रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) 2025: जानें शुभ मुहूर्त, आसान पूजा विधि और अद्भुत पौराणिक कथा!
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) भाई-बहन के अटूट प्रेम और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधकर उसके सुख, समृद्धि और लंबी उम्र की कामना करती है। भाई भी बहन को रक्षा का वचन देता है और उपहार देकर उसे प्रसन्न करता है। यह पर्व भारतीय संस्कृति में पवित्र संबंधों का प्रतीक है।
रक्षाबंधन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और पारिवारिक जुड़ाव को भी मजबूत करता है। हर उम्र, हर जाति, हर धर्म के लोग इसे मनाते हैं। यह त्योहार स्नेह, विश्वास और आत्मीयता का उत्सव है।
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) 2025 की तिथि:
👉 रक्षाबंधन सोमवार, 11 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।
इस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि रहेगी, जो इस पर्व के लिए अति शुभ मानी जाती है। इस दिन बहनें सुबह स्नान करके व्रत रखती हैं और शुभ मुहूर्त में राखी बाँधती हैं।
💥 भद्रा काल में राखी न बांधें। भद्रा काल अशुभ माना जाता है, इसलिए बहनों को ध्यान देना चाहिए कि वे राखी शुभ समय पर ही बांधें।
भद्रा एक ग्रह योग है जो किसी भी शुभ कार्य में विघ्न डाल सकता है। भद्रा काल में राखी बांधना वर्जित माना गया है क्योंकि यह समय अशुभ प्रभाव डाल सकता है। पौराणिक मान्यता है कि भद्रा काल में किया गया कोई भी शुभ कार्य फल नहीं देता।
2025 में भद्रा काल समाप्त हो चुका होगा जब रक्षाबंधन की सुबह शुरू होगी। अतः आप निश्चिंत होकर शुभ मुहूर्त में राखी बाँध सकते हैं।
रक्षाबंधन पर पूजा करना बहुत सरल और फलदायक होता है। आइए जानते हैं पूजा की विधि:
🙏 इस पूजा से भाई-बहन का संबंध और भी मजबूत और पवित्र हो जाता है।
एक समय की बात है, राजा बलि ने यज्ञ के माध्यम से स्वर्ग लोक तक विजय प्राप्त कर ली। भगवान विष्णु को भय हुआ कि राजा बलि अधर्म की ओर जा सकता है। तब विष्णु जी ने वामन अवतार लिया और बलि से तीन पग भूमि माँगी।
वामन ने एक पग में पृथ्वी, दूसरे में स्वर्ग और तीसरे पग में बलि को पाताल में भेज दिया। बलि ने विष्णु जी से प्रार्थना की कि वे उसके साथ पाताल में रहें। लक्ष्मी जी चिंतित हुईं, तो उन्होंने बलि को राखी बाँधकर भाई बना लिया और विष्णु जी को अपने साथ ले आईं।
इस कथा से यह संदेश मिलता है कि राखी केवल धागा नहीं, बल्कि रक्षा और प्रेम का प्रतीक है।
एक बार श्रीकृष्ण के हाथ से खून बह रहा था, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी कलाई पर बाँध दिया। श्रीकृष्ण ने वचन दिया कि वे उसे हर संकट से बचाएंगे, जो उन्होंने चीरहरण के समय निभाया।
यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने गए, यमुना ने उन्हें राखी बाँधी और यमराज ने वचन दिया कि जो भाई बहन के इस प्रेमपूर्ण बंधन को निभाएगा, उसे दीर्घायु प्राप्त होगी।
रक्षाबंधन केवल भाई-बहन का त्योहार नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सद्भावना का प्रतीक है। यह पर्व प्यार, त्याग और सुरक्षा का संदेश देता है। इसके माध्यम से सामाजिक संबंधों की गहराई बढ़ती है।
👉 कुछ स्थानों पर महिलाएं सैनिकों, पुलिसकर्मियों या प्राकृतिक आपदा में मदद करने वालों को भी राखी बांधकर उनका सम्मान करती हैं। यह राष्ट्रीय एकता और कर्तव्य भावना का प्रतीक बन चुका है।
राखी के दिन भाई अपनी बहन को तोहफा देता है, जो स्नेह और सम्मान का प्रतीक होता है। यह उपहार कोई मूल्यवान वस्तु, कपड़े, गहने या नकद भी हो सकता है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि उपहार भावनात्मक रूप से जुड़ा हो। यह बहन के प्रति सम्मान और प्रेम को दर्शाता है।
