पूर्णिमा (Purnima) की रात करें ये लक्ष्मी साधना, बदल जाएगी किस्मत! जानें आसान विधि और गुप्त रहस्य!
पूर्णिमा (Purnima) का दिन चंद्रमा की पूर्ण ऊर्जा से भरपूर होता है। यह समय आध्यात्मिक साधना और धन की देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन की गई लक्ष्मी साधना से व्यक्ति के जीवन में धन, सुख और समृद्धि का आगमन होता है। यदि इसे विधिपूर्वक किया जाए, तो देवी लक्ष्मी स्थायी रूप से घर में वास करती हैं।
पूर्णिमा तिथि को पूर्ण चंद्रमा की रोशनी के कारण संपूर्ण ब्रह्मांडीय ऊर्जा सक्रिय होती है। यही कारण है कि इस रात की गई ध्यान, जप और पूजन की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। देवी लक्ष्मी का संबंध शुद्धता, प्रकाश और आनंद से है, और पूर्णिमा की रात्रि इन सभी गुणों से युक्त होती है।
लक्ष्मी साधना शुरू करने से पहले कुछ आवश्यक सामग्रियाँ और तैयारियाँ की जानी चाहिए:
पूर्णिमा पर लक्ष्मी साधना के लिए शुभ मुहूर्त अत्यंत महत्वपूर्ण है। सामान्यतः यह साधना पूर्णिमा की रात 9 बजे से लेकर मध्यरात्रि तक की जाती है। इस समय देवी लक्ष्मी की ऊर्जा सबसे सक्रिय मानी जाती है।
टिप: चंद्रमा को जल अर्पित कर साधना आरंभ करें।
पूर्णिमा की रात बीज मंत्रों का जप बहुत फलदायी होता है। आप निम्न बीज मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें:
👉 “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः”
👉 “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”
इन मंत्रों के जाप से वास्तविक ऊर्जा उत्पन्न होती है और साधक के जीवन में धन वर्षा होती है।
लक्ष्मी साधना में श्रीयंत्र का विशेष स्थान है। इसे देवी लक्ष्मी का प्रतीक और घर बुलाने वाला यंत्र माना जाता है।
कमलगट्टे की माला से मंत्र जाप करने से साधना का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। यह माला धन-संबंधी साधनाओं में अत्यंत फलदायी मानी गई है।
पूर्णिमा पर चंद्रमा को अर्घ्य देना बहुत शुभ माना जाता है। इससे मन की शांति, मानसिक स्थिरता और धन की प्राप्ति होती है। चांदी के लोटे में दूध-मिश्रित जल लेकर चंद्रमा को अर्पित करें और यह मंत्र बोलें:
👉 “ॐ सोमाय नमः”
यदि आप लक्ष्मी साधना को और प्रभावशाली बनाना चाहते हैं, तो पूर्णिमा का व्रत रखें। इस दिन व्रत रखने से आत्मिक और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है।
व्रत रखने से मन एकाग्र होता है और साधना में पूर्ण सफलता मिलती है। फलाहार में आप दूध, फल, मखाना, साबूदाना आदि ले सकते हैं।
लक्ष्मी साधना का एक भाग है दीपदान। पूर्णिमा की रात कम से कम 11 दीपक घर के मुख्य द्वार, तुलसी के पास और पूजन स्थल पर जलाएं।
इन दीपों को जलाते समय यह मंत्र बोलें:
👉 “दीपज्योतिः परं ब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः। दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते॥”
पूर्णिमा पर की गई सही साधना के फलस्वरूप कई बार सपनों में लक्ष्मीजी का दर्शन हो सकता है। यदि आप सपने में कमल, स्वर्ण, चांदी, या लक्ष्मी मंदिर देखें, तो यह लाभ का संकेत है। ऐसे सपने यह बताते हैं कि लक्ष्मीजी की कृपा आप पर हो चुकी है।
साधना पूर्ण होने के बाद:
लक्ष्मी साधना के साथ-साथ यदि आप लक्ष्मी माता की कथा का पाठ करें, तो साधना पूर्ण मानी जाती है। यह कथा देवी लक्ष्मी के अवतरण और चमत्कारी कार्यों को बताती है। इससे मन धार्मिक भावनाओं से भर जाता है और देवी लक्ष्मी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
✅ करें:
❌ न करें:
पूर्णिमा पर की गई लक्ष्मी साधना से आपको निम्न लाभ हो सकते हैं:
पूर्णिमा का दिन देवी लक्ष्मी की साधना के लिए अत्यंत शुभ और फलदायक है। यदि आप श्रद्धा और नियमपूर्वक यह साधना करें, तो निश्चित रूप से धन, वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
साधना का सार यही है कि आप अपने मन, शरीर और घर को शुद्ध रखें और सच्चे मन से लक्ष्मी माता का ध्यान करें।
हाँ, स्त्री-पुरुष दोनों यह साधना कर सकते हैं, लेकिन श्रद्धा और नियमों का पालन आवश्यक है।
प्रभाव धीरे-धीरे प्रकट होता है, लेकिन सकारात्मक बदलाव निश्चित रूप से होता है।
घर में की जाने वाली साधारण लक्ष्मी साधना बिना गुरु के भी की जा सकती है, बशर्ते नियमों का पालन हो।
कम से कम रात्रि को 30 मिनट ध्यान, मंत्र और आरती अवश्य करें।
आरंभ में ॐ का उच्चारण और गहरी श्वास-प्रश्वास से ध्यान केंद्रित करें। यह सहायक होता है।
पूर्णिमा की रात चंद्रमा की ऊर्जा चरम पर होती है, जो आध्यात्मिक और धन-साधना के लिए अनुकूल होती है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा से धन, समृद्धि और शुभ फल प्राप्त होते हैं।
रात्रि 9 बजे से लेकर मध्यरात्रि (12 बजे तक) का समय सबसे उत्तम माना जाता है। इस समय साधना करने से साधक को अधिक लाभ होता है।
“ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः” और “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” दो मुख्य मंत्र हैं, जो धन प्राप्ति में सहायक माने जाते हैं।
व्रत अनिवार्य नहीं है, लेकिन रखने से साधना की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है और मन एकाग्र होता है।
हाँ, पूर्णिमा पर पुरुष और महिलाएं दोनों ही श्रद्धा और विधि अनुसार लक्ष्मी साधना कर सकते हैं।
हाँ, लेकिन श्रीयंत्र का प्रयोग करने से ऊर्जा का संचार बढ़ता है और साधना अधिक प्रभावशाली होती है।
लाल या पीले रंग के वस्त्र शुभ माने जाते हैं। ये देवी लक्ष्मी को प्रिय हैं और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं।
दीपक के साथ मंत्र जप और ध्यान आवश्यक है। केवल दीपक जलाने से आध्यात्मिक ऊर्जा सीमित रहती है।
पूजन के बाद देवी की आरती करें, प्रसाद बांटें और बची हुई सामग्री को तुलसी या पीपल के नीचे अर्पित करें।
हाँ, इस दिन सात्विक भोजन करें। मांसाहार, मद्यपान और नकारात्मक सोच साधना को निष्फल कर सकती है।
साधना का फल कर्म और श्रद्धा पर निर्भर करता है। कई बार परिणाम तुरंत दिखते हैं, कभी-कभी धीरे-धीरे।
हाँ, लेकिन उन्हें साधना में डिस्टर्ब न करें। यदि बच्चा शांत है तो ऊर्जा में बाधा नहीं आती।
नहीं, भाव शुद्ध होना चाहिए। मंत्र सही उच्चारण से अधिक प्रभावी होते हैं, लेकिन भाव ही मूल शक्ति है।
पूर्णिमा सबसे उत्तम है, लेकिन शुक्रवार, दीपावली और गुरु पुष्य योग जैसे दिनों पर भी यह साधना की जा सकती है।
लक्ष्मी प्रतिमा को हमेशा स्वच्छ और सुरक्षित रखें। उसे घर के मंदिर में स्थापित कर नियमित पूजन करते रहें।
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