अक्षय तृतीया,(Akshaya Tritiya) जिसे आखा तीज भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह तिथि अक्षय फलदायक मानी जाती है, जिसका अर्थ है – ऐसा पुण्य और फल जो कभी समाप्त नहीं होता। यही कारण है कि इस दिन को शुभ कार्यों, विशेषकर धन-संपत्ति की खरीदारी के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
यह दिन सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। खासकर सोना खरीदने की परंपरा इस दिन बहुत ही खास मानी जाती है। भारत में हर वर्ष इस दिन सोने की दुकानों पर लंबी-लंबी कतारें देखने को मिलती हैं। पर क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इस दिन सोना खरीदना इतना शुभ क्यों माना जाता है? आइए जानते हैं इस परंपरा के पीछे छिपा इतिहास, मान्यताएं और धार्मिक महत्व।
भारत में सोना सिर्फ एक धातु नहीं, बल्कि समृद्धि और शुभता का प्रतीक है। प्राचीन काल से ही सोने को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन किया गया कोई भी कार्य अनंत फल देने वाला होता है।
ऐसी मान्यता भी है कि इस दिन भगवान कुबेर ने भगवान शिव की आराधना करके अक्षय धन की प्राप्ति की थी। तभी से इस दिन को धन और समृद्धि से जोड़कर देखा जाने लगा। इसलिए लोग मानते हैं कि इस दिन सोना खरीदना घर में लक्ष्मी का वास लाता है।
इसके अलावा यह परंपरा समय के साथ आर्थिक निवेश के रूप में भी उभरी है। आज लोग इसे सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि एक सुरक्षित निवेश के तौर पर भी देखते हैं।
देवी लक्ष्मी, जो कि धन की देवी मानी जाती हैं, उन्हें प्रसन्न करने के लिए इस दिन सोना, चांदी, और कीमती धातुएं खरीदी जाती हैं। मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से देवी लक्ष्मी की पूजा करता है और धन का सदुपयोग करता है, उसके जीवन में समृद्धि और सुख-शांति बनी रहती है।
इस दिन सोना खरीदना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संकेत भी है कि हम अपने जीवन में स्थायित्व और सम्पन्नता चाहते हैं। लोग सोने के आभूषण, सिक्के, या सोने की ईंट आदि खरीदकर इसे आशीर्वाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
अक्षय तृतीया से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं जो इसे विशेष बनाती हैं:
इन कथाओं से पता चलता है कि यह दिन केवल धार्मिक पूजा के लिए ही नहीं, बल्कि धर्म और न्याय की स्थापना के लिए भी महत्वपूर्ण है।
सोना भारतीय समाज में केवल श्रृंगार की वस्तु नहीं है, बल्कि यह आर्थिक सुरक्षा, विरासत, और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी है। किसी भी शुभ अवसर जैसे विवाह, मुंडन, या गृह प्रवेश में सोने की कोई न कोई वस्तु अवश्य दी या ली जाती है।
अक्षय तृतीया जैसे पवित्र अवसर पर सोना खरीदने का उद्देश्य सिर्फ संपत्ति जोड़ना नहीं, बल्कि परंपरा और विश्वास को बनाए रखना है। यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और आज भी इसका महत्व उतना ही है।
इस दिन देश भर में सोने की खरीदारी में भारी उछाल देखने को मिलता है। ज्वेलर्स इस दिन के लिए खास ऑफर्स और डिस्काउंट्स देते हैं, जिससे ग्राहक और भी उत्साहित होते हैं।
आजकल डिजिटल युग में लोग ई-गोल्ड, गोल्ड बॉन्ड्स और म्यूचुअल फंड्स में भी निवेश करते हैं। इस दिन को निवेश के लिए शुभ दिन माना जाता है, इसलिए न सिर्फ सोना, बल्कि शेयर बाजार, प्रॉपर्टी, और अन्य निवेश साधन भी इस दिन खरीदे जाते हैं।
यह दिन व्यापारियों और निवेशकों के लिए भी बेहद खास होता है, क्योंकि यह साल का ऐसा दिन होता है जब बिक्री और मुनाफा दोनों में वृद्धि होती है।
वास्तु शास्त्र और ज्योतिष में अक्षय तृतीया को बहुत ही शुभ तिथि माना गया है। यह अबूझ मुहूर्त होता है, यानी इस दिन कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, नई दुकान का उद्घाटन, गृह प्रवेश, बिना पंडित या पंचांग देखे किया जा सकता है।
इस दिन शुक्र और चंद्रमा की स्थिति बहुत अनुकूल होती है, जिससे धन लाभ और समृद्धि के योग बनते हैं। ज्योतिषाचार्य भी मानते हैं कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएं लंबे समय तक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं।
शहरों के साथ-साथ ग्रामीण भारत में भी अक्षय तृतीया का बड़ा महत्व है। इस दिन कई किसान अपने खेतों की जुताई शुरू करते हैं। यह एक संकेत होता है कि अब नई फसल के लिए मेहनत शुरू हो चुकी है।
