता है।
साफ-सुथरे कपड़े, विशेषकर लाल या गुलाबी रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
संध्या पूजा के बाद सात्विक भोजन कर सकते हैं, लेकिन कई लोग फलाहार से ही व्रत पूरा करते हैं।
शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से व्रत शुरू करना श्रेष्ठ होता है। किसी शुभ मुहूर्त में भी प्रारंभ कर सकते हैं।
16वें शुक्रवार को सुहागिनों और कन्याओं को भोजन कराएं, उन्हें वस्त्र, चूड़ी, बिंदी आदि देकर विदा करें।
मां लक्ष्मी से क्षमा याचना करें और अगला शुक्रवार व्रत के रूप में जोड़ दें।
पूजा प्रातःकाल या संध्या काल में की जा सकती है, लेकिन नियमपूर्वक करना आवश्यक है।
हाँ, यह व्रत धन, सुख, वैभव और समृद्धि प्रदान करता है, बशर्ते श्रद्धा और नियम से किया जाए।
नहीं, पुरुष और महिलाएं दोनों इस व्रत को कर सकते हैं। माता लक्ष्मी की कृपा सब पर समान होती है।
बिल्कुल, शुक्रवार व्रत से नौकरी, व्यापार में वृद्धि और विवाह संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
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