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शुक्रवार का व्रत (Friday Vrat) कैसे करें – विधि और लाभ

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शुक्रवार का व्रत (Friday Vrat) कैसे करें – विधि और लाभ


शुक्रवार का व्रत (Friday Vrat) देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह व्रत धन, सौभाग्य, सुख और वैवाहिक जीवन में संतुलन लाने के लिए रखा जाता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी होता है जो आर्थिक तंगी, पारिवारिक कलह या वैवाहिक समस्याओं से परेशान हैं। इस लेख में हम जानेंगे शुक्रवार व्रत की पूरी विधि, नियम, और आश्चर्यजनक लाभ

Contents

शुक्रवार व्रत (Friday Vrat) का धार्मिक महत्व

शुक्रवार का संबंध शुक्र ग्रह से है, जो सौंदर्य, भोग, वैभव, प्रेम और धन का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में यह दिन देवी महालक्ष्मी, संतोषी माता और वैभव लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन व्रत रखने से घर में लक्ष्मी स्थायी रूप से निवास करती हैं और व्यक्ति को आर्थिक तथा पारिवारिक समृद्धि प्राप्त होती है।


शुक्रवार व्रत (Friday Vrat) रखने से पहले तैयारी

व्रत शुरू करने से पहले कुछ आवश्यक नियमों और तैयारियों का पालन करें:

  • व्रत वाले दिन प्रातःकाल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें।
  • महालक्ष्मी या संतोषी माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • व्रत में मन, वचन और कर्म से शुद्धता बनाए रखें
  • व्रत का संकल्प लेकर सात या सोलह शुक्रवार तक इसे नियमित रूप से करें।

शुक्रवार व्रत (Friday Vrat) की विधि

पूजा विधि इस प्रकार है:

  1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजन स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
  3. देवी लक्ष्मी या संतोषी माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  4. एक थाली में सफेद फूल, चावल, रोली, जल, और सुपारी रखें।
  5. देवी को खीर, चने और गुड़ का भोग अर्पित करें।
  6. श्री सूक्त या लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ करें।
  7. अगर संतोषी माता का व्रत है, तो खट्टे चीज़ों से परहेज़ करें।
  8. व्रत कथा पढ़ें और आरती करें।
  9. व्रत के उपरांत प्रसाद सभी को बांटें।

शुक्रवार व्रत (Friday Vrat) की कथा

व्रत कथा का श्रवण या पाठ करना अत्यंत आवश्यक और शुभ माना जाता है। संतोषी माता की कथा में बताया गया है कि कैसे एक निर्धन युवक ने माता का व्रत करके अपनी गरीबी दूर की और संपन्नता प्राप्त की। इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि श्रद्धा और संयम से किया गया व्रत जीवन को बदल सकता है।


शुक्रवार व्रत (Friday Vrat) में क्या खाएं और क्या न खाएं?

व्रत में खाए जाने वाले पदार्थ:

  • दूध, फल, खीर, साबूदाना, आलू से बनी व्रत की चीजें
  • सेंधा नमक का उपयोग करें
  • अगर संकल्प किया हो तो केवल खीर-चना-गुड़ का भोग लगाएं

वर्जित चीजें:

  • खट्टे पदार्थ (विशेषकर संतोषी माता के व्रत में)
  • लहसुन-प्याज, मांसाहार
  • अनाज और तले हुए भारी खाद्य

शुक्रवार व्रत (Friday Vrat) के लाभ

इस व्रत से मिलने वाले लाभ चमत्कारी माने गए हैं:

  • आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है।
  • घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  • पति-पत्नी के संबंधों में मधुरता आती है।
  • कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है।
  • नौकरी, व्यापार और कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है।
  • कर्ज से मुक्ति और धन वृद्धि होती है।
  • मन की शांति और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।

शुक्रवार व्रत (Friday Vrat) कब से शुरू करें?

