अशोक अष्टमी व्रत: (Ashok Ashtami Vrat) जानिए इस पावन दिन की कथा, महत्व और चमत्कारी लाभ!

Soma
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अशोक अष्टमी व्रत: (Ashok Ashtami Vrat) जानिए इस पावन दिन की कथा, महत्व और चमत्कारी लाभ!

अशोक अष्टमी व्रत: (Ashok Ashtami Vrat) जानिए इस पावन दिन की कथा, महत्व और चमत्कारी लाभ!


अशोक अष्टमी की कथा और लाभ

अशोक अष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से माता दुर्गा और भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस व्रत को करने से सभी दुःख-दर्द और संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में शांति व समृद्धि आती है।

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इस दिन माता दुर्गा के अष्टम स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से सभी परेशानियाँ समाप्त हो जाती हैं और व्यक्ति को मनचाहा फल प्राप्त होता है। इस पावन दिन को विशेष रूप से पूर्वी भारत, विशेषकर ओडिशा और बंगाल में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

अशोक अष्टमी व्रत (Ashok Ashtami Vrat) की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में रघु वंश के एक राजा को गंभीर संकटों का सामना करना पड़ा। राजा ने अनेक उपाय किए, लेकिन समस्याएँ खत्म नहीं हुईं। तब एक ऋषि ने उन्हें अशोक अष्टमी व्रत करने की सलाह दी। राजा ने विधिपूर्वक यह व्रत किया और माता दुर्गा की कृपा से सभी कष्ट दूर हो गए

एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान राम ने भी लंका पर विजय पाने के लिए इसी दिन माता दुर्गा की उपासना की थी। माता की कृपा से ही उन्हें रावण पर विजय प्राप्त हुई। इसलिए इस दिन को संकटों से मुक्ति और विजय का प्रतीक माना जाता है।

अशोक अष्टमी व्रत (Ashok Ashtami Vrat) की विधि

इस दिन व्रती को प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर माता दुर्गा और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें।

🔹 व्रत के नियम:

  • उपवास रखें और केवल फलाहार या सात्विक भोजन करें।
  • माता दुर्गा को चरणामृत, रोली, चंदन, पुष्प और धूप-दीप अर्पित करें।
  • “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का जप करें।
  • अशोक वृक्ष की पत्तियों को जल में प्रवाहित करें, जिससे नकारात्मकता समाप्त होती है।

अशोक अष्टमी का महत्व

🔹 दुःखों से मुक्ति – यह व्रत जीवन में आने वाले सभी प्रकार के संकटों को दूर करता है।
🔹 स्वास्थ्य लाभ – यह व्रत करने से मानसिक शांति मिलती है और शरीर निरोगी रहता है।
🔹 परिवार में सुख-समृद्धि – अशोक अष्टमी के दिन पूजा करने से घर में सुख, शांति और धन की वृद्धि होती है।
🔹 संतान प्राप्ति – जो महिलाएँ संतान सुख की इच्छा रखती हैं, उन्हें इस दिन विशेष पूजा और व्रत करना चाहिए।

अशोक अष्टमी और अशोक वृक्ष का संबंध

अशोक अष्टमी पर अशोक वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि अशोक वृक्ष के नीचे बैठकर माता सीता ने अपने दुःखों का अंत करने के लिए माता दुर्गा की आराधना की थी। अशोक वृक्ष के पत्ते और फूल जीवन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं।

अशोक अष्टमी व्रत: (Ashok Ashtami Vrat) जानिए इस पावन दिन की कथा, महत्व और चमत्कारी लाभ!
अशोक अष्टमी व्रत: (Ashok Ashtami Vrat) जानिए इस पावन दिन की कथा, महत्व और चमत्कारी लाभ!

अशोक अष्टमी के दिन क्या करें और क्या न करें?

