2025 होलिका दहन (Holika Dahan) का सही मुहूर्त और पूजा विधि – इस तरह करें पूजा, मिलेगी हर संकट से मुक्ति!
होलिका दहन (Holika Dahan) का सही मुहूर्त और पूजा विधि
होलिका दहन (Holika Dahan) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन लोग होली की पूर्व संध्या पर लकड़ियों और उपलों से होलिका दहन करते हैं और उसकी पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इस लेख में हम होलिका दहन के सही मुहूर्त, पूजा विधि और इसके महत्व को विस्तार से समझेंगे।
होलिका दहन (Holika Dahan) का महत्व
होलिका दहन (Holika Dahan) का इतिहास प्रह्लाद, हिरण्यकश्यप और होलिका से जुड़ा हुआ है। कथा के अनुसार, भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए उसके पिता हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद ली। होलिका को यह वरदान था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी, इसलिए वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित बच गया और होलिका जलकर भस्म हो गई। इस घटना के बाद से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन की परंपरा शुरू हुई।
होलिका दहन (Holika Dahan) का सही मुहूर्त
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार निर्धारित किया जाता है। इस दिन फाल्गुन पूर्णिमा होती है और भद्राकाल समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन करना शुभ माना जाता है।
✅ 2025 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
📅 तारीख: 13 मार्च 2025
🕰️ शुभ समय: शाम 6:30 से 8:50 बजे तक (समय स्थान के अनुसार भिन्न हो सकता है)
🚫 भद्रा काल: सुबह 11:45 से शाम 5:30 तक (इस दौरान होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है)
TIP: होलिका दहन हमेशा प्रदोष काल में किया जाना चाहिए। रात्रि के पहले भाग में दहन करने से अशुभ परिणाम हो सकते हैं।
होलिका दहन (Holika Dahan) की तैयारी
होलिका दहन करने से पहले इसकी सही तैयारी करना आवश्यक है। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण वस्तुएं चाहिए होती हैं:
🔹 लकड़ियां और उपले: अग्नि जलाने के लिए
🔹 गुलाल और फूल: पूजा के लिए
🔹 कच्चा सूत (मौली): होलिका पर लपेटने के लिए
🔹 हल्दी, रोली, अक्षत: पूजा सामग्री
🔹 नई फसल (गेहूं, चना, नारियल): अर्पण करने के लिए
होलिका दहन की तैयारी में सबसे पहले एक स्वच्छ स्थान का चयन करें। वहां गोबर से एक छोटा सा चौकोर मंडल बनाएं और उसके बीच में लकड़ियां और उपले लगाएं। उसके चारों ओर मौली बांधकर होलिका की परिक्रमा करें।
होलिका दहन (Holika Dahan) की पूजा विधि
✅ 1. शुद्धिकरण:
होलिका दहन करने से पहले शुद्ध जल से स्वयं को शुद्ध करें।
✅ 2. पूजन सामग्री अर्पण करें:
होलिका के पास फूल, अक्षत, हल्दी, रोली और कच्चा सूत चढ़ाएं।
✅ 3. गेहूं और चने की आहुति दें:
होलिका में नई फसल (गेहूं, चना, नारियल) डालें। इसे अग्नि को समर्पित करने से समृद्धि आती है।
✅ 4. परिक्रमा करें:
होलिका की सात बार परिक्रमा करें और मौली को होलिका के चारों ओर बांधें।
✅ 5. मंत्र जाप करें:
होलिका दहन के समय यह मंत्र बोलें:
“ॐ होलिकायै नमः”
✅ 6. होलिका जलाएं:
अब होलिका में अग्नि प्रज्वलित करें और भगवान से सुख-समृद्धि की कामना करें।
✅ 7. भस्म का तिलक करें:
होलिका दहन के बाद उसकी भस्म को माथे पर तिलक के रूप में लगाएं। यह सौभाग्य और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव का प्रतीक है।
होलिका दहन (Holika Dahan) के नियम और सावधानियां
1️⃣ भद्रा काल में होलिका दहन न करें।
2️⃣ पूजा के समय शुद्धता और श्रद्धा का ध्यान रखें।
3️⃣ होलिका दहन के बाद उसकी भस्म को घर में लाने से सकारात्मक ऊर्जा आती है।
4️⃣ होलिका दहन के दौरान सुरक्षा का ध्यान रखें और आग को नियंत्रित रखें।
5️⃣ होली खेलने के लिए प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करें ताकि पर्यावरण और त्वचा को नुकसान न हो।

होलिका दहन (Holika Dahan) के बाद अगला दिन – धूलिवंदन (रंगों की होली)
होलिका दहन के अगले दिन धूलिवंदन या रंग वाली होली खेली जाती है। इस दिन लोग गुलाल, अबीर और रंगों से एक-दूसरे को रंगकर आनंद मनाते हैं। इसे प्रेम, भाईचारे और उल्लास का पर्व माना जाता है।
होलिका दहन सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देने वाला पर्व है। यदि इसे सही मुहूर्त और विधि से किया जाए, तो यह सुख-समृद्धि और नकारात्मकता से मुक्ति दिलाता है। इस दिन भक्ति और हर्षोल्लास से पूजा करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
होलिका दहन (Holika Dahan) से जुड़ी महत्वपूर्ण FAQs
1. होलिका दहन (Holika Dahan) क्या है?
