“तुलसी जी की आरती: (Tulsi Ji Ki Aarti) महत्व, विधि और आध्यात्मिक लाभ”

Soma
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"तुलसी जी की आरती: (Tulsi Ji Ki Aarti) महत्व, विधि और आध्यात्मिक लाभ"

“तुलसी जी की आरती: (Tulsi Ji Ki Aarti) महत्व, विधि और आध्यात्मिक लाभ”

तुलसी जी को हिंदू धर्म में पवित्रता और देवी स्वरूप माना गया है। तुलसी के पौधे को भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण का प्रिय माना जाता है। तुलसी जी की आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। यह न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा है, बल्कि इसका वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व भी है। आइए इस लेख में तुलसी जी की आरती और उससे जुड़े पहलुओं को विस्तार से समझें।


तुलसी का धार्मिक महत्व

तुलसी को “वृंदा देवी” के रूप में भी जाना जाता है। पुराणों में बताया गया है कि तुलसी जी भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी जी का स्वरूप हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और उसे मोक्ष प्राप्त होता है। तुलसी के पौधे को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। श्रीमद्भागवत और अन्य शास्त्रों में तुलसी जी का विशेष महत्व बताया गया है। तुलसी को जल चढ़ाना और आरती करना भगवान विष्णु की कृपा पाने का सबसे सरल उपाय है।


तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) का महत्व

तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) का मुख्य उद्देश्य भक्त और ईश्वर के बीच आध्यात्मिक संबंध को मजबूत करना है। आरती के समय गाए गए मंत्रों और भजनों से वातावरण पवित्र हो जाता है। तुलसी जी की आरती करने से मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी जी की आरती से घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti)

तुलसी जी की आरती
(Tulsi Ji Ki Aarti)


जय जय तुलसी माता,
मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता,
सबकी वर माता ॥

॥ जय तुलसी माता…॥
सब योगों से ऊपर,
सब रोगों से ऊपर ।
रज से रक्ष करके,
सबकी भव त्राता ॥
॥ जय तुलसी माता…॥

बटु पुत्री है श्यामा,
सूर बल्ली है ग्राम्या ।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे,
सो नर तर जाता ॥
॥ जय तुलसी माता…॥

हरि के शीश विराजत,
त्रिभुवन से हो वंदित ।
पतित जनों की तारिणी,
तुम हो विख्याता ॥
॥ जय तुलसी माता…॥

लेकर जन्म विजन में,
आई दिव्य भवन में ।
मानव लोक तुम्हीं से,
सुख-संपति पाता ॥
॥ जय तुलसी माता…॥

हरि को तुम अति प्यारी,
श्याम वर्ण सुकुमारी ।
प्रेम अजब है उनका,
तुमसे कैसा नाता ॥
हमारी विपद हरो तुम,
कृपा करो माता ॥
॥ जय तुलसी माता…॥

जय जय तुलसी माता,
मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता,
सबकी वर माता ॥

"तुलसी जी की आरती: (Tulsi Ji Ki Aarti) महत्व, विधि और आध्यात्मिक लाभ"
तुलसी जी की आरती:! (Tulsi Ji Ki Aarti) महत्व, विधि और आध्यात्मिक लाभ

तुलसी जी की पूजा विधि

तुलसी जी की पूजा में विशेष ध्यान देने योग्य कुछ बातें हैं।

  1. सुबह स्नान के बाद तुलसी के पौधे को गंगाजल या साफ पानी से सींचें।
  2. पौधे के सामने दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
  3. तुलसी जी की आरती करें और भगवान विष्णु का स्मरण करें।
  4. पूजा में साफ-सुथरे कपड़े पहनना और स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक है।
  5. पूजा के बाद तुलसी के पत्तों का सेवन करना शुभ माना जाता है।

तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) के लाभ

तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ होते हैं।

  • तुलसी जी की पूजा से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • आरती से मन की अशांति समाप्त होती है और मन को शांति मिलती है।
  • तुलसी को औषधीय गुणों का भंडार माना गया है, जो सेहत के लिए लाभकारी है।
  • तुलसी जी की पूजा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) कैसे गाएं?

