श्रावण मास (Shravan Month)में शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें, महादेव होंगे तुरंत प्रसन्न!
श्रावण मास, (Shravan Month) हिंदू पंचांग के अनुसार, भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह महीना शिव भक्तों के लिए विशेष होता है क्योंकि मान्यता है कि इस मास में शिव जी धरती पर विशेष रूप से सक्रिय रहते हैं। इस समय की गई पूजा, अर्चना, व्रत और जलाभिषेक से भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि श्रावण मास में शिवलिंग पर क्या-क्या अर्पित करना चाहिए और उसका आध्यात्मिक, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व क्या है।
बेलपत्र, शिवजी को चढ़ाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और प्रिय पत्र माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, तीन पत्तियों वाला बेलपत्र त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का प्रतीक होता है। यह शिवजी को ठंडक पहुंचाता है और मानसिक शांति भी देता है।
नियम: बेलपत्र साफ-सुथरे और कटे-फटे न हों।
मंत्र: “ओम् नमः शिवाय” कहते हुए बेलपत्र अर्पित करें।
शिवलिंग पर शुद्ध जल अर्पित करना पूजन की शुरुआत मानी जाती है। गंगाजल विशेष रूप से फलदायी होता है क्योंकि शिवजी ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया था।
रोज सुबह शिवलिंग पर जल अर्पण करने से पापों का क्षय होता है और मन शांत रहता है।
दूध अर्पित करना श्रावण मास में बहुत शुभ माना जाता है। यह शिवलिंग को शीतलता प्रदान करता है। विशेषकर सोमवार के दिन दूध से अभिषेक करने का अत्यंत पुण्य फल प्राप्त होता है।
ध्यान रखें: दूध शुद्ध होना चाहिए और उबला नहीं होना चाहिए।
शिवलिंग पर शहद अर्पित करने से कठिन कार्यों में सफलता, और वाणी में मधुरता आती है। यह शिवजी की कृपा को आकर्षित करने का एक साधन है।
शहद चढ़ाते समय मन में सकारात्मक विचार रखें और शांत भाव से मंत्रोच्चार करें।
धतूरा, जो कि विषैला फल है, शिवजी को अर्पित किया जाता है क्योंकि उन्होंने समुद्र मंथन में हलाहल विष पिया था। यह उन्हें अर्पित करने से रोग, भय और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा मिलती है।
सिर्फ पूजा योग्य धतूरा ही उपयोग करें, खुद तोड़ना शुभ होता है।
आक (मदार) का फूल, शिवजी को अत्यंत प्रिय है। यह पुष्प शिवलिंग पर चढ़ाने से राहु-केतु और शनि के दोष शांत होते हैं।
आक के फूल चढ़ाते समय मंत्रों का उच्चारण अत्यंत आवश्यक होता है।
साफ-सुथरे बिना टूटे हुए चावल (अक्षत) शिवलिंग पर चढ़ाना पूर्णता और शुद्धता का प्रतीक है। यह सुख-समृद्धि की प्राप्ति में सहायक होता है।
अक्षत चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” का जप करें।
तिल विशेष रूप से सफेद तिल, शिव पूजा में बहुत उपयोगी माने जाते हैं। इनसे कर्मों का शुद्धिकरण होता है और पूर्व जन्म के पाप नष्ट होते हैं।
इसे जल में मिलाकर अभिषेक करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
देशी गाय का शुद्ध घी, शिव पूजा में आरती और अभिषेक दोनों में उपयोग किया जा सकता है। घी से दीपक जलाना ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आकर्षित करता है और शिव को प्रिय है।
इससे जीवन में प्रकाश, सकारात्मकता और सफलता आती है।
पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर होते हैं। इससे शिवलिंग पर अभिषेक करना संपूर्णता का प्रतीक है।
यह उपाय विशेष रूप से सावन के सोमवार को किया जाता है।
श्रावण मास में केला, नारियल, बेर, बेलफल आदि फल शिवलिंग पर अर्पित किए जाते हैं। यह प्रकृति की भेंट होती है जो समर्पण का भाव दर्शाती है।
फल चढ़ाते समय उन्हें साफ-सुथरे पात्र में रखें।
नारियल को ‘श्रीफल’ कहा जाता है। यह शिव जी को समर्पित करने से धन, संतान और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
ध्यान रखें – नारियल को फोड़े बिना चढ़ाना चाहिए।
शिव पूजन में अगरबत्ती और दीपक अनिवार्य हैं। यह न केवल वातावरण को सुगंधित करता है, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा का नाश भी करता है।
