नवरात्रि में माता का जागरण (Jagran) करने की संपूर्ण विधि! जानें सही तरीका और आवश्यक नियम

Soma
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नवरात्रि में माता का जागरण (Jagran) करने की संपूर्ण विधि! जानें सही तरीका और आवश्यक नियम

नवरात्रि में माता का जागरण (Jagran) करने की संपूर्ण विधि! जानें सही तरीका और आवश्यक नियम


नवरात्रि में माता का जागरण (Jagran) कैसे करें?

नवरात्रि एक पवित्र पर्व है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान माता का जागरण (Jagran) करना बहुत ही शुभ और फलदायी माना जाता है। जागरण करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भक्तों को शक्ति, समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस लेख में हम आपको माता का जागरण करने की पूरी विधि बताएंगे, जिससे आप बिना किसी गलती के सही तरीके से पूजा कर सकें।

Contents

1. माता के जागरण (Jagran) की महत्ता

माता का जागरण केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति और ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त करने का एक माध्यम है। जागरण करने से घर में शुद्धता और सकारात्मकता आती है। यह कष्टों का नाश करता है और भक्तों को मानसिक शांति प्रदान करता है।

इस दौरान भक्त पूरी रात भजन-कीर्तन और आरती करके माता की कृपा प्राप्त करते हैं। जागरण करने से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। अगर कोई व्यक्ति किसी कठिन समस्या से गुजर रहा है, तो माता का जागरण करने से उसे राहत मिल सकती है।


2. जागरण (Jagran) की तैयारी कैसे करें?

माता के जागरण से पहले सही तैयारी करना बहुत जरूरी है।

  1. स्थान का चयन करें – जागरण के लिए एक शुद्ध और साफ जगह चुनें, जहाँ शोर-शराबा न हो।
  2. माता की चौकी सजाएँ – एक लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र रखें।
  3. आवश्यक सामग्री तैयार करें – दीपक, अगरबत्ती, कपूर, फूल, नारियल, चुनरी, फल, मिठाई और पंचामृत रखें।
  4. भक्तों को आमंत्रित करें – परिवार और समाज के भक्तों को जागरण में शामिल करें ताकि वातावरण भक्तिमय बन सके।
  5. भजन मंडली की व्यवस्था करें – अगर संभव हो तो भजन मंडली बुलाएँ, वरना भजन-संगीत की व्यवस्था खुद करें।

तैयारी अच्छी तरह करने से जागरण का माहौल और भी पवित्र और ऊर्जावान बनता है।


3. जागरण (Jagran) का शुभ मुहूर्त और नियम

नवरात्रि में माता के जागरण का एक शुभ मुहूर्त होता है, जिसका ध्यान रखना जरूरी है।

  • जागरण रात्रि 9 बजे के बाद शुरू किया जाता है और इसे सुबह ब्रह्ममुहूर्त तक जारी रखा जाता है।
  • यदि किसी विशेष तिथि या दिन का महत्व है, तो पंडित से मुहूर्त जानना अच्छा रहेगा।
  • जागरण के दौरान मांसाहार और नशे से दूर रहना आवश्यक है।
  • मन और वचन से शुद्धता बनाए रखें और कोई भी गलत शब्द न बोलें।
  • जागरण में भाग लेने वालों को शुद्ध वस्त्र पहनने चाहिए, विशेषकर लाल, पीले या सफेद रंग के।

शुभ मुहूर्त और नियमों का पालन करने से जागरण का सकारात्मक प्रभाव बढ़ जाता है और माता की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।


4. जागरण (Jagran) की संपूर्ण विधि

माता के जागरण की संपूर्ण प्रक्रिया इस प्रकार है –

  1. मंगलाचरण – शुरुआत में गणपति वंदना करें ताकि जागरण बिना किसी विघ्न के पूरा हो।
  2. माँ दुर्गा का आह्वान – माता रानी को रोली, अक्षत, फूल और दीपक अर्पित करें।
  3. भजन-कीर्तन – माँ दुर्गा के 108 नामों का जाप करें और भक्तिभाव से भजन गाएँ।
  4. कहानी और चालीसा पाठ – दुर्गा सप्तशती, देवी महात्म्य, दुर्गा चालीसा या रामायण का पाठ करें।
  5. हवन या आरती – यदि संभव हो तो हवन करें और अंत में माता की महाआरती करें।
  6. प्रसाद वितरण – सभी भक्तों को माता का प्रसाद दें और अंत में सभी को भंडारा कराएँ।

अगर यह पूरी विधि सही तरीके से की जाए, तो माता बहुत जल्दी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को अपार आशीर्वाद देती हैं।


5. जागरण (Jagran) में गाए जाने वाले प्रमुख भजन

माता के जागरण में भजन-कीर्तन का बहुत महत्व होता है। कुछ प्रमुख भजन इस प्रकार हैं –

  1. “जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी”
  2. “मैया के दरबार में जो भी जाता है, खाली नहीं लौटता”
  3. “मेरे अंगना में आए माँ दुर्गा रानी”
  4. “भला कौन आया है, माता के द्वार”
  5. “चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है”

यह भजन माता के जागरण को सफल और भक्तिमय बनाते हैं और पूरे माहौल को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देते हैं।