शुक्रवार व्रत को किसी भी शुभ शुक्रवार से आरंभ किया जा सकता है। विशेष रूप से:

  • शुक्रवार को पूर्णिमा या अमावस्या का योग हो तो अत्यंत शुभ होता है।
  • शुक्र पुष्य योग, दिवाली से पहले के शुक्रवार, या गुरुवार-शुक्रवार-संक्रांति योग भी उत्तम माने जाते हैं।

व्रत की संख्या और समापन

व्रत की संख्या 7, 11, 16 या 21 शुक्रवार तक रखी जाती है। यदि विशेष संकल्प न लिया गया हो, तो व्रत को जीवनभर भी किया जा सकता है।

समापन विधि:

  • अंतिम व्रत के दिन विशेष पूजा करें।
  • ब्रह्मभोज या कन्या भोज कराएं।
  • संभव हो तो जरूरतमंदों को सफेद वस्त्र, चावल, मिठाई और दक्षिणा दें।
  • माता को मन से धन्यवाद दें और व्रत की सफलता के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें।

शुक्रवार व्रत (Friday Vrat) में संतोषी माता की विशेष भूमिका

कई लोग शुक्रवार को संतोषी माता का व्रत भी करते हैं। ये माता धैर्य, संतोष और सरलता की प्रतीक मानी जाती हैं। उनकी पूजा से न केवल आर्थिक समृद्धि मिलती है बल्कि आंतरिक शांति और संतोष भी मिलता है। व्रत में विशेष ध्यान रखा जाता है कि खट्टे चीजें न खाई जाएं, क्योंकि माता को यह पसंद नहीं है।


शुक्रवार व्रत (Friday Vrat) के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

  • व्रत में मन और वाणी की शुद्धता बहुत जरूरी है।
  • झूठ, चोरी, अपशब्द या दूसरों का अपमान न करें।
  • व्रत के दिन दान-पुण्य अवश्य करें।
  • व्रत में अनावश्यक गुस्से या तनाव से बचें।
  • पूजा के दौरान मोबाइल या अनावश्यक बातचीत न करें।

यदि व्रत न कर सकें तो क्या करें?

यदि कोई व्यक्ति शारीरिक कारणों या जीवनशैली के कारण पूरा दिन व्रत न रख सके, तो भी वह निम्न उपाय करके लाभ प्राप्त कर सकता है:

  • सुबह देवी लक्ष्मी की पूजा करें।
  • केवल एक समय हल्का भोजन करें।
  • लक्ष्मी मंत्र, श्रीसूक्त, या शुक्रवार का ध्यान करें।
  • गरीबों को दान करें।
  • पूरे दिन मन, वाणी और कर्म से संयम रखें।

शुक्रवार व्रत (Friday Vrat) के मंत्र

कुछ प्रभावशाली मंत्र जो शुक्रवार को जपे जा सकते हैं:

1. लक्ष्मी बीज मंत्र:
🔸 ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः॥

2. संतोषी माता मंत्र:
🔸 ॐ संतोष्यै नमः॥

इन मंत्रों को 11, 21 या 108 बार जपने से विशेष लाभ होता है।


शुक्रवार का व्रत (Friday Vrat) कैसे करें – विधि और लाभ!

शुक्रवार व्रत (Friday Vrat) से जुड़े कुछ अनुभव और मान्यताएं

  • बहुत से श्रद्धालु बताते हैं कि इस व्रत से अचानक धन प्राप्ति हुई।
  • कई महिलाएं कहती हैं कि व्रत से संतान सुख या वैवाहिक सुख में वृद्धि हुई।
  • कुछ व्यापारियों का मानना है कि व्रत के कारण नुकसान से उबरकर लाभ हुआ।

इन अनुभवों से स्पष्ट होता है कि श्रद्धा, नियम और निष्ठा से किया गया व्रत अवश्य फलदायी होता है।


शुक्रवार का व्रत एक अत्यंत प्रभावशाली और सरल उपाय है जिससे देवी लक्ष्मी और संतोषी माता की कृपा प्राप्त की जा सकती है। यह न केवल धन-संपत्ति की वृद्धि करता है, बल्कि जीवन में सुख-शांति और संतोष भी लाता है। सही विधि, सच्ची श्रद्धा और संयम के साथ किया गया यह व्रत जीवन के कई दुखों से मुक्ति दिला सकता है।


FAQs: शुक्रवार व्रत (Friday Vrat) से जुड़े सामान्य प्रश्न

1. शुक्रवार का व्रत (Friday Vrat) किसे करना चाहिए?

वह सभी लोग जो आर्थिक तंगी, पारिवारिक असंतोष या वैवाहिक परेशानियों से जूझ रहे हैं।

2. क्या शुक्रवार का व्रत (Friday Vrat) पुरुष भी कर सकते हैं?

