नवरात्रि (Navratri) में लक्ष्मी पूजन का रहस्य: क्यों खुलते हैं धन-संपत्ति के द्वार इन 9 दिनों में ?
नवरात्रि (Navratri) हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पवित्र पर्व है जो वर्ष में दो बार मनाया जाता है—चैत्र और शारदीय नवरात्रि। यह पर्व मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना को समर्पित होता है। हर दिन देवी के एक रूप की पूजा होती है, जिससे भक्तों को शक्ति, ज्ञान, प्रेम, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
हालांकि यह पर्व मुख्यतः दुर्गा पूजा से जुड़ा है, लेकिन लक्ष्मी पूजन का भी विशेष महत्व होता है। बहुत से लोग नवरात्रि के अष्टमी या नवमी के दिन विशेष रूप से महालक्ष्मी की पूजा करते हैं।
देवी दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी—इन तीनों देवियों को त्रिदेवी कहा गया है। दुर्गा शक्ति का प्रतीक हैं, सरस्वती ज्ञान का और लक्ष्मी धन-संपत्ति व समृद्धि की अधिष्ठात्री हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में तीनों देवियों की आराधना क्रमशः की जाती है:
इसलिए नवरात्रि में लक्ष्मी पूजन करना ना सिर्फ परंपरा का हिस्सा है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का भी प्रतीक है।
मां लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य, सुख और वैभव की देवी माना गया है। नवरात्रि के मध्य दिनों में जब व्यक्ति मां दुर्गा से शक्ति प्राप्त कर चुका होता है, तब वह मां लक्ष्मी से आर्थिक समृद्धि की कामना करता है।
नवरात्रि का यह समय ध्यान और साधना के लिए अत्यंत शुभ होता है। कहा जाता है कि इन दिनों किया गया लक्ष्मी पूजन विशेष फलदायी होता है क्योंकि यह सिद्धि काल होता है।
स्कंद पुराण, देवी भागवत, और मार्कण्डेय पुराण जैसे ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि नवरात्रि में देवी लक्ष्मी की विशेष आराधना करने से जीवन में दरिद्रता समाप्त होती है और अखंड लक्ष्मी का वास होता है।
शास्त्रों में यह भी कहा गया है:
“या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता…”
इसका अर्थ है कि हर जीव में देवी लक्ष्मी का अंश विद्यमान है। नवरात्रि के माध्यम से हम अपने भीतर की उस लक्ष्मी शक्ति को जाग्रत करते हैं।
नवरात्रि की अष्टमी और नवमी को विशेष रूप से शुभ माना गया है। यह दो दिन मां दुर्गा के सबसे शक्तिशाली रूपों की आराधना के लिए माने जाते हैं। कई स्थानों पर अष्टमी को ही महालक्ष्मी का पूजन करते हैं ताकि अंतिम दिनों में मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो।
कन्या पूजन के साथ-साथ लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है, क्योंकि कन्याओं को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है।
एक कथा के अनुसार, राजा ध्रुव सेन ने नवरात्रि में देवी लक्ष्मी की पूजा करके अपनी खोई हुई समृद्धि को प्राप्त किया था। वहीं पांडवों ने भी अज्ञातवास के समय मां लक्ष्मी की साधना कर युद्ध के लिए धन और संसाधन जुटाए थे।
इन कथाओं से स्पष्ट है कि नवरात्रि में लक्ष्मी पूजन करने से कठिन समय में भी साधक को समृद्धि मिल सकती है।
लक्ष्मी पूजन की विधि बहुत ही सरल है लेकिन पूर्ण श्रद्धा और पवित्रता से करनी चाहिए:
इस विधि से की गई पूजा बहुत फलदायी मानी जाती है।
नवरात्रि के दौरान निम्नलिखित दिन लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ माने जाते हैं:
इन दिनों में लक्ष्मी की पूजा से विशेष धन लाभ और आर्थिक स्थिरता मिलती है।
नवरात्रि के समय इन महामंत्रों का जप किया जाता है:
इन मंत्रों का जाप 108 बार करना श्रेष्ठ होता है। इससे साधक के जीवन में धन, वैभव और यश का आगमन होता है।
नवरात्रि में उपवास रखना भी एक शक्तिशाली साधना मानी जाती है। उपवास से मन और शरीर शुद्ध होते हैं जिससे लक्ष्मी साधना में सिद्धि प्राप्त होती है। कई लोग विशेष रूप से अष्टमी या नवमी को लक्ष्मी के लिए व्रत करते हैं।
नवरात्रि में वास्तु अनुसार लक्ष्मी पूजन करना अत्यंत लाभकारी होता है:
इससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है।
नवरात्रि में लक्ष्मी पूजन करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
निम्नलिखित लोगों को यह पूजन अवश्य करना चाहिए:
इन सावधानियों से पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
कुछ सरल उपाय जो नवरात्रि में लक्ष्मी पूजन के साथ किए जा सकते हैं:
ये छोटे-छोटे उपाय भी लक्ष्मी को आकर्षित करते हैं।
नवरात्रि केवल शक्ति की आराधना नहीं, बल्कि शक्ति, समृद्धि और ज्ञान का संतुलित साधना काल है। लक्ष्मी पूजन इस काल का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो साधक के जीवन को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाता है।
नवरात्रि में लक्ष्मी पूजन से धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह नौ दिनों की साधना का एक प्रमुख अंग है।
अष्टमी और नवमी के दिन विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ माने जाते हैं।
हाँ, स्कंद पुराण, देवी भागवत आदि शास्त्रों में लक्ष्मी पूजन की स्पष्ट अनुशंसा की गई है।
नवरात्रि में त्रिदेवियों की पूजा होती है—दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती। इसलिए लक्ष्मी पूजन भी आवश्यक है।
हाँ, श्रद्धा से लक्ष्मी पूजन करने पर व्यवसाय में वृद्धि और नौकरी में उन्नति मिलती है।
“ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” और “श्री सूक्त” का जप अत्यंत प्रभावशाली होता है।
हाँ, कन्याएं लक्ष्मी का ही स्वरूप मानी जाती हैं, इसलिए दोनों पूजन साथ किए जा सकते हैं।
जी हाँ, श्री यंत्र को लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। इसकी पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है।
हाँ, व्रत रखने से साधना में एकाग्रता और शुद्धता आती है जिससे पूजन का फल बढ़ता है।
खीर, मिश्री, मेवे, नारियल, और कमल पुष्प मां लक्ष्मी को अर्पित किए जाते हैं।
नहीं, पुरुष, स्त्री, बच्चे सभी श्रद्धापूर्वक लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं।
पूजन करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करना श्रेष्ठ माना गया है।
जी हाँ, नवरात्रि एक सिद्धि काल है, और इस समय मंत्र सिद्धि के लिए उपयुक्त समय होता है।
बिलकुल, मां लक्ष्मी स्वच्छता और पवित्रता की प्रतीक हैं, अतः पूजा से पहले घर को स्वच्छ करना चाहिए।
लक्ष्मी पूजन से ऋण मुक्ति, धन की प्राप्ति, वास्तु दोष का शमन और घर में सुख-शांति का वास होता है।
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