6. जागरण (Jagran) के लाभ

माता का जागरण करने से कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ होते हैं –

  1. नकारात्मकता दूर होती है और घर में शांति और सुख-समृद्धि आती है।
  2. मानसिक तनाव और चिंता कम होती है, जिससे मन को शांति मिलती है।
  3. माता के आशीर्वाद से रोग, कष्ट और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  4. मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
  5. जागरण करने से भक्त का आध्यात्मिक विकास होता है और आत्मिक शुद्धि होती है।
नवरात्रि में माता का जागरण (Jagran) करने की संपूर्ण विधि! जानें सही तरीका और आवश्यक नियम
नवरात्रि में माता का जागरण (Jagran) करने की संपूर्ण विधि! जानें सही तरीका और आवश्यक नियम

जागरण केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का एक सुंदर माध्यम है।


7. जागरण (Jagran) के बाद क्या करें?

जागरण समाप्त होने के बाद भी कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है –

  1. माता की आरती के बाद प्रसाद वितरण करें।
  2. मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और वहाँ सुगंधित धूपबत्ती जलाएँ।
  3. भंडारे या भोजन का आयोजन करें ताकि सभी भक्तों को प्रसाद मिल सके।
  4. जागरण के बाद माँ दुर्गा से आभार प्रकट करें और मन में उनका स्मरण करें।

जागरण के बाद सही प्रक्रिया अपनाने से माता की कृपा बनी रहती है और घर में शांति और समृद्धि आती है।


नवरात्रि में माता का जागरण करना बहुत ही शुभ और लाभकारी होता है। यह न केवल माता की कृपा प्राप्त करने का साधन है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने का भी मार्ग है। यदि सही विधि से जागरण किया जाए, तो माता बहुत जल्दी प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं।

नवरात्रि में माता का जागरण (Jagran) करने से जुड़े महत्वपूर्ण FAQs


1. माता का जागरण (Jagran) क्या होता है?

माता का जागरण एक धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें भक्त पूरी रात भजन-कीर्तन, आरती और कथा के माध्यम से माता दुर्गा की आराधना करते हैं।

2. नवरात्रि में माता का जागरण (Jagran) क्यों किया जाता है?

नवरात्रि में जागरण करने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

3. जागरण (Jagran) की सही विधि क्या है?

शुद्ध स्थान पर माता की चौकी सजाएँ, दीप जलाएँ, मंत्र, भजन-कीर्तन, कथा और हवन करें और अंत में महाआरती और प्रसाद वितरण करें।

4. जागरण (Jagran) किस समय से शुरू करना चाहिए?

जागरण रात्रि 9 बजे के बाद शुरू किया जाता है और इसे ब्रह्म मुहूर्त तक जारी रखना शुभ माना जाता है।

5. माता के जागरण (Jagran) में कौन-कौन से भजन गाने चाहिए?

कुछ लोकप्रिय भजन हैं –

  • “जय अम्बे गौरी”
  • “चलो बुलावा आया है”
  • “मैया के दरबार में जो भी जाता है”

6. जागरण में किन चीजों की जरूरत होती है?

दीपक, अगरबत्ती, फूल, नारियल, चुनरी, फल, मिठाई, पंचामृत, भजन की किताबें और माता की तस्वीर या मूर्ति आवश्यक होती हैं।

7. क्या जागरण के दौरान व्रत रखना जरूरी है?

नहीं, लेकिन यदि आप व्रत रखते हैं, तो यह अधिक फलदायी माना जाता है।

8. क्या माता का जागरण घर पर किया जा सकता है?

हाँ, माता का जागरण घर पर या मंदिर में किया जा सकता है। घर पर करने के लिए शुद्ध वातावरण बनाना आवश्यक है।

9. जागरण के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए?

  • मांसाहार और नशे से दूर रहें।
  • शुद्ध वस्त्र पहनें।
  • अपवित्र शब्दों और नकारात्मक विचारों से बचें।

10. क्या जागरण अकेले किया जा सकता है?

हाँ, लेकिन भक्तों के साथ करने से अधिक आध्यात्मिक ऊर्जा बनती है और वातावरण भक्तिमय होता है।

11. जागरण में किन ग्रंथों का पाठ किया जाता है?

  • दुर्गा सप्तशती
  • दुर्गा चालीसा
  • रामायण और देवी महात्म्य

12. जागरण के बाद क्या करना चाहिए?

  • माता की आरती करें।
  • प्रसाद वितरण करें।
  • भंडारे का आयोजन करें।
  • माता को धन्यवाद दें और आशीर्वाद लें।

13. जागरण करने से क्या लाभ होते हैं?

  • नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।
  • सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि बढ़ती है।
  • मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

14. जागरण में कौन से रंग के कपड़े पहनने चाहिए?

लाल, पीला और सफेद रंग शुभ माने जाते हैं, क्योंकि ये माँ दुर्गा की कृपा और ऊर्जा का प्रतीक हैं।

15. जागरण करते समय किन गलतियों से बचना चाहिए?

  • भक्ति में लापरवाही न करें।
  • मंत्रों का सही उच्चारण करें।
  • जागरण को केवल एक औपचारिकता न मानें, बल्कि श्रद्धा से करें।
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