शनि चालीसा: (Shani Chalisa) जानें कैसे शनि देव के आशीर्वाद से बदल सकती है आपकी किस्मत!
शनि चालीसा (Shani Chalisa) – शनि देव के प्रभाव को शांत करने के लिए
शनि देव को हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। वे कर्मों के देवता माने जाते हैं और उनके प्रभाव से न केवल अच्छे कर्मों का प्रतिफल मिलता है, बल्कि बुरे कर्मों का भी फल मिलता है। जब शनि का दुष्प्रभाव होता है, तो यह जीवन में समस्याएँ और कठिनाई उत्पन्न कर सकता है। ऐसे में शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ शनि देव के कृपा को प्राप्त करने और उनके प्रभाव को शांत करने का एक प्रभावशाली उपाय है।
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का महत्व
शनि चालीसा (Shani Chalisa) एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक पाठ है जिसमें शनि देव के गुणों का वर्णन किया गया है। यह 40 श्लोकों का संग्रह है, जिनमें शनि देव की महिमा और उनके प्रभाव से बचने के उपाय बताए गए हैं। शनि चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को शनि दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
शनि चालीसा (Shani Chalisa)
शनि चालीसा
(Shani Chalisa)
॥ दोहा ॥जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।
दीनन के दुःख दूर करि , कीजै नाथ निहाल ॥1॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु , सुनहु विनय महाराज ।
करहु कृपा हे रवि तनय , राखहु जन की लाज ॥2॥जयति जयति शनिदेव दयाला । करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै । माथे रतन मुकुट छवि छाजै ॥परम विशाल मनोहर भाला । टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥
कुण्डल श्रवन चमाचम चमके । हिये माल मुक्तन मणि दमकै ॥कर में गदा त्रिशूल कुठारा । पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥
पिंगल, कृष्णो, छाया, नन्दन । यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन ॥सौरी, मन्द शनी दश नामा । भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥
जापर प्रभु प्रसन्न हवैं जाहीं । रंकहुं राव करैं क्षण माहीं ॥पर्वतहू तृण होइ निहारत । तृणहू को पर्वत करि डारत ॥
राज मिलत वन रामहिं दीन्हयो । कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥वनहुं में मृग कपट दिखाई । मातु जानकी गई चुराई ॥
लषणहिं शक्ति विकल करिडारा । मचिगा दल में हाहाकारा ॥रावण की गति-मति बौराई । रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥
दियो कीट करि कंचन लंका । बजि बजरंग बीर की डंका ॥नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा । चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी । हाथ पैर डरवायो तोरी ॥भारी दशा निकृष्ट दिखायो । तेलहिं घर कोल्हू चलवायो ॥
विनय राग दीपक महँ कीन्हयों । तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी । आपहुं भरे डोम घर पानी ॥
तैसे नल पर दशा सिरानी । भूंजी-मीन कूद गई पानी ॥श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई । पारवती को सती कराई ॥
तनिक विकलोकत ही करि रीसा । नभ उड़ि गतो गौरिसुत सीसा ॥पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी । बची द्रोपदी होति उधारी ॥
कौरव के भी गति मति मारयो । युद्ध महाभारत करि डारयो ॥रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला । लेकर कूदि परयो पाताला ॥
शेष देव-लखि विनती लाई । रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ॥वाहन प्रभु के सात सुजाना । जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ॥
जम्बुक सिह आदि नख धारी । सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं । हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै ॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा । सिह सिद्ध्कर राज समाजा ॥जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै । मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥
जब आवहिं स्वान सवारी । चोरी आदि होय डर भारी ॥तैसहि चारि चरण यह नामा । स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा ॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं । धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥समता ताम्र रजत शुभकारी । स्वर्ण सर्वसुख मंगल भारी ॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै । कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ॥अद्भुत नाथ दिखावैं लीला । करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई । विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत । दीप दान दै बहु सुख पावत ॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा । शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥॥ दोहा ॥
पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार ।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ॥॥इति श्री शनि चालीसा॥
शनि देव के प्रभाव और शनि चालीसा (Shani Chalisa) की शक्ति
शनि देव का प्रभाव हर व्यक्ति पर अलग-अलग रूप में पड़ता है। जो व्यक्ति शनि की साढ़े साती, ढैया, या शनि की महादशा से गुजर रहा होता है, उसे जीवन में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। शनि चालीसा का पाठ इस प्रभाव को शांत करने और शनि के आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक उत्तम उपाय है।
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ करने से मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और धन-संपत्ति में भी वृद्धि हो सकती है। शनि देव के प्रति आस्था और समर्पण से जीवन की कठिनाइयाँ आसान हो जाती हैं।
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का लाभ
1. शनि दोष से मुक्ति
जो व्यक्ति शनि के दुष्प्रभाव से परेशान है, उसके लिए शनि चालीसा का पाठ बहुत लाभकारी है। यह पाठ शनि के कड़े प्रभाव को कम करता है और व्यक्ति को शांति की प्राप्ति होती है।
2. मानसिक शांति
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ मानसिक तनाव को कम करने और मानसिक शांति को बढ़ाने में मदद करता है। जब व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है, तो वह अपने जीवन के कठिन हालातों का सामना अधिक धैर्य और समझदारी से कर पाता है।
3. आय में वृद्धि
शनि चालीसा (Shani Chalisa) के नियमित पाठ से धन में वृद्धि हो सकती है। शनि देव, जोकि न्याय के देवता हैं, व्यक्ति के कर्मों के हिसाब से उसे फल देते हैं। अच्छे कर्मों के फलस्वरूप व्यक्ति को धन का लाभ होता है।
4. कार्यों में सफलता
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ कार्यों में सफलता दिलाने में भी मदद करता है। जब शनि देव की कृपा होती है, तो व्यक्ति को अपने प्रयासों में सफलता मिलती है और विघ्नों का निवारण होता है।
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का सही समय और विधि
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ विशेष रूप से शनिवार को किया जाता है, क्योंकि यह दिन शनि देव को समर्पित है। इसके अलावा, किसी भी दिन यह पाठ किया जा सकता है, लेकिन शनिवार को यह ज्यादा फलदायी माना जाता है।
विधि:
- सबसे पहले, एक स्वच्छ स्थान पर बैठकर शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ करें।
- शनि देव की मूरत या चित्र के सामने दीपक या अगरबत्ती लगाएं।
- चालीसा के 40 श्लोकों का मन से उच्चारण करें।
- पाठ के बाद शनि देव से अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें।
शनि चालीसा (Shani Chalisa) के श्लोक
शनि चालीसा (Shani Chalisa) के श्लोक बहुत प्रभावशाली होते हैं। इनमें शनि देव की महिमा, उनके कड़े स्वभाव और न्यायप्रियता का वर्णन किया गया है। श्लोकों में शनि देव से प्रार्थना की जाती है कि वह अपने भक्तों पर कृपा करें और उनके जीवन के दुखों को दूर करें। शनि चालीसा का पाठ करने से शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का मानसिक और शारीरिक लाभ
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का नियमित पाठ न केवल मानसिक शांति और संतुलन लाता है, बल्कि यह शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है। शनि के प्रभाव से उत्पन्न होने वाली बीमारियों का इलाज भी शनि चालीसा के माध्यम से संभव हो सकता है। जब व्यक्ति शनि देव के आशीर्वाद से लाभान्वित होता है, तो उसके शरीर में भी सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ और पूजा विधि
अगर आप शनि चालीसा (Shani Chalisa) के पाठ के साथ शनि देव की पूजा भी करना चाहते हैं, तो इसके लिए निम्नलिखित विधियों का पालन करें:
- शनि देव की पूजा के लिए तिल का तेल, नीला फूल, और चवला चढ़ाना शुभ माना जाता है।
- शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ करके शनि देव से अपनी इच्छाएँ पूरी करने की प्रार्थना करें।
- काले उबटन से शरीर की सफाई करना और उसके बाद शनि देव की पूजा करना शुभ होता है।
- अगर आप शनि के दुष्प्रभाव से बचना चाहते हैं तो शनिवार को ताम्बे के बर्तन में जल भरकर शनि देव को अर्पित करें।
शनि चालीसा (Shani Chalisa) एक प्रभावशाली और आसान तरीका है शनि देव के कृपा को प्राप्त करने का और उनके कड़े प्रभाव को शांत करने का। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। साथ ही, यह पाठ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। शनि चालीसा का पाठ कर्मों के अनुसार फल देने वाला है और यदि हम अपनी श्रद्धा और समर्पण के साथ इसे करते हैं, तो शनि देव की कृपा हमें जरूर मिलती है।
शनि चालीसा (Shani Chalisa) – शनि देव के प्रभाव को शांत करने के लिए FAQ
1. शनि चालीसा (Shani Chalisa) क्या है?