हाँ, यह व्रत स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं।

3. व्रत में क्या-क्या दान करें?

सफेद वस्त्र, खीर, गुड़, चावल, पैसे और प्रसाद का वितरण करें।

4. व्रत में खट्टे पदार्थ क्यों नहीं खाए जाते?

खट्टे पदार्थ माता को अप्रिय माने जाते हैं, इससे व्रत का प्रभाव कम हो सकता है।

5. शुक्रवार व्रत (Friday Vrat) की कथा कब पढ़ें?

पूजा के बाद कथा पढ़नी चाहिए।


शुक्रवार का व्रत (Friday Vrat) कैसे करें – विधि और लाभ (FAQs) —


1. शुक्रवार का व्रत (Friday Vrat) किस देवी को समर्पित होता है?

शुक्रवार का व्रत मुख्यतः देवी लक्ष्मी और संतोषी माता को समर्पित होता है। कुछ लोग इसे वैभव लक्ष्मी के लिए भी करते हैं।


2. शुक्रवार का व्रत (Friday Vrat) कब शुरू करें?

किसी भी शुभ शुक्रवार से शुरू कर सकते हैं, विशेषकर पूर्णिमा, शुक्र पुष्य योग या दीपावली से पूर्व का शुक्रवार अत्यंत शुभ माना जाता है।


3. व्रत कितने शुक्रवार तक करना चाहिए?

सामान्यतः 7, 11, 16 या 21 शुक्रवार तक किया जाता है। विशेष मनोकामना के लिए व्यक्ति अपनी श्रद्धा से निर्णय ले सकता है।


4. क्या पुरुष भी शुक्रवार का व्रत (Friday Vrat) रख सकते हैं?

हाँ, स्त्री और पुरुष दोनों यह व्रत कर सकते हैं।


5. व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं?

खाएं: फल, खीर, साबूदाना, आलू, दूध
न खाएं: खट्टे पदार्थ, प्याज-लहसुन, मांसाहार


6. क्या संतोषी माता के व्रत में खट्टा बिल्कुल नहीं खा सकते?

जी हाँ, संतोषी माता के व्रत में खट्टे पदार्थ वर्जित होते हैं, वरना व्रत का फल नहीं मिलता।


7. शुक्रवार व्रत की पूजा कब करनी चाहिए?

पूजा प्रातः काल या शाम को सूर्यास्त से पहले की जाती है।


8. शुक्रवार व्रत में कौन सी कथा सुननी चाहिए?

यदि संतोषी माता का व्रत है तो उनकी कथा, और अगर लक्ष्मी व्रत है तो श्री लक्ष्मी व्रत कथा सुननी चाहिए।


9. क्या शुक्रवार का व्रत बिना संकल्प के किया जा सकता है?

हाँ, लेकिन संकल्प लेकर नियमित रूप से करना अधिक फलदायी होता है।


10. व्रत समाप्ति पर क्या करना चाहिए?

अंतिम शुक्रवार को विशेष पूजा, कन्या भोज या ब्राह्मण भोज, तथा दान करना शुभ होता है।


11. क्या व्रत के दिन किसी और देवी-देवता की पूजा कर सकते हैं?

मुख्य रूप से लक्ष्मी या संतोषी माता की पूजा करें, पर अन्य देवी-देवताओं की पूजा में कोई बाधा नहीं है।


12. क्या व्रत के दिन नौकरी या काम पर जाना ठीक है?

हाँ, लेकिन मन में श्रद्धा और संयम बनाए रखें, तो व्रत सफल रहता है।


13. क्या एक समय भोजन करने से व्रत मान्य होगा?

हाँ, एक समय फलाहार या व्रत भोजन से भी व्रत मान्य होता है, यदि आप शारीरिक रूप से असमर्थ हैं।


14. शुक्रवार व्रत (Friday Vrat) में कौन-से मंत्र जपें?

  • ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
  • ॐ संतोष्यै नमः
  • ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः

15. अगर व्रत बीच में टूट जाए तो क्या करें?

अगले शुक्रवार से व्रत दोबारा शुरू करें। अंत में व्रत पूरा न हो पाए तो क्षमायाचना करें।


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