गांवों में महिलाएं इस दिन सोने या चांदी के आभूषण खरीदकर उसे देवी लक्ष्मी को अर्पित करती हैं और पूरे परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना करती हैं।
इस तरह अक्षय तृतीया केवल शहरी आडंबर नहीं, बल्कि ग्रामीण संस्कृति में भी रचा-बसा पर्व है।
समय के साथ अक्षय तृतीया की परंपराओं में भी कुछ बदलाव आए हैं। आज लोग केवल भौतिक सोना ही नहीं, बल्कि डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ETF, और सोवरेन गोल्ड बॉन्ड्स में भी निवेश कर रहे हैं।
आज के युवा वर्ग के लिए यह दिन केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक स्मार्ट इन्वेस्टमेंट डे बन चुका है। इससे यह भी साबित होता है कि चाहे समय कितना भी बदल जाए, इस दिन की आध्यात्मिक ऊर्जा और आर्थिक मूल्य आज भी उतने ही मजबूत हैं।
अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने के पीछे एक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है। जब कोई व्यक्ति इस दिन सोना खरीदता है, तो वह स्वयं को सुरक्षित, शक्तिशाली और आर्थिक रूप से सक्षम महसूस करता है।
सोना एक ऐसा निवेश है जिसे व्यक्ति संकट की घड़ी में बचाव के साधन के रूप में देखता है। इसलिए इसे आत्मविश्वास और स्थायित्व का प्रतीक माना जाता है।
अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:
सावधानीपूर्वक की गई खरीदारी ही आपके लिए लाभकारी और शुभ सिद्ध हो सकती है।
अक्षय तृतीया केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि संस्कार, परंपरा, निवेश और विश्वास का संगम है। इस दिन सोना खरीदना जहां धन और लक्ष्मी की प्राप्ति का संकेत है, वहीं यह हमारे संस्कारों और भावनाओं का भी प्रतीक है।
यह पर्व हमें सिखाता है कि संपत्ति केवल भौतिक नहीं होती, बल्कि उसका संबंध आध्यात्मिक और मानसिक समृद्धि से भी होता है। इसलिए जब आप इस अक्षय तृतीया पर सोना खरीदें, तो केवल धन-संपत्ति ही नहीं, बल्कि आस्था और परंपरा को भी साथ लेकर चलें।
अक्षय तृतीया हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आने वाला एक अत्यंत शुभ दिन है, जिसे अबूझ मुहूर्त माना जाता है।
इस दिन सोना खरीदना समृद्धि, सौभाग्य और लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन खरीदा गया सोना अक्षय फल प्रदान करता है।
नहीं, यह परंपरा और आस्था से जुड़ा निर्णय है। कोई व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति और इच्छा के अनुसार खरीद सकता है।
इस दिन चांदी, जमीन, प्रॉपर्टी, वाहन, नए वस्त्र या कोई भी कीमती वस्तु खरीदी जा सकती है।
हां, आजकल लोग डिजिटल गोल्ड, गोल्ड बॉन्ड, और गोल्ड ETF में भी निवेश करते हैं जो समान रूप से शुभ माने जाते हैं।
जी हां, यह दिन नए निवेश की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड्स में निवेश भी किया जा सकता है।
हां, यह दिन अबूझ मुहूर्त होता है, यानी किसी भी शुभ कार्य के लिए अलग से मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती।
विवाह, गृह प्रवेश, नए व्यवसाय की शुरुआत, पूजा-पाठ, सोना खरीदना, और दान जैसे कार्य इस दिन किए जाते हैं।
हां, यह दिन भावना और श्रद्धा का पर्व है। कोई भी व्यक्ति अपनी क्षमता अनुसार छोटे सोने/चांदी के सिक्के या पीतल/तांबे की चीजें भी खरीद सकता है।
जी हां, यह दिन देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है। सोना खरीदने को लक्ष्मी आगमन का संकेत माना जाता है।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, भगवान कुबेर और पांडवों से जुड़ी कथाओं से इस दिन धन प्राप्ति और सोना खरीदने की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है।
हां, उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम – पूरे भारत में इसे विभिन्न नामों से मनाया जाता है, जैसे महाराष्ट्र में ‘आखा तीज’।
बिलकुल! इस दिन अन्न, वस्त्र, जल, छाता, सोना, गाय, और किताबें दान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।
आप ध्यान, पूजा, मंत्र जाप, और दान के माध्यम से भी इस दिन का आध्यात्मिक लाभ उठा सकते हैं। भावना सबसे महत्वपूर्ण है।
हां, हॉलमार्क, रेटिंग, और बिलिंग की जांच अवश्य करें। सिर्फ प्रामाणिक स्रोत से ही खरीदारी करें।
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