श्री खड्गमाला स्तोत्र: अद्भुत रहस्यों और शक्ति का सरल परिचय

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श्री खड्गमाला स्तोत्र: अद्भुत रहस्यों और शक्ति का सरल परिचय

“श्री खड्गमाला स्तोत्र: अद्भुत रहस्यों और शक्ति का सरल परिचय”

श्री खड्गमाला स्तोत्र श्रीविद्या उपासना का एक महत्वपूर्ण भाग है। इसे देवी त्रिपुरसुंदरी की आराधना और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का सशक्त साधन माना जाता है। “खड्गमाला” का शाब्दिक अर्थ है खड्ग (तलवार) और माला (मालिका)। यह स्तोत्र देवी के शक्तिशाली रूपों को तलवार के समान नकारात्मकता काटने और आत्मा की रक्षा करने का माध्यम बताता है।

इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के मन में आत्मविश्वास, शक्ति, और आध्यात्मिक ज्ञान का विकास होता है। आइए, इसे सरल शब्दों में समझते हैं।


खड्गमाला स्तोत्र क्या है?

खड्गमाला स्तोत्र देवी उपासना का अद्वितीय स्तोत्र है, जिसमें देवी के विभिन्न रूपों का आह्वान किया जाता है। इसमें देवी को 16, 64, या 108 नामों से मंत्रित किया जाता है। हर नाम देवी के एक विशेष रूप, गुण, और आशीर्वाद का प्रतीक है।

यह स्तोत्र ललिता त्रिपुरसुंदरी को समर्पित है, जिन्हें आदिशक्ति और संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना का कारण माना जाता है। श्री खड्गमाला स्तोत्र पढ़ने से मन की शुद्धि, सकारात्मक ऊर्जा का संचार और कष्टों से मुक्ति मिलती है।


खड्गमाला का महत्व

श्री खड्गमाला स्तोत्र का महत्व इसलिए है क्योंकि यह देवी की कृपा प्राप्त करने का सरल और सशक्त माध्यम है। इसे पढ़ने से:

  • नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा होती है।
  • मन की शांति और ध्यान केंद्रित होता है।
  • व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है।
  • अहंकार, डर, और आशंका से मुक्ति मिलती है।

खड्गमाला स्तोत्र:

श्री देवी खड्गमाला स्तोत्रम्
(Shri Devi Khadgamala Stotram)

श्री देवी प्रार्थना

ह्रींकारासनगर्भितानलशिखां सौः क्लीं कलां बिभ्रतीं
सौवर्णांबरधारिणीं वरसुधाधौतां त्रिनेत्रोज्ज्वलाम् ।
वंदे पुस्तकपाशमंकुशधरां स्रग्भूषितामुज्ज्वलां
त्वां गौरीं त्रिपुरां परात्परकलां श्रीचक्रसंचारिणीम् ॥

अस्य श्री शुद्धशक्तिमालामहामंत्रस्य,
उपस्थेंद्रियाधिष्ठायी
वरुणादित्य ऋषयः
देवी गायत्री छंदः
सात्विक ककारभट्टारकपीठस्थित कामेश्वरांकनिलया महाकामेश्वरी श्री ललिता भट्टारिका देवता,
ऐं बीजं
क्लीं शक्तिः
सौः कीलकं
मम खड्गसिद्ध्यर्थे सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः
मूलमंत्रेण षडंगन्यासं कुर्यात् ।

ध्यानम्
तादृशं खड्गमाप्नोति येन हस्तस्थितेनवै ।
अष्टादश महाद्वीप सम्राट् भोत्का भविष्यति ॥

आरक्ताभां त्रिणेत्रामरुणिमवसनां रत्नताटंकरम्यां
हस्तांभोजैस्सपाशांकुश मदन धनुस्सायकैर्विस्फुरंतीम् ।
आपीनोत्तुंग वक्षोरुह विलुठत्तार हारोज्ज्वलांगीं
ध्यायेदंभोरुहस्था-मरुणिमवसना-मीश्वरीमीश्वराणाम् ॥