कुछ परिवारों में बहनें रक्षाबंधन के दिन व्रत रखती हैं, और पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करती हैं। यह व्रत भाई की लंबी उम्र, सफलता और रक्षा के लिए रखा जाता है।
व्रत रखने से मानसिक एकाग्रता और श्रद्धा में वृद्धि होती है। इस दिन की गई पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है।
आज के युग में प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा भी जरूरी है। रक्षाबंधन पर पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए आप इको-फ्रेंडली राखी का प्रयोग कर सकते हैं।
👉 बीज वाली राखियाँ, कपड़े की राखियाँ या रिसाइकल्ड पेपर से बनी राखियाँ पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचातीं और हरियाली का प्रतीक बन जाती हैं।
रक्षाबंधन आज केवल भारत तक सीमित नहीं है। विदेशों में बसे भारतीय परिवार, विशेष रूप से अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके आदि में भी बड़े हर्षोल्लास से यह पर्व मनाते हैं।
कुछ बहनें ऑनलाइन राखी भेजती हैं और भाई वीडियो कॉल के माध्यम से रक्षाबंधन मनाते हैं। यह दिखाता है कि भले ही दूरियां हों, प्यार कभी कम नहीं होता।
रक्षाबंधन के आते ही बाजारों में राखियों की चमक, मिठाइयों की खुशबू, और उपहारों की बहार देखने को मिलती है। दुकानों में पारंपरिक से लेकर डिज़ाइनर राखियाँ, बच्चों के लिए कार्टून राखियाँ और भाइयों के लिए विशेष गिफ्ट हैंपर उपलब्ध होते हैं।
इस त्योहार से न केवल सांस्कृतिक, बल्कि आर्थिक गतिविधियाँ भी बढ़ जाती हैं।
इस दिन घरों में विशेष पकवान बनते हैं। बहनें भाई के लिए उनकी पसंदीदा मिठाई, जैसे लड्डू, रसगुल्ला, खीर, गुलाब जामुन आदि बनाती हैं। कुछ स्थानों पर पुड़ी, आलू की सब्जी और हलवा जैसे पारंपरिक व्यंजन भी बनाए जाते हैं।
भोजन भी प्यार का माध्यम होता है और इस दिन का भोजन रिश्तों की मिठास को और बढ़ा देता है।
रक्षाबंधन 2025 केवल एक तिथि या परंपरा नहीं है, बल्कि यह प्यार, सुरक्षा, और विश्वास का पर्व है। यह दिन हमें सिखाता है कि रिश्तों की डोर चाहे धागे से बनी हो, पर उसकी मजबूती भावनाओं और आदर्शों में होती है।
11 अगस्त 2025, सोमवार को रक्षाबंधन मनाया जाएगा। इस दिन श्रावण पूर्णिमा है।
राखी बांधने का शुभ समय सुबह 10:30 से दोपहर 01:30 और दोपहर 02:45 से शाम 05:15 तक है।
नहीं, भद्रा काल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। यह समय अशुभ माना जाता है।
राखी, रोली, चावल, दीपक, मिठाई और नारियल से भाई की आरती उतारें, तिलक करें और राखी बांधें।
यह पर्व भाई-बहन के प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक है। यह पवित्र संबंध को मजबूती देता है।
राजा बलि और लक्ष्मी जी की कथा सबसे प्रमुख है जिसमें लक्ष्मी ने रक्षा सूत्र बांधकर विष्णु जी को वापस ले आईं।
हां, कई बहनें इस दिन व्रत रखती हैं और भाई को राखी बाँधने के बाद ही भोजन करती हैं।
आप डाक, कूरियर या ऑनलाइन वेबसाइटों के माध्यम से राखी भेज सकती हैं।
लड्डू, खीर, गुलाब जामुन, पूरी, हलवा और मिठाइयाँ इस दिन बनती हैं।
मुख्यतः हां, लेकिन आजकल सैनिकों, गुरुओं, दोस्तों को भी राखी बांधी जाती है।
भारतीय प्रवासी ऑनलाइन राखी भेजते हैं और वीडियो कॉल से पर्व मनाते हैं।
कलावे या मौली से बनी राखियाँ, बीज वाली या इको-फ्रेंडली राखियाँ शुभ मानी जाती हैं।
गहने, कपड़े, पैसे, किताबें, या भावनात्मक उपहार देना अच्छा माना जाता है।
भाई-बहन के रिश्ते मजबूत होते हैं, परिवार में प्रेम और एकता बढ़ती है।
राखी बांधते समय यह मंत्र बोला जाता है:
“येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।”
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