श्री एकादशी माता की आरती: (Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) महत्व, विधि और चमत्कारी लाभ!

Soma
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श्री एकादशी माता की आरती: (Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) महत्व, विधि और चमत्कारी लाभ!

श्री एकादशी माता की आरती: (Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) महत्व, विधि और चमत्कारी लाभ!


श्री एकादशी माता की आरती:(Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) महत्व, विधि और चमत्कारी लाभ!

🔹 एकादशी माता का महत्व

एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र तिथि मानी जाती है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन व्रत, पूजा और भजन-कीर्तन करने से व्यक्ति को अखंड पुण्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि एकादशी माता की आरती (Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और वे सुख-समृद्धि प्राप्त करते हैं।

Contents

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक मास में दो एकादशी तिथियाँ होती हैं—शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में। इन दोनों एकादशियों का अलग-अलग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। श्री एकादशी माता की आरती करने से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं और ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती है।

श्री एकादशी माता की आरती:(Shri Ekadashi Mata Ki Aarti)

श्री एकादशी माता की आरती:
(Shri Ekadashi Mata Ki Aarti)

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
ॐ जय एकादशी…॥

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
ॐ जय एकादशी…॥

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥
ॐ जय एकादशी…॥

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
ॐ जय एकादशी…॥

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
ॐ जय एकादशी…॥

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
ॐ जय एकादशी…॥

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
ॐ जय एकादशी…॥

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
ॐ जय एकादशी…॥

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
ॐ जय एकादशी…॥

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
ॐ जय एकादशी…॥

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥

श्री एकादशी माता की आरती: (Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) महत्व, विधि और चमत्कारी लाभ!
श्री एकादशी माता की आरती: (Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) महत्व, विधि और चमत्कारी लाभ!

🔹 श्री एकादशी व्रत के लाभ

श्री एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने से मन और शरीर दोनों शुद्ध होते हैं और आत्मिक शांति मिलती है।

इस व्रत के अनेक आध्यात्मिक लाभ हैं:
मन की शांति और ध्यान में वृद्धि
नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति
परिवार में सुख-शांति और समृद्धि
अकाल मृत्यु का नाश
स्वास्थ्य में सुधार और रोगों से बचाव

श्री एकादशी माता की आरती (Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) करने से इन लाभों में कई गुणा वृद्धि होती है। इस आरती का नियमित रूप से गायन करने से व्यक्ति की कर्म बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं और वह सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है।

🔹 एकादशी माता की आरती (Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) का सही समय और विधि

एकादशी की आरती को सही समय पर करना बेहद महत्वपूर्ण होता है। यह आरती सुबह और शाम दोनों समय की जा सकती है, लेकिन मंगलमय फल पाने के लिए इसे विशेष रूप से प्रदोष काल (शाम के समय) में करना उत्तम माना गया है।

आरती करने की विधि:
1️⃣ एकादशी व्रत का संकल्प लें और पवित्र स्नान करें।
2️⃣ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन करें।
3️⃣ दीपक जलाकर शुद्ध घी या तेल का प्रयोग करें।
4️⃣ चावल, फूल, तुलसी पत्र और फल अर्पित करें।
5️⃣ शंखनाद और घंटी बजाकर आरती आरंभ करें।
6️⃣ आरती के दौरान “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
7️⃣ आरती समाप्त होने के बाद सभी भक्तों को प्रसाद वितरित करें।

🔹 श्री एकादशी माता की आरती(Shri Ekadashi Mata Ki Aarti)

🔸 जय एकादशी माता, जय एकादशी माता।
🔸 तुमको निशदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥

🔸 ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला तू माता।
🔸 सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

🔸 मातंगी, धूमावती, सिद्धि प्रदान करे।
🔸 एकादशी माता, भवसागर से तार दे॥

🔸 जो जन श्रद्धा से गावे, भव भय दूर करे।
🔸 जय एकादशी माता, सदा सहाय करे॥

🔹 एकादशी माता की आरती (Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) के चमत्कारी लाभ

श्री एकादशी माता की आरती(Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। यह आरती करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है, और हर प्रकार के विघ्न और बाधाएँ दूर होती हैं।

धन और समृद्धि में वृद्धि
मन की शांति और तनाव से मुक्ति
रोगों और कष्टों से बचाव
आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति
परिवार में सौहार्द और प्रेम बना रहता है

