पूर्णिमा (Purnima) का दिन हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र और शुभ माना गया है। यह दिन चंद्रमा की पूर्ण स्थिति का प्रतीक होता है, जब उसका प्रकाश संपूर्ण रूप से धरती पर फैलता है। इस रोशनी का संबंध सीधे हमारे मन, शरीर और आत्मा से जुड़ा होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूर्णिमा की रात माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा पाने का भी दिन होता है?
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजन क्यों करना चाहिए, इसके क्या लाभ होते हैं और इसे कैसे करना चाहिए। साथ ही हम यह भी जानेंगे कि पूर्णिमा की रात कौन से उपाय माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करते हैं।
हिंदू ग्रंथों और पुराणों में कहा गया है कि माँ लक्ष्मी का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था और वे चंद्रमा की रोशनी में प्रकट हुई थीं। चंद्रमा और लक्ष्मी दोनों को शुभता, शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
चूंकि चंद्रमा की ऊर्जा पूर्णिमा को अपने शिखर पर होती है, इसलिए इस दिन धन, सुख और वैभव की देवी लक्ष्मी का पूजन विशेष फलदायी होता है। यह रात आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होती है, जिससे की गई पूजा जल्दी फल देती है।
पूर्णिमा की रात सात्विक ऊर्जा से भरपूर मानी जाती है। यह रात आध्यात्मिक साधना, ध्यान और पूजा-पाठ के लिए सबसे उत्तम होती है। इस दिन किया गया पूजन व्यक्ति के जीवन में शुभ फल देता है।
पूर्णिमा को धन लाभ, मानसिक शांति, पारिवारिक सुख और जीवन में स्थायित्व के लिए खास माना जाता है। खासकर अगर आप माँ लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं, तो पूर्णिमा की रात को पूरी श्रद्धा और नियम से पूजन करें।
पूर्णिमा की रात को शुभ मुहूर्त में पूजन करने से माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सामान्यतः शाम के समय, सूर्यास्त के बाद और चंद्रमा के उदय के पश्चात पूजन करना शुभ होता है।
आप चाहें तो प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) या निशिता काल (रात का मध्य) में पूजन करें। ये दोनों समय तांत्रिक और वैदिक दोनों दृष्टियों से शुभ माने जाते हैं।
पूर्णिमा पर माँ लक्ष्मी की पूजा बहुत ही सरल है। नीचे दिए गए कदमों को ध्यानपूर्वक अपनाएं:
पूर्णिमा की रात बीज मंत्र और ध्यान मंत्रों का जाप करने से माँ लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं। कुछ विशेष मंत्र हैं:
इन मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार रुद्राक्ष की माला से करें।
पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजन से जीवन में अनेक सकारात्मक बदलाव आते हैं। इसके कुछ प्रमुख लाभ हैं:
इस रात को पूजा करने से सभी रुके हुए कार्य भी बनते हैं।
ये छोटे-छोटे उपाय आपके जीवन में लक्ष्मी का स्थायी निवास बना सकते हैं।
अगर आप पूर्णिमा के दिन व्रत या उपवास रखते हैं, तो इसका आध्यात्मिक और मानसिक लाभ भी मिलता है। व्रत करने से शरीर शुद्ध होता है और मन एकाग्र होता है।
इस दिन फलाहार करके, जल पीकर या एक समय भोजन करके व्रत रखा जा सकता है। व्रत के दौरान माँ लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें और पूजा में ध्यान लगाएं।
पुराणों के अनुसार, जो व्यक्ति पूर्णिमा की रात माँ लक्ष्मी का पूजन करता है, उसके जीवन से दरिद्रता हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है।
विष्णु पुराण और पद्म पुराण में उल्लेख है कि पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजन करने से आठ प्रकार की लक्ष्मी (अष्टलक्ष्मी) की कृपा प्राप्त होती है।
इन आठ लक्ष्मियों में – धन लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, वीरा लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी, गज लक्ष्मी और धैर्य लक्ष्मी शामिल हैं।
इन बातों का ध्यान रखने से लक्ष्मी की कृपा अधिक समय तक बनी रहती है।
माँ लक्ष्मी को कुछ विशेष वस्तुएं अत्यंत प्रिय हैं:
इन वस्तुओं को पूजन में शामिल करना लाभकारी माना जाता है।
साल भर में कुछ पूर्णिमा तिथियां अत्यंत शुभ और प्रभावशाली मानी जाती हैं, जैसे:
इन दिनों में किया गया पूजन सौ गुना फलदायी होता है।
ये उपाय आपके घर को धन, सुख और शांति का केंद्र बना देंगे।
पूर्णिमा की रात केवल चाँद को देखने और कविता लिखने की नहीं होती, बल्कि ये रात आपके भाग्य को चमकाने का अवसर है। अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन में धन, वैभव, सुख और समृद्धि का स्थायी वास हो, तो हर पूर्णिमा पर माँ लक्ष्मी का पूजन अवश्य करें।
पूर्णिमा पर चंद्रमा की ऊर्जा अत्यधिक होती है, जिससे किया गया लक्ष्मी पूजन विशेष फलदायी होता है। यह दिन धन, सुख और समृद्धि पाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
जी हां, आप हर पूर्णिमा तिथि पर माँ लक्ष्मी का पूजन कर सकते हैं। यह आपकी आर्थिक स्थिति और घर की सकारात्मकता को बढ़ाता है।
शरद पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, और वट पूर्णिमा विशेष मानी जाती हैं। इन दिनों लक्ष्मी पूजन का फल कई गुना बढ़ जाता है।
सूर्यास्त के बाद, विशेषकर प्रदोष काल और निशिता काल में पूजन करना सबसे शुभ माना गया है।
व्रत रखना अनिवार्य नहीं, लेकिन आध्यात्मिक लाभ के लिए बहुत अच्छा होता है। उपवास से मन और शरीर की शुद्धि होती है।
जी हां, माँ लक्ष्मी स्वच्छता पसंद करती हैं। इस दिन घर को अच्छे से साफ करना आवश्यक होता है, विशेषकर मुख्य द्वार और पूजा स्थान।
सफेद, गुलाबी या लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। काले कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
जी हां, इस दिन गरीबों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
शंख और घंटी की ध्वनि नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और शुभता लाती है। लक्ष्मी पूजन के समय शंख जरूर बजाएं।
जी हां, स्त्रियां भी पूरे श्रद्धा से पूजा कर सकती हैं। माँ लक्ष्मी को विशेष रूप से गृहिणी और महिलाओं से प्रेम होता है।
पूर्णिमा की रात झाड़ू नहीं लगानी चाहिए, खासकर सूर्यास्त के बाद। यह धन हानि का कारण बन सकता है।
पूजन का प्रभाव पूर्णिमा की रात ही सबसे अधिक होता है, लेकिन समय न हो तो अगली सुबह सूर्योदय से पहले पूजन किया जा सकता है।
अगर आप श्रद्धा, नियम और निष्ठा से लक्ष्मी पूजन करते हैं, तो निश्चित ही जीवन में धन, समृद्धि और स्थायित्व आता है।
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