श्री सीता जी की आरती:(Sri Sita MataJi Ki Aarti)एक दिव्य भक्ति अनुभव

Soma
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श्री सीता जी की आरती:(Sri Sita MataJi Ki Aarti)एक दिव्य भक्ति अनुभव

श्री सीता जी की आरती: (Sri Sita MataJi Ki Aarti) एक दिव्य भक्ति अनुभव

श्री सीता जी, भगवान श्री राम की पत्नी और हिन्दू धर्म में आदर्श पत्नी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनकी पूजा में उनकी आरती एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) का गायन और पाठ भक्तों को आध्यात्मिक शांति और आशीर्वाद प्रदान करता है। यह आरती सीता जी की दया, करुणा, और सौम्यता को व्यक्त करती है, जो एक आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा देती है।

Contents

श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) का महत्व

आरती एक प्रकार की पूजा है, जिसमें देवी-देवताओं के प्रति आभार और प्रेम व्यक्त किया जाता है। श्री सीता जी की आरती का गायन करने से मानसिक शांति और भक्ति का विकास होता है। यह आरती विशेष रूप से उनके चरित्र और जीवन के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए रचित है। श्री सीता जी की आरती के माध्यम से भक्त उन्हें अपने हृदय में बसाने का प्रयास करते हैं और उनकी दिव्यता का अनुभव करते हैं।

आरती में प्रयुक्त श्लोक और शब्द

श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) में कई श्लोक और मंत्र होते हैं जो उनके महान कार्यों, त्याग, और धर्म के पालन को स्पष्ट करते हैं। ये श्लोक सीता जी की पवित्रता, उनके साहस और उनके जीवन के उद्देश्य को श्रद्धा पूर्वक प्रकट करते हैं। आरती के दौरान शब्दों का उच्चारण ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाता है, जिससे मानसिक संतुलन प्राप्त होता है।

आरती का विधि और प्रक्रिया

श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) के पाठ में कुछ विशेष विधियाँ और प्रक्रियाएँ हैं, जो भक्तों के लिए अत्यधिक लाभकारी मानी जाती हैं। आरती का प्रारंभ करते समय सबसे पहले दीपक जलाया जाता है और फिर गांधर्व मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इस दौरान आरती के शब्दों को धीरे-धीरे और श्रद्धा से गाया जाता है। आस्था और ध्यान के साथ आरती का गायन भक्तों को मानसिक शांति और आशीर्वाद प्रदान करता है।

श्री सीता जी की आरती
(Sri Sita MataJi Ki Aarti)


सीता विराजित  मिथिलाधाम सब मिल कर करें आरती।
संग सुशोभित लछुमन-राम सब मिल कर करें आरती।।

विपदा विनाशिनि सुखदा चराचर, सीता धिया बनि आयीं सुनयना घर।
मिथिला के महिमा महान…सब मिल कर करें आरती।। सीता विराजित …

सीता सर्वेश्वरि ममता सरोवर, बायाँ कमल कर दायाँ अभय वर।
सौम्या सकल गुणधाम…..सब मिल कर करें आरती।। सीता विराजित …

रामप्रिया सर्वमंगल दायिनि, सीता सकल जगती दुःखहारिणि।
करें सबका कल्याण…सब मिल कर करें आरती।। सीता विराजित …

सीता-राम की जोड़ी अतिभावन, नैहर सासुर किया पावन
सेवक हैं हनुमान…सब मिल कर करें आरती।। सीता विराजित …

ममतामयी माता सीता पुनीता, संतन हेतु सीता सदा सुनीता
धरणी-सुता सब ठाम…सब मिल कर करें आरती ।। सीता विराजित …

शुक्ल नवमी तिथि वैशाख मासे, ’चंद्रमणि’ सीता उत्सव हुलासे
पाय सकल सुखधाम…सब मिल कर करें आरती।।

सीता विराजित  मिथिलाधाम सब मिल कर करें आरती।।।

श्री सीता जी की आरती:(Sri Sita MataJi Ki Aarti)एक दिव्य भक्ति अनुभव
श्री सीता जी की आरती:! (Sri Sita MataJi Ki Aarti)एक दिव्य भक्ति अनुभव

श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) का आध्यात्मिक प्रभाव

श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) का मानसिक और आध्यात्मिक प्रभाव अत्यधिक गहरा होता है। आरती के दौरान भक्तों का ध्यान ईश्वर की उपासना में लगता है और उनका मन शुद्ध होता है। यह आरती न केवल भक्ति को बढ़ाती है बल्कि व्यक्ति के जीवन में शांति और संतुलन भी लाती है। जो लोग नियमित रूप से इस आरती का पाठ करते हैं, उन्हें जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं।

आरती के लाभ

  1. शांति का अनुभव: आरती का उच्चारण करने से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  2. आध्यात्मिक उन्नति: यह आरती व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में सहायक है।
  3. पापों का नाश: कहा जाता है कि श्री सीता जी की आरती से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  4. धन्य जीवन: इस आरती का नियमित पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि और संतुलन बना रहता है।