शनि चालीसा (Shani Chalisa) एक 40 श्लोकों का संग्रह है, जिसमें शनि देव के गुणों और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है। यह पाठ शनि के प्रभाव को शांत करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
2. शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ क्यों करना चाहिए?
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ शनि देव के दुष्प्रभाव को शांत करने, मानसिक शांति प्राप्त करने और जीवन में समृद्धि और सफलता पाने के लिए किया जाता है।
3. शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ कब करना चाहिए?
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ विशेष रूप से शनिवार को किया जाता है, लेकिन यह किसी भी दिन किया जा सकता है।
4. शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ शनि दोष से मुक्ति, मानसिक शांति, आय में वृद्धि, और कार्यों में सफलता दिलाता है।
5. क्या शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ हर किसी को करना चाहिए?
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ उन लोगों को करना चाहिए जो शनि की साढ़े साती, ढैया, या महादशा से गुजर रहे हैं, या जिनके जीवन में शनि के दुष्प्रभाव से समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
6. शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ किस प्रकार किया जाता है?
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ एक स्वच्छ स्थान पर बैठकर किया जाता है। शनि देव की मूरत या चित्र के सामने दीपक या अगरबत्ती लगाकर 40 श्लोकों का उच्चारण किया जाता है।
7. शनि चालीसा (Shani Chalisa) के श्लोकों का सही उच्चारण कैसे किया जाता है?
शनि चालीसा (Shani Chalisa) के श्लोकों का उच्चारण सही तरीके से करने के लिए, आप एक पवित्र और शुद्ध मन से पाठ करें। अगर आप उच्चारण में गलती करते हैं तो कोई समस्या नहीं होती, लेकिन ध्यान केंद्रित होना चाहिए।
8. शनि चालीसा (Shani Chalisa) के साथ पूजा विधि क्या है?
शनि चालीसा (Shani Chalisa) के साथ पूजा करने के लिए तिल के तेल, नीला फूल और चवला चढ़ाकर शनि देव की पूजा की जाती है। शनि देव से समृद्धि और सुख की प्रार्थना की जाती है।
9. शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ कितने समय तक करना चाहिए?
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ लगातार सात शनिवार तक या शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति पाने तक किया जा सकता है।
10. क्या शनि चालीसा (Shani Chalisa) के पाठ से शनि के दोष दूर हो जाते हैं?
हाँ, शनि चालीसा (Shani Chalisa) का नियमित पाठ शनि के दुष्प्रभाव को कम करता है और शनि देव की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है, जिससे शनि दोष दूर हो सकते हैं।
11. क्या शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ बच्चों के लिए भी किया जा सकता है?
हां, शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ बच्चों के लिए भी किया जा सकता है। यह बच्चों को मानसिक शांति और अच्छे भविष्य के लिए आशीर्वाद प्रदान करता है।
12. शनि चालीसा (Shani Chalisa) के पाठ के दौरान क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ करते समय ध्यान रखें कि स्थान स्वच्छ हो, मन शांत हो, और शुद्धता बनी रहे। शनि देव के सामने दीपक या अगरबत्ती अवश्य लगाएं।
13. क्या शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ केवल शनिवार को ही करना चाहिए?
हालांकि शनिवार को शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ विशेष रूप से फलदायी होता है, लेकिन इसे किसी भी दिन किया जा सकता है। यह शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए हर समय किया जा सकता है।
14. क्या शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ करने से आय में वृद्धि होती है?
हां, शनि चालीसा (Shani Chalisa) का नियमित पाठ करने से आय में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि शनि देव अच्छे कर्मों के अनुसार फल देते हैं और समृद्धि का मार्ग खोलते हैं।
15. शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ करने के बाद क्या करें?
पाठ के बाद शनि देव से अपनी समस्याओं का समाधान और समृद्धि की प्रार्थना करें। तिल का तेल, नीला फूल, और चवला अर्पित करें, और शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त करें।