लमित्यादिपंच पूजां कुर्यात्, यथाशक्ति मूलमंत्रं जपेत् ।

लमित्यादिपंच पूजां कुर्यात्, यथाशक्ति मूलमंत्रं जपेत् ।

लं – पृथिवीतत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै गंधं परिकल्पयामि – नमः
हं – आकाशतत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै पुष्पं परिकल्पयामि – नमः
यं – वायुतत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै धूपं परिकल्पयामि – नमः
रं – तेजस्तत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै दीपं परिकल्पयामि – नमः
वं – अमृततत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै अमृतनैवेद्यं परिकल्पयामि – नमः
सं – सर्वतत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै तांबूलादिसर्वोपचारान् परिकल्पयामि – नमः

श्री देवी संबोधनं (1)
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ऐं क्लीं सौः ॐ नमस्त्रिपुरसुंदरी,

न्यासांगदेवताः (6)
हृदयदेवी, शिरोदेवी, शिखादेवी, कवचदेवी, नेत्रदेवी, अस्त्रदेवी,

तिथिनित्यादेवताः (16)
कामेश्वरी, भगमालिनी, नित्यक्लिन्ने, भेरुंडे, वह्निवासिनी, महावज्रेश्वरी, शिवदूती, त्वरिते, कुलसुंदरी, नित्ये, नीलपताके, विजये, सर्वमंगले, ज्वालामालिनी, चित्रे, महानित्ये,

दिव्यौघगुरवः (7)
परमेश्वर, परमेश्वरी, मित्रेशमयी, षष्ठीशमयी, चर्यानाथमयी, लोपामुद्रमयी, अगस्त्यमयी,

सिद्धौघगुरवः (4)
कालतापशमयी, धर्माचार्यमयी, मुक्तकेशीश्वरमयी, दीपकलानाथमयी,

मानवौघगुरवः (8)
विष्णुदेवमयी, प्रभाकरदेवमयी, तेजोदेवमयी, मनोजदेवमयि, कल्याणदेवमयी, वासुदेवमयी, रत्नदेवमयी, श्रीरामानंदमयी,

श्रीचक्र प्रथमावरणदेवताः
अणिमासिद्धे, लघिमासिद्धे, गरिमासिद्धे, महिमासिद्धे, ईशित्वसिद्धे, वशित्वसिद्धे, प्राकाम्यसिद्धे, भुक्तिसिद्धे, इच्छासिद्धे, प्राप्तिसिद्धे, सर्वकामसिद्धे, ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारि, वैष्णवी, वाराही, माहेंद्री, चामुंडे, महालक्ष्मी, सर्वसंक्षोभिणी, सर्वविद्राविणी, सर्वाकर्षिणी, सर्ववशंकरी, सर्वोन्मादिनी, सर्वमहांकुशे, सर्वखेचरी, सर्वबीजे, सर्वयोने, सर्वत्रिखंडे, त्रैलोक्यमोहन चक्रस्वामिनी, प्रकटयोगिनी,

श्रीचक्र द्वितीयावरणदेवताः

कामाकर्षिणी, बुद्ध्याकर्षिणी, अहंकाराकर्षिणी, शब्दाकर्षिणी, स्पर्शाकर्षिणी, रूपाकर्षिणी, रसाकर्षिणी, गंधाकर्षिणी, चित्ताकर्षिणी, धैर्याकर्षिणी, स्मृत्याकर्षिणी, नामाकर्षिणी, बीजाकर्षिणी, आत्माकर्षिणी, अमृताकर्षिणी, शरीराकर्षिणी, सर्वाशापरिपूरक चक्रस्वामिनी, गुप्तयोगिनी,

श्रीचक्र तृतीयावरणदेवताः
अनंगकुसुमे, अनंगमेखले, अनंगमदने, अनंगमदनातुरे, अनंगरेखे, अनंगवेगिनी, अनंगांकुशे, अनंगमालिनी, सर्वसंक्षोभणचक्रस्वामिनी, गुप्ततरयोगिनी,