आरती गाने के लिए पहले दीपक जलाएं और तुलसी जी के सामने रखें। फिर आरती के शब्दों का उच्चारण करें। आरती के शब्द इस प्रकार हैं:

“जय जय तुलसी माता, जय जय तुलसी माता।
हरि विष्णु प्रिय सदा तू, हरि विष्णु प्रिय सदा तू।”

आरती को गाते समय मन को शांत और ध्यानमग्न रखना चाहिए।


तुलसी जी का वैज्ञानिक महत्व

तुलसी को केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना गया है। तुलसी के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। यह वायु को शुद्ध करती है और वातावरण को स्वच्छ बनाती है। घर में तुलसी का पौधा लगाने से रोगाणु कम होते हैं।


तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) के समय ध्यान रखने योग्य बातें

  1. पूजा स्थान हमेशा साफ रखें।
  2. तुलसी के पौधे को कभी गंदे हाथों से न छुएं।
  3. तुलसी जी की आरती के समय ध्यान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी पर केंद्रित करें।
  4. पूजा के बाद तुलसी के पत्तों का उपयोग चाय या प्रसाद में करें।

तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) का आध्यात्मिक पक्ष

तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) गाने से व्यक्ति का मन आध्यात्मिक रूप से शुद्ध होता है। यह आरती ईश्वर के प्रति समर्पण और भक्ति का प्रतीक है। जो लोग नियमित रूप से तुलसी जी की आरती करते हैं, उन्हें आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।


तुलसी जी और कार्तिक मास का संबंध

कार्तिक मास में तुलसी जी की पूजा का विशेष महत्व है। इस महीने में तुलसी जी के विवाह का आयोजन होता है, जिसे “तुलसी विवाह” कहा जाता है। इस दौरान तुलसी जी की पूजा और आरती करना बहुत शुभ माना जाता है।


तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) से जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है। यह केवल धार्मिक कृत्य नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। यदि आप भी अपने जीवन में सकारात्मकता और शांति चाहते हैं, तो रोज़ तुलसी जी की पूजा करें और उनकी आरती गाएं।

तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) पर महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर


1. तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) का क्या महत्व है?

तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) करने से भक्त को मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह घर में सुख-शांति और समृद्धि लाती है।


2. तुलसी जी को किस देवता की प्रिय माना जाता है?

तुलसी जी को भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की प्रिय माना गया है।


3. तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) कब करनी चाहिए?

तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) सुबह और शाम को करनी चाहिए। पूजा के लिए कार्तिक मास और एकादशी का दिन विशेष शुभ माना जाता है।


4. क्या तुलसी के पौधे को रात में जल चढ़ाया जा सकता है?

नहीं, तुलसी जी को रात में जल चढ़ाना वर्जित है। यह पूजा केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक की जाती है।


5. क्या तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) बिना दीपक के की जा सकती है?

आरती के लिए दीपक जलाना आवश्यक है क्योंकि यह भगवान के प्रति सम्मान और समर्पण का प्रतीक है।


6. तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) के मुख्य शब्द क्या हैं?

आरती के मुख्य शब्द हैं:


“जय जय तुलसी माता, जय जय तुलसी माता। हरि विष्णु प्रिय सदा तू, हरि विष्णु प्रिय सदा तू।”


7. क्या तुलसी के पौधे को छूने से पहले स्नान करना जरूरी है?

हां, तुलसी जी को छूने से पहले स्नान करना और साफ-सुथरे कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।


8. क्यातुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) केवल महिलाएं कर सकती हैं?

तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) कोई भी भक्त कर सकता है, चाहे वह महिला हो या पुरुष।


9. तुलसी के पौधे को घर में कहां रखना चाहिए?

तुलसी का पौधा घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में लगाना शुभ माना जाता है।


10. क्या तुलसी जी की पूजा के बाद तुलसी के पत्ते खाना चाहिए?

हां, तुलसी के पत्ते पूजा के बाद सेवन करना आयुर्वेदिक और धार्मिक दृष्टि से लाभकारी है।


11. क्या तुलसी जी को दूध चढ़ाया जा सकता है?

नहीं, तुलसी जी को केवल साफ पानी या गंगाजल चढ़ाना चाहिए।


12. क्या तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) बिना मंत्रों के की जा सकती है?

मंत्र और आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। आरती से पूजा पूर्ण होती है।


13. तुलसी जी का वैज्ञानिक महत्व क्या है?

तुलसी वायु को शुद्ध करती है और इसके पत्ते स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। यह तनाव और बीमारियों को कम करने में सहायक है।


14. तुलसी जी की पूजा के क्या लाभ हैं?

तुलसी जी की पूजा से पापों का नाश, सकारात्मक ऊर्जा, और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।


15. तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) गाने से कौन-कौन से दोष मिटते हैं?

तुलसी जी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) से ग्रह दोष, मानसिक तनाव और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

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