🔹 एकादशी माता की आरती (Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

आरती करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए:
🔹 शुद्धता का विशेष ध्यान दें। स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें।
🔹 एकादशी माता की मूर्ति या चित्र के सामने घी का दीपक जलाएँ।
🔹 तुलसी पत्र और भगवान विष्णु का भोग अवश्य चढ़ाएँ।
🔹 आरती के दौरान घंटी और शंख बजाएँ, जिससे नकारात्मक शक्तियाँ दूर हों।
🔹 आरती पूरी श्रद्धा और प्रेम से करें, ताकि उसका संपूर्ण फल प्राप्त हो।

श्री एकादशी माता की आरती (Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) करने से भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह आरती हर प्रकार की बाधाओं को दूर करती है और सुख-समृद्धि, शांति और मोक्ष प्रदान करती है। यदि आप जीवन में धन, सुख, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं, तो एकादशी माता की आरती अवश्य करें।

श्री एकादशी माता की आरती(Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल-जवाब (FAQ)

1. एकादशी माता कौन हैं?

एकादशी माता भगवान विष्णु की कृपा से उत्पन्न हुईं एक दिव्य शक्ति हैं, जो भक्तों को पापों से मुक्त कर मोक्ष प्रदान करती हैं।

2. एकादशी माता की आरती ( Ekadashi Mata Ki Aarti) का क्या महत्व है?

आरती करने से भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

3. एकादशी माता की आरती(Ekadashi Mata Ki Aarti) कब करनी चाहिए?

आरती सुबह और शाम दोनों समय की जा सकती है, लेकिन शाम के समय (प्रदोष काल) में करने से विशेष फल मिलता है।

4. एकादशी माता की आरती( Ekadashi Mata Ki Aarti) कैसे करें?

🔹 स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
🔹 दीपक जलाकर भगवान विष्णु और एकादशी माता का पूजन करें।
🔹 शंख और घंटी बजाते हुए आरती करें।
🔹 आरती के बाद प्रसाद वितरित करें।

5. क्या एकादशी माता की आरती( Ekadashi Mata Ki Aarti) बिना व्रत किए भी कर सकते हैं?

हाँ, आरती कोई भी कर सकता है, लेकिन यदि व्रत के साथ की जाए तो इसका फल कई गुना बढ़ जाता है।

6. एकादशी माता की आरती(Ekadashi Mata Ki Aarti) का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?

पापों का नाश
धन-समृद्धि में वृद्धि
परिवार में सुख-शांति
बीमारियों से मुक्ति
आध्यात्मिक उन्नति

7. क्या एकादशी माता की आरती( Ekadashi Mata Ki Aarti) करते समय कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए?

जी हाँ, “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करने से आरती का प्रभाव बढ़ जाता है।

8. क्या एकादशी माता की आरती(Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) घर पर कर सकते हैं?

हाँ, इसे मंदिर और घर दोनों जगह किया जा सकता है। घर पर करने से परिवार को विशेष लाभ मिलता है।

9. क्या महिलाएँ एकादशी माता की आरती(Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) कर सकती हैं?

बिल्कुल, कोई भी श्रद्धा भाव से आरती कर सकता है, इसमें कोई पाबंदी नहीं है।

10. एकादशी माता की आरती (Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) में कौन-कौन से भोग चढ़ाने चाहिए?

भगवान विष्णु को प्रिय तुलसी, फल, दूध, पंचामृत और सूखे मेवे का भोग चढ़ाना उत्तम माना जाता है।

11. क्या एकादशी माता की आरती(Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) से धन की समस्याएँ दूर हो सकती हैं?

जी हाँ, यदि श्रद्धा और नियम से आरती की जाए तो आर्थिक कष्ट दूर होते हैं और धन-समृद्धि में वृद्धि होती है।

12. क्या इस आरती को रोजाना कर सकते हैं?

हाँ, श्री विष्णु की भक्ति करने वाले भक्त रोजाना आरती कर सकते हैं, इससे जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

13. यदि कोई एकादशी व्रत न रखे तो क्या उसे आरती का फल मिलेगा?

हाँ, आरती करने से भी पुण्य मिलता है, लेकिन यदि व्रत के साथ आरती की जाए तो फल अधिक प्राप्त होता है।

14. क्या एकादशी माता की आरती(Shri Ekadashi Mata Ki Aarti) से बुरी आत्माएँ दूर होती हैं?

हाँ, यह आरती नकारात्मक शक्तियों और बुरी आत्माओं को दूर करने में सहायक होती है।

15. क्या इस आरती को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है?

जी हाँ, यह आरती पापों को नष्ट कर मोक्ष प्राप्त करने में सहायक होती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

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