श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) – पढ़ें, समझें और लाभ उठाएँ!

Soma
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श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) – पढ़ें, समझें और लाभ उठाएँ!

श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) – पढ़ें, समझें और लाभ उठाएँ!

श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) – महत्व, विधि और लाभ

श्री विष्णु जी को संपूर्ण ब्रह्मांड के पालनहार के रूप में पूजा जाता है। हिंदू धर्म में, भगवान विष्णु की महिमा अपार मानी गई है, और उनकी आराधना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। मायातीत विष्णु जी एक विशेष स्वरूप हैं, जिनकी आराधना करने से भक्तों को मोक्ष और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है। इस लेख में, हम श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) का पूरा विवरण देंगे, जिससे आपको इसका शुद्ध लाभ मिल सके।

Contents

श्री मायातीत विष्णु जी कौन हैं?

भगवान विष्णु के अनेकों रूप हैं, और उनमें से एक रूप मायातीत विष्णु कहलाते हैं। “मायातीत” का अर्थ है माया से परे, अर्थात् वह दिव्य स्वरूप जो भौतिक संसार की सीमाओं से परे है। यह स्वरूप शाश्वत, अचल और निर्विकार होता है। इस रूप में, भगवान विष्णु अपने भक्तों को अज्ञान के बंधनों से मुक्त कर सत्य की राह दिखाते हैं।

श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) का महत्व

आरती करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में शांति, समृद्धि एवं सकारात्मक ऊर्जा आती है। मायातीत विष्णु जी की आरती विशेष रूप से आध्यात्मिक उन्नति के लिए की जाती है। इसे पढ़ने और गाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में ईश्वरीय आशीर्वाद मिलता है।

श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti)

श्री मायातीत विष्णु जी की आरती
(Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti)


जय जगदीश हरे, प्रभु! जय जगदीश हरे।
मायातीत, महेश्वर मन-वच-बुद्धि परे॥ जय जगदीश हरे

आदि, अनादि, अगोचर, अविचल, अविनाशी।
अतुल, अनन्त, अनामय, अमित, शक्ति-राशि॥ जय जगदीश हरे

अमल, अकल, अज, अक्षय, अव्यय, अविकारी।
सत-चित-सुखमय, सुन्दर शिव सत्ताधारी॥ जय जगदीश हरे

विधि-हरि-शंकर-गणपति-सूर्य-शक्तिरूपा।
विश्व चराचर तुम ही, तुम ही विश्वभूपा॥ जय जगदीश हरे

माता-पिता-पितामह-स्वामि-सुहृद्-भर्ता।
विश्वोत्पादक पालक रक्षक संहर्ता॥ जय जगदीश हरे

साक्षी, शरण, सखा, प्रिय प्रियतम, पूर्ण प्रभो।
केवल-काल कलानिधि, कालातीत, विभो॥ जय जगदीश हरे

राम-कृष्ण करुणामय, प्रेमामृत-सागर।
मन-मोहन मुरलीधर नित-नव नटनागर॥ जय जगदीश हरे

सब विधि-हीन, मलिन-मति, हम अति पातकि-जन।
प्रभुपद-विमुख अभागी, कलि-कलुषित तन मन॥ जय जगदीश हरे

आश्रय-दान दयार्णव! हम सबको दीजै।
पाप-ताप हर हरि! सब, निज-जन कर लीजै॥ जय जगदीश हरे

श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) –
पढ़ें, समझें और लाभ उठाएँ!
श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) –
पढ़ें, समझें और लाभ उठाएँ!

आरती करने की सही विधि

  1. स्वच्छता का ध्यान रखें – आरती से पहले स्वयं को स्नान करके स्वच्छ कर लें।
  2. पूजा स्थल तैयार करें – भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को साफ स्थान पर रखें।
  3. दीपक प्रज्वलित करें – घी का दीपक जलाकर, उसमें कपूर डालें।
  4. पुष्प और प्रसाद अर्पित करें – तुलसी के पत्ते और मिष्ठान चढ़ाएं।
  5. घंटा और शंख बजाएं – इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  6. आरती गाएं – पूरी श्रद्धा के साथ श्री मायातीत विष्णु जी की आरती का पाठ करें।

श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti)

👉 ॐ जय मायातीत विष्णु हरे, स्वामी जय मायातीत विष्णु हरे।
👉 भक्तों के संकट हरने वाले, करुणा के सागर विष्णु हरे॥

इस आरती का नियमित पाठ करने से भगवान विष्णु की अनुकंपा प्राप्त होती है और जीवन में धन, वैभव एवं आध्यात्मिक उन्नति होती है।

आरती के लाभ

नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
मन को आध्यात्मिक शांति मिलती है।
अचानक आने वाली समस्याओं से सुरक्षा मिलती है।
भगवान विष्णु की कृपा से समृद्धि प्राप्त होती है।