करें:
✔ माता दुर्गा की पूजा करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
✔ जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।
✔ घर में सुख-समृद्धि के लिए अशोक वृक्ष की पत्तियाँ रखें।

न करें:
✖ झूठ, क्रोध और नकारात्मक विचारों से बचें।
✖ किसी भी जीव को कष्ट न दें।
✖ अधिक तामसिक भोजन (लहसुन-प्याज आदि) से परहेज करें।

अशोक अष्टमी व्रत एक अत्यंत पवित्र और लाभकारी व्रत है। इसे करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। माता दुर्गा की कृपा से व्यक्ति सभी संकटों से मुक्त होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है। यदि आप भी जीवन में सुख-समृद्धि और कष्टों से मुक्ति चाहते हैं, तो इस पावन व्रत को अवश्य करें।

अशोक अष्टमी व्रत (Ashok Ashtami Vrat) से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

1. अशोक अष्टमी कब मनाई जाती है?

अशोक अष्टमी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।

2. अशोक अष्टमी का धार्मिक महत्व क्या है?

इस दिन माता दुर्गा की पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में शांति व समृद्धि आती है।

3. अशोक अष्टमी व्रत (Ashok Ashtami Vrat) कौन कर सकता है?

इस व्रत को कोई भी व्यक्ति (महिला या पुरुष) कर सकता है, विशेष रूप से वे जो कष्टों से मुक्ति चाहते हैं

4. अशोक अष्टमी का नाम “अशोक” क्यों पड़ा?

“अशोक” का अर्थ है जिससे शोक (दुःख) का नाश हो। इस दिन व्रत करने से दुःखों का अंत होता है, इसलिए इसे अशोक अष्टमी कहते हैं।

5. इस दिन माता दुर्गा के किस स्वरूप की पूजा की जाती है?

इस दिन माता दुर्गा के अष्टम स्वरूप “महागौरी” की पूजा की जाती है।

6. अशोक अष्टमी की पौराणिक कथा क्या है?

मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने लंका विजय के लिए माता दुर्गा की पूजा की थी, जिससे उन्हें सफलता मिली।

7. अशोक अष्टमी के दिन कौन से उपाय करने चाहिए?

  • अशोक वृक्ष की पूजा करें।
  • माता दुर्गा को फल, फूल और दुर्गा सप्तशती का पाठ अर्पित करें।
  • जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें।

8. क्या अशोक अष्टमी पर उपवास रखना आवश्यक है?

हाँ, इस दिन उपवास रखने से विशेष फल मिलता है, लेकिन जो न कर सकें वे सात्विक भोजन कर सकते हैं।

9. अशोक वृक्ष का इस दिन क्या महत्व है?

अशोक वृक्ष सुख और समृद्धि का प्रतीक है। इसे जल चढ़ाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

10. क्या अशोक अष्टमी पर केवल महिलाएँ ही व्रत कर सकती हैं?

नहीं, यह व्रत महिला और पुरुष दोनों कर सकते हैं। विशेष रूप से संतान सुख की इच्छा रखने वाली महिलाएँ इसे जरूर करें।

11. अशोक अष्टमी के दिन कौन सा मंत्र जपना चाहिए?

इस दिन “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का 108 बार जप करना शुभ होता है।

12. क्या इस दिन घर में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना शुभ होता है?

हाँ, दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से सभी बाधाएँ दूर होती हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

13. अशोक अष्टमी के दिन क्या दान करना चाहिए?

  • गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करें।
  • माता दुर्गा को हल्दी, सिंदूर और लाल चूड़ियाँ अर्पित करें।

14. अशोक अष्टमी के दिन कौन से कार्य नहीं करने चाहिए?

  • क्रोध, झूठ और नकारात्मक विचारों से बचें।
  • मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
  • किसी भी व्यक्ति या जीव को कष्ट न दें।

15. अशोक अष्टमी का लाभ किन-किन परेशानियों से छुटकारा दिला सकता है?

  • कर्ज और आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है।
  • वैवाहिक जीवन में सुख आता है।
  • संतान प्राप्ति और स्वास्थ्य संबंधी लाभ होते हैं।
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