वरद चतुर्थी 2025: (Varad Chaturthi) क्यों है यह गणेश जी की कृपा पाने का खास दिन?
वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi) को गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है और यह भगवान गणेश जी को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह चतुर्थी वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को मनचाहा वरदान प्राप्त होता है। इसलिए इसे “वरद” (वरदान देने वाली) चतुर्थी कहा जाता है।
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से संकटों को दूर करने, सुख-समृद्धि बढ़ाने और कार्यों में सफलता पाने के लिए किया जाता है। हिंदू धर्म में गणेश जी की पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य पूरा नहीं होता। इसीलिए वरद चतुर्थी का विशेष महत्व है।
जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से व्रत करता है और गणेश जी की आराधना करता है, उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और उसका जीवन सुखमय बनता है। खासतौर पर विद्यार्थियों और व्यापारियों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
पुराणों के अनुसार, एक बार देवताओं और असुरों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। देवता युद्ध में हारने लगे और उन्होंने भगवान शिव से सहायता मांगी। तब भगवान शिव ने कहा कि गणेश जी की उपासना करने से सभी संकट समाप्त हो सकते हैं।
देवताओं ने भगवान गणेश की कठोर आराधना और व्रत किया। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर गणेश जी प्रकट हुए और वरदान दिया कि जो भी वरद चतुर्थी का व्रत करेगा, उसके जीवन से सभी संकट दूर होंगे। गणेश जी के इस आशीर्वाद से देवताओं को युद्ध में विजय प्राप्त हुई।
एक अन्य कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण के पास धन-संपत्ति नहीं थी। उसने वरद चतुर्थी का व्रत किया और गणेश जी की पूजा की। कुछ समय बाद उसे अपार धन और सुख-समृद्धि प्राप्त हुई। इस प्रकार, यह व्रत हर व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
वरद चतुर्थी के दिन विशेष पूजा विधि का पालन करने से भगवान गणेश जल्दी प्रसन्न होते हैं।
यदि कोई व्यक्ति इस दिन व्रत नहीं कर सकता, तो केवल गणेश जी की पूजा, आरती और मंत्र जाप करने से भी लाभ प्राप्त कर सकता है।
वरद चतुर्थी व्रत करने से कई प्रकार के लाभ होते हैं:
जो लोग नौकरी, व्यापार, शिक्षा या जीवन के किसी भी क्षेत्र में संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए।
इस शुभ दिन पर कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।
✅ क्या करें?
❌ क्या न करें?
इन नियमों का पालन करने से गणेश जी की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।
कई लोग वरद चतुर्थी और गणेश चतुर्थी को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन दोनों में कुछ अंतर है।
हालांकि, दोनों ही तिथियां गणपति जी की पूजा के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती हैं।
वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi) (1 अप्रैल 2025) भगवान गणेश की कृपा पाने का एक शक्तिशाली दिन है। इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं, और व्यक्ति को सुख-समृद्धि, बुद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
वरद चतुर्थी भगवान गणेश जी को समर्पित एक पवित्र व्रत है, जिसे वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
इस दिन गणेश जी की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को मनचाहा वरदान मिलता है, सभी संकटों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
वरद चतुर्थी 1 अप्रैल 2025 (सोमवार) को मनाई जाएगी।
स्नान के बाद गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें, उन्हें अक्षत, फूल, चंदन, मोदक और दूर्वा अर्पित करें, गणेश मंत्रों का जाप करें और आरती करें।
इस दिन निर्जल या फलाहार व्रत रखा जाता है और रात को चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है।
“ॐ गण गणपतये नमः” और “गणेशाय नमः” मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
इस दिन गणेश जी ने देवताओं की रक्षा के लिए वरदान दिया था कि जो भी इस दिन व्रत करेगा, उसके सभी संकट दूर होंगे।
इस दिन सात्विक भोजन करें, गणेश जी की आराधना करें, झूठ न बोलें और दान-पुण्य करें।
मांस-मदिरा का सेवन, क्रोध, झूठ बोलना, बुरी संगत और तुलसी का सेवन वर्जित है।
नहीं, गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास में आती है और गणेश जन्मोत्सव है, जबकि वरद चतुर्थी वैशाख मास में होती है और विशेष रूप से वरदान प्राप्ति के लिए की जाती है।
यह सभी उम्र और वर्गों के लोग कर सकते हैं, विशेष रूप से विद्यार्थी, व्यापारी और नौकरीपेशा लोगों के लिए यह व्रत लाभकारी है।
व्रत का शुभ समय चतुर्थी तिथि के सूर्योदय से चंद्र दर्शन तक रहता है।
गाय को चारा, ब्राह्मणों को भोजन, गरीबों को वस्त्र और दूर्वा घास का दान शुभ माना जाता है।
इस व्रत से संकट दूर होते हैं, बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि होती है, धन और सुख-समृद्धि मिलती है और हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
अगर व्रत न रख सकें तो गणेश जी की पूजा, आरती और मंत्र जाप करने से भी लाभ मिलता है।
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