अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) 2025: इस दिन बदल सकती है आपकी किस्मत! जानें पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

Soma
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अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) 2025: इस दिन बदल सकती है आपकी किस्मत! जानें पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) 2025: इस दिन बदल सकती है आपकी किस्मत! जानें पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त


अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) (5 अप्रैल): महत्व, पूजा विधि और पौराणिक कथा

अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) का महत्व

अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत और पर्व है, जिसे हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मां दुर्गा और विशेष रूप से देवी सीता और भगवान राम की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन का नाम “अशोक” इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन सभी प्रकार के दुखों और कष्टों का नाश होता है।

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अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) का पौराणिक संदर्भ

अशोक अष्टमी का संबंध रामायण और देवी दुर्गा से जोड़ा जाता है। एक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीराम ने रावण का वध करने से पहले मां दुर्गा की विशेष आराधना की थी और उनकी कृपा से विजय प्राप्त की थी। इसके अलावा, यह भी कहा जाता है कि इसी दिन माता सीता ने अशोक वाटिका में अपनी पीड़ा को समाप्त करने के लिए देवी दुर्गा की उपासना की थी, जिससे इस पर्व को “अशोक अष्टमी” कहा गया।

अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) की पूजा विधि

  1. स्नान एवं संकल्प: प्रातःकाल उठकर गंगा स्नान या शुद्ध जल से स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
  2. मां दुर्गा की पूजा: मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं और कुमकुम, चंदन, पुष्प और धूप-दीप से पूजा करें।
  3. अशोक वृक्ष की पूजा: इस दिन अशोक के पत्तों का विशेष महत्व है। इन्हें मां दुर्गा को अर्पित करें और इनके नीचे बैठकर मंत्र जाप करें।
  4. हवन और कन्या पूजन: कुछ स्थानों पर इस दिन हवन और कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है।
  5. अन्नदान और भोग: देवी को हलवा, पूड़ी और फल का भोग लगाएं और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष के अनुसार, अशोक अष्टमी का दिन विशेष रूप से राशियों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इस दिन देवी दुर्गा की पूजा करने से शनि, राहु और केतु के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं। यह दिन सौभाग्य, सुख-शांति और समृद्धि को बढ़ाने वाला होता है।

अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) पर किए जाने वाले विशेष उपाय

  • अशोक के पत्ते अपने घर में लाकर रखें, इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • इस दिन मां दुर्गा के 108 नामों का जाप करें, इससे विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  • सिंदूर और लाल चुनरी चढ़ाने से जीवन में मांगलिक दोष समाप्त होते हैं।
  • गुड़ और चने का दान करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) 2025: इस दिन बदल सकती है आपकी किस्मत! जानें पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त
अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) 2025: इस दिन बदल सकती है आपकी किस्मत! जानें पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

अशोक अष्टमी को भारत के विभिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न रीति-रिवाजों से मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में इसे दुर्गा अष्टमी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से अशोक के वृक्ष की पूजा की जाती है और महिलाएं सौभाग्य व्रत रखती हैं।

अशोक अष्टमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और ज्योतिषीय अवसर है जो जीवन में शुभता और सुख-समृद्धि लाने का मार्ग दिखाता है। इस दिन मां दुर्गा की आराधना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो सकते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसलिए, इस दिन व्रत और पूजा अवश्य करें और अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करें।


अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) 2025: 15 महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

1. अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) क्या है?

अशोक अष्टमी हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक पवित्र व्रत और पर्व है, जिसे चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मां दुर्गा और अशोक वृक्ष की पूजा की जाती है।

2. अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) 2025 में कब है?

अशोक अष्टमी 2025 में 5 अप्रैल (शनिवार) को मनाई जाएगी।

3. अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) का नाम “अशोक” क्यों पड़ा?

इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन के दुख और कष्ट समाप्त होते हैं, इसलिए इसे “अशोक” अष्टमी कहा जाता है।

4. अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) का पौराणिक महत्व क्या है?

कहा जाता है कि इस दिन भगवान राम ने मां दुर्गा की आराधना की थी, जिससे उन्हें रावण पर विजय प्राप्त हुई। वहीं, माता सीता ने भी अशोक वाटिका में इस दिन मां दुर्गा की पूजा की थी।

5. इस दिन कौन-कौन से देवता की पूजा होती है?

अशोक अष्टमी के दिन मां दुर्गा, भगवान श्रीराम और माता सीता की विशेष पूजा का विधान है।

6. अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) पर कौन-से व्रत और अनुष्ठान किए जाते हैं?

इस दिन व्रत रखा जाता है, मां दुर्गा की पूजा होती है, अशोक वृक्ष की आराधना की जाती है, हवन और कन्या पूजन भी किया जाता है

7. अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) पर अशोक वृक्ष का क्या महत्व है?

अशोक वृक्ष को सुख-शांति और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इसकी पत्तियां मां दुर्गा को अर्पित की जाती हैं और घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है

8. अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) पर कौन-से मंत्र का जाप करना चाहिए?

इस दिन “ॐ दुं दुर्गायै नमः” या “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।

9. अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) पर क्या भोग अर्पित करना चाहिए?

मां दुर्गा को हलवा, पूड़ी, चना, नारियल, फल और मिठाई का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है।

10. इस दिन किए जाने वाले शुभ कार्य कौन-कौन से हैं?

अशोक अष्टमी पर दान, जप, हवन, कन्या पूजन, व्रत, गंगा स्नान और दुर्गा चालीसा का पाठ करना विशेष लाभकारी होता है।

11. क्या अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) केवल महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है?

नहीं, यह व्रत पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं। हालांकि, सौभाग्य प्राप्ति और कष्ट निवारण के लिए महिलाएं इसे विशेष रूप से मनाती हैं

12. अशोक अष्टमी (Ashok Ashtami) का ज्योतिषीय महत्व क्या है?

इस दिन मां दुर्गा की पूजा करने से शनि, राहु और केतु के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

13. अशोक अष्टमी पर कौन-से उपाय करने चाहिए?

  • अशोक के पत्ते घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • मां दुर्गा के 108 नामों का जाप करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • गुड़ और चने का दान करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।

14. अशोक अष्टमी किन राज्यों में विशेष रूप से मनाई जाती है?

यह पर्व विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

15. अशोक अष्टमी का धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ क्या है?

इस दिन व्रत और पूजा करने से सौभाग्य, सुख-समृद्धि, मानसिक शांति, बाधाओं का निवारण और पारिवारिक कल्याण प्राप्त होता है।


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