होलिका दहन हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीकात्मक रूप से प्रदर्शन किया जाता है।
2. होलिका दहन (Holika Dahan) कब किया जाता है?
होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को किया जाता है, जो होली से एक दिन पहले पड़ती है।
3. होलिका दहन (Holika Dahan) का सही मुहूर्त कैसे पता करें?
शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार निर्धारित होता है। इसे भद्रा काल समाप्त होने के बाद और प्रदोष काल में किया जाना चाहिए।
4. 2025 में होलिका दहन (Holika Dahan) कब होगा?
2025 में होलिका दहन 13 मार्च को किया जाएगा। शुभ मुहूर्त शाम 6:30 से 8:50 बजे तक रहेगा।
5. होलिका दहन (Holika Dahan) की पूजा विधि क्या है?
होलिका दहन के समय लकड़ियों, उपलों, फूल, रोली, अक्षत, मौली, गेहूं, चना और नारियल से पूजा की जाती है और फिर अग्नि प्रज्वलित की जाती है।
6. होलिका दहन (Holika Dahan) के दौरान कौन सा मंत्र बोला जाता है?
होलिका दहन के समय यह मंत्र बोलना शुभ माना जाता है:
“ॐ होलिकायै नमः”
7. क्या भद्रा काल में होलिका दहन किया जा सकता है?
🚫 नहीं, भद्रा काल में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
8. होलिका दहन क्यों किया जाता है?
यह त्योहार प्रह्लाद और होलिका की कथा से जुड़ा है, जिसमें भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए और होलिका जलकर भस्म हो गई।
9. होलिका दहन की राख का क्या महत्व है?
होलिका की राख को माथे पर तिलक लगाने से सौभाग्य और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव होता है।
10. होलिका दहन से पहले क्या तैयारियां करनी चाहिए?
स्वच्छ स्थान पर लकड़ियां और उपले रखकर, मौली बांधकर और पूजा सामग्री अर्पण करके होलिका दहन की तैयारी की जाती है।
11. होलिका दहन के समय कौन से अनाज अर्पण किए जाते हैं?
होलिका दहन के समय गेहूं, चना और नारियल अर्पण किए जाते हैं, जिससे समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
12. क्या सभी को होलिका दहन में भाग लेना चाहिए?
✅ हां, बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को होलिका दहन में भाग लेकर पूजा करनी चाहिए। यह शुभ माना जाता है।
13. क्या होलिका दहन के बाद उसकी राख घर लानी चाहिए?
✅ हां, होलिका दहन की राख को घर लाना और उसका तिलक करना शुभ माना जाता है।
14. होली खेलने का सही समय क्या है?
होलिका दहन के अगले दिन सुबह से दोपहर तक रंगों की होली खेली जाती है, जिसे धूलिवंदन कहते हैं।
15. होलिका दहन का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
अगर अधिक लकड़ियां और प्लास्टिक जैसी चीजें जलाई जाएं, तो यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए प्राकृतिक और सीमित सामग्री का उपयोग करें।