श्री सीता जी के जीवन के बारे में

श्री सीता जी का जीवन त्याग, समर्पण और धर्म के पालन का प्रतीक है। उनका जन्म जनकपुर में हुआ था, और वे राजा जनक की पुत्री थीं। उनका विवाह भगवान श्री राम से हुआ, और वे उनके साथ वनवास गईं। वनवास के दौरान उनके जीवन में कई कठिनाइयाँ आईं, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने धर्म और कर्तव्यों से समझौता नहीं किया। उनका जीवन हम सभी के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करता है, जो हमें सच्चे धर्म और आस्थावान जीवन की ओर मार्गदर्शन देता है।

क्यों चाहिए श्री सीता जी की आरती

जब हम जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हैं, तो श्री सीता जी की आरती हमें साहस और धैर्य प्रदान करती है। आरती का जाप करने से मन को शांति मिलती है और हम अपनी समस्याओं का हल आसानी से ढूंढ पाते हैं। यह हमें जीवन के उच्चतम आदर्शों को समझने में मदद करती है, जैसे कि धर्म, सच्चाई, और न्याय। उनके जीवन से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें किसी भी परिस्थिति में सत्य और धर्म से पीछे नहीं हटना चाहिए।

श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) न केवल एक धार्मिक क्रिया है, बल्कि यह हमें जीवन के आदर्शों से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इसका गाना और पाठ भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भरता है और उनके हृदय को ईश्वर के प्रति समर्पण और श्रद्धा से भर देता है। इस आरती को दैनिक जीवन में शामिल करने से हम श्री सीता जी के जीवन के महान आदर्शों को अपने जीवन में उतार सकते हैं।

FAQs: श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti)

1. श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) क्यों गायन करते हैं?

श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। इसे गायन करने से भक्तों को मानसिक शांति, आशीर्वाद और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

2. आरती का मुख्य उद्देश्य क्या है?

आरती का मुख्य उद्देश्य देवी-देवताओं के प्रति आभार व्यक्त करना और भक्तों के जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि लाना है।

3. श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) में कौन से मंत्र होते हैं?

आरती में विशेष श्लोक और मंत्र होते हैं जो सीता जी की पवित्रता, साहस, और त्याग को प्रदर्शित करते हैं।

4. श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) का गायन किस समय करना चाहिए?

आरती का गायन किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से रात और सुबह के समय आरती का गायन अधिक शुभ माना जाता है।

5. क्या आरती को अकेले भी किया जा सकता है?

हां, श्री सीता जी की आरती का गायन अकेले भी किया जा सकता है। यह व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में सहायक है।

6. क्या श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) से पापों का नाश होता है?

जी हां, माना जाता है कि श्री सीता जी की आरती से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

7.श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) के लाभ क्या हैं?

आरती के लाभ में शांति, मानसिक संतुलन, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन शामिल हैं।

8. श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) को कितनी बार गाना चाहिए?

आरती का गायन नियमित रूप से करना चाहिए। इसे कम से कम एक बार प्रतिदिन गाने से लाभ मिलता है।

9. क्या श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) से धन में वृद्धि होती है?

हाँ, श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) से भक्तों के जीवन में धन और समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है, विशेषकर यदि वे पूरे विश्वास के साथ इसका पाठ करते हैं।

10. क्या श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) परिवार में भी गाई जा सकती है?

जी हां, श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) परिवार के साथ भी गाई जा सकती है। यह परिवार के सदस्यों के बीच शांति और प्रेम बढ़ाती है।

11. श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) के शब्दों का क्या महत्व है?

शब्दों का उच्चारण ध्यान और आस्था से किया जाता है, जो भक्तों को मानसिक शांति और ईश्वर से जोड़ता है।

12. श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) के गायन से क्या मानसिक शांति मिलती है?

आरती का गायन मानसिक शांति और संतुलन को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन में अधिक संतुष्ट महसूस करता है।

13. श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) का गायन कब से शुरू हुआ?

श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) का गायन बहुत पुराने समय से होता आ रहा है। इसे खासतौर पर रामायण के आदर्शों के आधार पर तैयार किया गया है।

14. क्या आरती से जीवन में सुधार होता है?

जी हां, श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) जीवन में सुधार लाती है। यह व्यक्ति को आत्मनिरीक्षण और अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करती है।

15. क्या श्री सीता जी की आरती (Sri Sita MataJi Ki Aarti) का पाठ करने से विवाह में सफलता मिलती है?

माना जाता है कि जो लोग नियमित रूप से श्री सीता जी की आरती का पाठ करते हैं, उन्हें जीवन में प्रेम और सौभाग्य मिलता है, जिससे विवाह में सफलता की संभावना बढ़ सकती है।

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