दीपक में तिल का तेल या घी का प्रयोग करें।
भस्म (भभूत) और चंदन शिवलिंग पर अर्पित करना शिव के श्रृंगार का हिस्सा है। भस्म को शिवजी का अभिषेक वस्त्र कहा गया है और चंदन उन्हें शीतलता देता है।
चंदन लगाने से मन शांत रहता है और रोग दूर होते हैं।
श्रावण मास में शिवलिंग पर रक्षासूत्र (मौली) चढ़ाना, अपने जीवन में सुरक्षा और सौभाग्य की प्राप्ति का प्रतीक है। यह एक मानसिक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है।
रुद्राक्ष को शिव का प्रतिरूप माना जाता है। श्रावण मास में शिवलिंग पर रुद्राक्ष अर्पित करने से मनोकामना पूर्ति, ध्यान में सफलता, और रोग मुक्ति मिलती है।
रुद्राक्ष अर्पित करने से पहले उसे गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए।
कपूर जलाकर शिवलिंग के सामने घुमाने से वातावरण शुद्ध होता है। यह मन, बुद्धि और आत्मा की पवित्रता का प्रतीक है।
पूजा में कपूर का उपयोग हर सोमवार जरूर करें।
श्रावण मास में अर्पण के साथ-साथ निम्न मंत्रों का जप विशेष फलदायी होता है:
श्रावण मास, शिव भक्ति का सबसे उत्तम समय है। इस मास में शिवलिंग पर सही और शुद्ध वस्तुएं अर्पित करने से ईश्वर कृपा, सुख-समृद्धि, और दुखों से मुक्ति प्राप्त होती है। प्रत्येक वस्तु का अपना एक आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व होता है। यदि आप सच्चे मन से श्रावण मास में शिव की पूजा करते हैं, तो आपका जीवन सकारात्मकता और दिव्यता से भर उठेगा।
बेलपत्र, जल, दूध, धतूरा और आक के फूल।
हाँ, विशेषकर श्रावण मास में यह अत्यंत पुण्यकारी है।
नहीं, पूजा की वस्तुएं दोबारा उपयोग नहीं करनी चाहिए।
तुलसी देवी विष्णु को प्रिय हैं और शिवलिंग पर अर्पण निषेध माना गया है।
“ॐ नमः शिवाय” – यह पंचाक्षरी मंत्र सर्वश्रेष्ठ है।
उत्तर: बेलपत्र, जल, दूध, शहद, धतूरा, आक का फूल, चावल (अक्षत), गंगाजल, घी, पंचामृत, नारियल, सफेद तिल, रुद्राक्ष, फल और चंदन चढ़ाना शुभ होता है।
उत्तर: तुलसी माता विष्णु प्रिय हैं, और एक कथा अनुसार तुलसी ने शाप दिया था कि वह शिव को अर्पित नहीं होंगी। इसलिए तुलसी का अर्पण वर्जित है।
उत्तर: नहीं, शिव पुराण के अनुसार शिव जी ने केवड़ा व केतकी को पूजा से वर्जित किया है। ये फूल कभी शिवलिंग पर न चढ़ाएं।
उत्तर: नहीं, शिवलिंग पर केवल कच्चा (शुद्ध ठंडा) दूध ही चढ़ाना चाहिए। उबला या खट्टा दूध वर्जित है।
उत्तर: साफ और त्रिफला (तीन पत्तियों वाले) बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पित करें। पत्ते पर चंदन से “ॐ” भी लिखा जा सकता है।
उत्तर: सामान्य रूप से हाँ, महिलाएं शिवलिंग पर जल अर्पित कर सकती हैं, लेकिन रजस्वला (मासिक धर्म) अवस्था में यह वर्जित है।
उत्तर: जल को लोटे या कलश में भरकर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र के साथ धीरे-धीरे शिवलिंग पर अर्पित करें। जल चढ़ाते समय दाहिने हाथ से काम लें।
उत्तर: हाँ, श्रावण मास में प्रतिदिन जलाभिषेक करना शुभ होता है, लेकिन यदि संभव न हो तो प्रत्येक सोमवार अवश्य करें।
उत्तर: हाँ, पंचामृत में घी और शहद शामिल होते हैं। इनसे अभिषेक करने से शिव जी अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
उत्तर: नहीं, शिवलिंग पर हल्दी, सिंदूर, चूना आदि चढ़ाना वर्जित है। यह केवल देवी पूजा में उपयोग होते हैं।
उत्तर: हाँ, सफेद फूल या आक/धतूरे के फूल चढ़ाना शुभ होता है। लेकिन मुरझाए फूल न चढ़ाएं।
उत्तर: पंचामृत पांच वस्तुओं – दूध, दही, घी, शहद और शक्कर – से मिलकर बनता है। यह शिव अभिषेक में पूर्णता और पवित्रता का प्रतीक है।
उत्तर: नहीं, श्रावण मास में सात्विक आहार अपनाना चाहिए। मांसाहार और तामसिक वस्तुओं से शिव भक्ति में बाधा आती है।
उत्तर: बेल फल (बिल्वफल), नारियल और केला सबसे शुभ माने जाते हैं। ये शिव को प्रिय हैं और फलदायी भी।
उत्तर: “ॐ नमः शिवाय” सबसे प्रभावशाली मंत्र है। साथ ही, “महामृत्युंजय मंत्र” और “रुद्राष्टक” का पाठ भी बहुत फलदायी होता है।
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