आरती के समय ध्यान देने योग्य बातें

  1. आरती हमेशा पूरी श्रद्धा और ध्यान से करें।
  2. शुद्ध और शांत वातावरण में करें।
  3. स्नान करके और साफ वस्त्र पहनकर करें।
  4. आरती के बाद प्रसाद सभी को वितरित करें।
  5. आरती करते समय मन को एकाग्र रखें।

श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) करने से जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यदि आप इसे नियमित रूप से श्रद्धा और विश्वास के साथ करेंगे, तो भगवान विष्णु की असीम कृपा आपको प्राप्त होगी। क्या आप भी इस दिव्य आरती का लाभ उठाना चाहते हैं? आज ही इसे अपने जीवन में अपनाइए! 🚩


श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) के बारे में सामान्य प्रश्न (FAQ)


1. श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) क्या है?

श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) भगवान विष्णु के एक विशेष स्वरूप की पूजा के लिए गाई जाती है। यह आरती भक्तों के जीवन में शांति, समृद्धि और मोक्ष लाने के लिए होती है।


2. मायातीत विष्णु जी कौन हैं?

मायातीत विष्णु जी वह रूप हैं जो भौतिक संसार की माया से परे होते हैं। वह शाश्वत, निर्विकार और ईश्वर के सर्वोत्तम रूप हैं।


3. श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) के लाभ क्या हैं?

आरती के लाभ में नकारात्मक ऊर्जा का नाश, धन और सुख की प्राप्ति, और आध्यात्मिक उन्नति शामिल हैं। यह आरती जीवन में ईश्वरीय कृपा को आकर्षित करती है।


4. क्या मुझे आरती करते समय विशेष मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए?

हाँ, आरती के साथ कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए जैसे “ॐ जय मायातीत विष्णु हरे” ताकि भगवान की कृपा शीघ्र मिल सके।


5. श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) कब करनी चाहिए?

आरती को हर दिन विशेष रूप से प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।


6. क्या मैं श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) अकेले कर सकता हूँ?

जी हाँ, आप इसे अकेले भी पूरी श्रद्धा से कर सकते हैं। आरती के लिए समूह पूजा भी की जा सकती है, लेकिन व्यक्तिगत पूजा भी बहुत फलदायक होती है।


7. क्या श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) के दौरान पूजा स्थल का साफ होना जरूरी है?

जी हाँ, पूजा स्थल को साफ और स्वच्छ रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करता है।


8. आरती करते समय क्या कोई विशेष वस्तु अर्पित करनी चाहिए?

आरती के दौरान तुलसी के पत्ते, फूल, और घी का दीपक अर्पित करना चाहिए। साथ ही प्रसाद भी चढ़ाना चाहिए।


9. क्या श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) घर में की जा सकती है?

जी हाँ, आप इसे अपने घर के पूजा स्थल पर भी आराम से कर सकते हैं। यह आरती घर में शांति और समृद्धि लाती है।


10. क्या आरती के बाद कोई विशेष क्रिया करनी चाहिए?

आरती के बाद, प्रसाद वितरण और ध्यान करना चाहिए। आप अपनी इच्छाओं और आशीर्वाद के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना भी कर सकते हैं।


11. क्या मैं आरती के बिना भी पूजा कर सकता हूँ?

आरती पूजा का एक अत्यधिक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन आप बिना आरती के भी पूजा कर सकते हैं, हालांकि आरती से विशेष धार्मिक और मानसिक शांति मिलती है।


12. क्या श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) से मोक्ष प्राप्त होता है?

जी हाँ, जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा से मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है।


13. क्या श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) को किसी खास दिन ही करना चाहिए?

आप इसे प्रत्येक दिन कर सकते हैं, लेकिन शनिवार, मंगलवार या आधिकारिक पूजा दिवस पर आरती करना ज्यादा फलदायक माना जाता है।


14. श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) का कौन सा स्वरूप सबसे प्रभावी है?

श्री मायातीत विष्णु जी की आरती (Sri Mayatit Vishnu Ji Ki Aarti) का वही स्वरूप सबसे प्रभावी होता है जिसे आप पूरी श्रद्धा और ध्यान से गाते हैं। स्वरूप कोई भी हो, महत्व मन और ह्रदय की शुद्धता है।


15. क्या आरती के समय कुछ विशेष सावधानियाँ बरतनी चाहिए?

आरती के समय आपको पूरे ध्यान और निष्ठा के साथ पूजा करनी चाहिए। साथ ही सभी आवश्यक सामग्रियाँ जैसे दीपक, फूल, कपूर आदि सुनिश्चित करें। पूजा स्थल को स्वच्छ रखना भी महत्वपूर्ण है।


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