इस दीपावली (Diwali) करें लक्ष्मी पूजा की ये आसान विधि और पाएं अपार धन-संपत्ति!
दीपावली (Diwali) भारत का सबसे प्रमुख और शुभ त्योहार है। इसे धन, समृद्धि और रौशनी का पर्व माना जाता है। इस दिन माँ लक्ष्मी, भगवान विष्णु की पत्नी और धन की देवी, की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि दीपावली की रात माँ लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और वह घर में निवास करती हैं जहाँ साफ-सफाई, दीपक और पूजा सही ढंग से की जाती है।
लक्ष्मी पूजा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह हमारे मन में सकारात्मक ऊर्जा, आशा और समृद्ध जीवन की भावना भी भरती है। इसलिए यह आवश्यक है कि पूजा सही विधि और श्रद्धा के साथ की जाए।
दीपावली के दिन अमावस्या की रात को लक्ष्मी पूजन किया जाता है। यह दिन पंचांग के अनुसार विशेष होता है। पूजा के लिए सबसे उत्तम समय ‘प्रदोष काल’ और ‘निशिता काल’ माने जाते हैं।
इन समयों में की गई पूजा को सबसे प्रभावशाली और फलदायक माना जाता है। मुहूर्त के समय माता लक्ष्मी का आगमन घर में होता है और वह देर तक निवास करती हैं।
लक्ष्मी पूजन करने से पहले कुछ आवश्यक तैयारियाँ करनी होती हैं:
पूजा स्थल को पवित्र और शांत रखें। वहाँ एक चौकी बिछाएं और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। इसके ऊपर माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियों को स्थापित करें। गणेश जी को पूजा में इसलिए शामिल किया जाता है क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं और हर शुभ कार्य में उनकी उपस्थिति अनिवार्य मानी जाती है।
मूर्तियों के सामने कलश रखें जिसमें जल, आम का पत्ता और नारियल हो। साथ में धन के प्रतीक रूप में चावल, हल्दी, कमलगट्टा, सिक्के आदि रखें। कमलगट्टा और कमल के फूल लक्ष्मी जी को विशेष प्रिय होते हैं।
पूजा में इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं इस प्रकार हैं:
इन सामग्रियों के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। इन्हें श्रद्धा और विधिपूर्वक प्रयोग करना आवश्यक है।
सबसे पहले भगवान गणेश जी की पूजा करें। उन्हें रोली, चावल, फूल, दीप आदि अर्पित करें। उन्हें मोदक या लड्डू अर्पित करें।
कलश को रोली, चावल और पुष्प से पूजें। कलश में रखे नारियल पर भी तिलक करें।
लक्ष्मी जी की मूर्ति को पहले पंचामृत से स्नान कराएं, फिर स्वच्छ जल से धोकर ताजे वस्त्र पहनाएं। इसके बाद मूर्ति पर चंदन, कुमकुम और पुष्प अर्पित करें।
लक्ष्मी माता के सामने रखें सिक्कों, बहीखाते और धन के प्रतीकों की पूजा करें। साथ ही “श्रीयंत्र” हो तो उसकी भी पूजा करें।
पूरी पूजा के दौरान दीपक जलते रहने चाहिए। अंत में 11, 21 या 51 दीपक जलाकर उन्हें घर के प्रत्येक कोने में रखें।
लक्ष्मी पूजा के दौरान कुछ मंत्रों और स्तोत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ होता है:
लक्ष्मी बीज मंत्र: “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”
लक्ष्मी स्तोत्र (श्री सूक्त): यदि समय हो तो संक्षिप्त श्री सूक्त का पाठ करें।
महालक्ष्मी अष्टकम: “नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते…”
इन मंत्रों के उच्चारण से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है और लक्ष्मी जी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
लक्ष्मी पूजन का समापन आरती के साथ होता है। सभी देवी-देवताओं की आरती करें:
आरती के बाद सभी उपस्थित लोगों को प्रसाद वितरित करें और परिवार के साथ दीपों से घर को रोशन करें।
इन उपायों से लक्ष्मी जी का स्थायी वास आपके घर में बना रहता है।
इन बातों का ध्यान रखकर आप लक्ष्मी जी की कृपा पा सकते हैं।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिससे धन, सुख और शांति का आगमन होता है। यदि यह पूजा श्रद्धा, विधिपूर्वक और पूर्ण मनोयोग से की जाए, तो लक्ष्मी माता अवश्य प्रसन्न होती हैं।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि यह दिन धन, सुख और समृद्धि की देवी लक्ष्मी जी के स्वागत का पर्व है। इस दिन पूजा करने से घर में धन और सौभाग्य का आगमन होता है।
लक्ष्मी पूजा का सबसे शुभ समय प्रदोष काल और निशिता काल होता है। यह समय सूर्यास्त के बाद से लेकर रात के मध्य तक होता है।
नहीं, लक्ष्मी पूजा को अमावस्या की रात को ही करना उचित होता है क्योंकि उस समय आध्यात्मिक ऊर्जा सबसे अधिक सक्रिय रहती है।
माना जाता है कि लक्ष्मी जी साफ-सुथरे और सुंदर घर में ही निवास करती हैं। इसलिए पूजा से पहले संपूर्ण घर की सफाई अनिवार्य होती है।
लक्ष्मी जी के साथ-साथ भगवान गणेश, कुबेर देवता, और सरस्वती माता की भी पूजा की जाती है।
लाल कपड़ा, मूर्तियाँ, दीपक, धूपबत्ती, रोली, चावल, कलश, कमलगट्टा, कमल का फूल, मिठाई, पंचामृत आदि पूजा में उपयोग होते हैं।
लक्ष्मी जी को कमल का फूल, गुलाब और चमेली के फूल विशेष रूप से प्रिय माने जाते हैं।
हाँ, श्रीयंत्र को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे पूजा में रखकर लक्ष्मी जी का आह्वान किया जा सकता है।
अगर मूर्तियाँ मिट्टी की हैं तो पवित्र जल में विसर्जित की जा सकती हैं। स्थायी मूर्तियों को साफ करके सुरक्षित स्थान पर रखें।
पूजा के बाद दीपक को घर के हर कोने, दरवाजे, खिड़की और बालकनी में रखें ताकि रौशनी और सकारात्मक ऊर्जा पूरे घर में फैले।
हाँ, यदि श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजा की जाए तो व्यक्ति अकेले भी लक्ष्मी पूजन कर सकता है।
नहीं, दीपावली की रात झाड़ू निकालना या घर से कचरा बाहर करना लक्ष्मी जी के अपमान के बराबर माना जाता है।
“ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”, “जय लक्ष्मी माता”, और श्री सूक्त के मंत्र पढ़ना अत्यंत शुभ माना जाता है।
हाँ, लक्ष्मी जी के स्वागत हेतु उनके चरणों के चिह्न बनाना शुभ माना जाता है। यह संकेत होता है कि माँ लक्ष्मी आपके घर में प्रवेश कर रही हैं।
हर शुक्रवार लक्ष्मी मंत्रों का जाप, घर की सफाई, दीपक जलाना और ध्यान-पूजन करना माँ लक्ष्मी की कृपा बनाए रखने में सहायक होता है।
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