वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi) 2025: इस शुभ दिन करें ये खास उपाय, हर मनोकामना होगी पूरी!
वरद चतुर्थी (Varad Chaturthi) भगवान गणेश जी को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। खासतौर पर यह दिन गणपति भक्तों के लिए बेहद खास होता है। “वरद” का अर्थ होता है वरदान, यानी इस दिन की गई पूजा से भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
यह व्रत माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और कार्यसिद्धि प्राप्त होती है। कई लोग इस व्रत को संतान प्राप्ति, धन वृद्धि और इच्छित सफलता के लिए रखते हैं। वरद चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
इस लेख में हम वरद चतुर्थी 2025 के महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त की संपूर्ण जानकारी देंगे, ताकि आप इस पावन अवसर का पूरा लाभ उठा सकें।
गणेश जी को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता माना जाता है। उनकी पूजा करने से बुद्धि तेज होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। वरद चतुर्थी का व्रत करने से भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से व्रत करता है और भगवान गणेश की आराधना करता है, उसे जीवन में कभी भी किसी प्रकार की बाधा या संकट का सामना नहीं करना पड़ता। विशेष रूप से विद्यार्थियों, व्यापारियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
पुराणों में उल्लेख मिलता है कि वरद चतुर्थी का व्रत करने से व्यक्ति को 100 अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। यह व्रत मांगलिक कार्यों में सफलता, संतान सुख और धन-संपत्ति की वृद्धि के लिए भी किया जाता है।
वर्ष 2025 में वरद चतुर्थी का पर्व 2 फरवरी (रविवार) को मनाया जाएगा। यह तिथि गणेश जी की कृपा पाने के लिए बेहद शुभ मानी जाती है। इस दिन पूजा करने का विशेष शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है:
इस अवधि में गणपति बप्पा की विधिवत पूजा करने से अखंड सौभाग्य, समृद्धि और इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
1. प्रातः स्नान एवं संकल्प:
सवेरे जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान गणेश की पूजा करने का संकल्प लें।
2. गणेश प्रतिमा की स्थापना:
घर के पूजा स्थल में गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उन्हें दूर्वा, फूल, लाल चंदन और अक्षत अर्पित करें।
3. गणपति मंत्र जाप:
इस दिन “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करना अत्यंत शुभ होता है। इससे बुद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
4. भोग अर्पण:
भगवान गणेश को मोदक, लड्डू, गुड़ और तिल से बनी मिठाइयां अर्पित करें। यह गणेश जी को अत्यंत प्रिय होते हैं।
5. आरती एवं कथा श्रवण:
गणेश जी की आरती करें और वरद चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें। इससे व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
6. व्रत पालन:
इस दिन कई लोग निर्जला व्रत रखते हैं, जबकि कुछ फलाहार कर सकते हैं। संध्या काल में गणपति पूजन के बाद व्रत खोला जाता है।
प्राचीन समय में एक राजा और रानी संतान प्राप्ति के लिए गणेश जी की पूजा कर रहे थे। उन्होंने वरद चतुर्थी का व्रत रखा और सच्चे मन से भगवान गणेश का ध्यान किया। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर गणेश जी ने उन्हें एक सुयोग्य पुत्र का वरदान दिया।
समय बीतने के साथ, उनके पुत्र का जीवन सुखमय और समृद्ध हुआ। राजा ने पूरे राज्य में गणपति व्रत करने की परंपरा शुरू करवाई, जिससे सभी लोगों के जीवन में सुख-शांति आई।
इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची श्रद्धा और विश्वास से की गई पूजा कभी व्यर्थ नहीं जाती। भगवान गणेश की कृपा से हर मनोकामना पूर्ण हो सकती है।
वरद चतुर्थी 2025 एक अत्यंत शुभ दिन है, जब भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती हैं। इस दिन श्रद्धा और भक्ति से गणपति बप्पा का पूजन करने से सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
वरद चतुर्थी भगवान गणेश जी को समर्पित एक विशेष पर्व है, जिसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
वर्ष 2025 में वरद चतुर्थी 2 फरवरी (रविवार) को मनाई जाएगी।
इस दिन गणेश जी की पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
यह व्रत हर व्यक्ति कर सकता है, विशेष रूप से विद्यार्थियों, नौकरीपेशा लोगों और व्यापारियों के लिए यह बेहद लाभकारी माना जाता है।
इस दिन गणेश प्रतिमा की स्थापना कर, दूर्वा, फूल, चंदन, लड्डू आदि अर्पित किए जाते हैं और गणपति मंत्रों का जाप किया जाता है।
इस व्रत में कुछ लोग निर्जला व्रत रखते हैं, जबकि कुछ फलाहार कर सकते हैं। शाम को गणेश पूजन के बाद व्रत खोला जाता है।
गणपति बप्पा को मोदक, लड्डू, गुड़, तिल और पंचामृत का भोग अर्पित किया जाता है।
इस दिन “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करना शुभ माना जाता है।
इस दिन चंद्रमा देखने की मनाही नहीं होती, परंतु गणेश जी की पूजा के बाद ही देखा जाना चाहिए।
एक राजा और रानी ने वरद चतुर्थी का व्रत रखा, जिससे उन्हें सुयोग्य संतान प्राप्त हुई। यह व्रत संतान सुख और सफलता के लिए भी किया जाता है।
इच्छा अनुसार एक वर्ष या 5, 7, 11, 21 वर्षों तक यह व्रत किया जा सकता है।
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