श्रीचक्र चतुर्थावरणदेवताः
सर्वसंक्षोभिणी, सर्वविद्राविनी, सर्वाकर्षिणी, सर्वह्लादिनी, सर्वसम्मोहिनी, सर्वस्तंभिनी, सर्वजृंभिणी, सर्ववशंकरी, सर्वरंजनी, सर्वोन्मादिनी, सर्वार्थसाधिके, सर्वसंपत्तिपूरिणी, सर्वमंत्रमयी, सर्वद्वंद्वक्षयंकरी, सर्वसौभाग्यदायक चक्रस्वामिनी, संप्रदाययोगिनी,

श्रीचक्र पंचमावरणदेवताः
सर्वसिद्धिप्रदे, सर्वसंपत्प्रदे, सर्वप्रियंकरी, सर्वमंगलकारिणी, सर्वकामप्रदे, सर्वदुःखविमोचनी, सर्वमृत्युप्रशमनि, सर्वविघ्ननिवारिणी, सर्वांगसुंदरी, सर्वसौभाग्यदायिनी, सर्वार्थसाधक चक्रस्वामिनी, कुलोत्तीर्णयोगिनी,

श्रीचक्र षष्टावरणदेवताः
सर्वज्ञे, सर्वशक्ते, सर्वैश्वर्यप्रदायिनी, सर्वज्ञानमयी, सर्वव्याधिविनाशिनी, सर्वाधारस्वरूपे, सर्वपापहरे, सर्वानंदमयी, सर्वरक्षास्वरूपिणी, सर्वेप्सितफलप्रदे, सर्वरक्षाकरचक्रस्वामिनी, निगर्भयोगिनी,

श्रीचक्र सप्तमावरणदेवताः
वशिनी, कामेश्वरी, मोदिनी, विमले, अरुणे, जयिनी, सर्वेश्वरी, कौलिनि, सर्वरोगहरचक्रस्वामिनी, रहस्ययोगिनी,

श्रीचक्र अष्टमावरणदेवताः
बाणिनी, चापिनी, पाशिनी, अंकुशिनी, महाकामेश्वरी, महावज्रेश्वरी, महाभगमालिनी, सर्वसिद्धिप्रदचक्रस्वामिनी, अतिरहस्ययोगिनी,

श्रीचक्र नवमावरणदेवताः
श्री श्री महाभट्टारिके, सर्वानंदमयचक्रस्वामिनी, परापररहस्ययोगिनी,

नवचक्रेश्वरी नामानि
त्रिपुरे, त्रिपुरेशी, त्रिपुरसुंदरी, त्रिपुरवासिनी, त्रिपुराश्रीः, त्रिपुरमालिनी, त्रिपुरसिद्धे, त्रिपुरांबा, महात्रिपुरसुंदरी,

श्रीदेवी विशेषणानि – नमस्कारनवाक्षरीच
महामहेश्वरी, महामहाराज्ञी, महामहाशक्ते, महामहागुप्ते, महामहाज्ञप्ते, महामहानंदे, महामहास्कंधे, महामहाशये, महामहा श्रीचक्रनगरसाम्राज्ञी, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमः ।

फलश्रुतिः

फलश्रुतिः
एषा विद्या महासिद्धिदायिनी स्मृतिमात्रतः ।
अग्निवातमहाक्षोभे राजाराष्ट्रस्यविप्लवे ॥

लुंठने तस्करभये संग्रामे सलिलप्लवे ।
समुद्रयानविक्षोभे भूतप्रेतादिके भये ॥

अपस्मारज्वरव्याधिमृत्युक्षामादिजेभये ।
शाकिनी पूतनायक्षरक्षःकूष्मांडजे भये ॥

मित्रभेदे ग्रहभये व्यसनेष्वाभिचारिके ।
अन्येष्वपि च दोषेषु मालामंत्रं स्मरेन्नरः ॥

तादृशं खड्गमाप्नोति येन हस्तस्थितेनवै ।
अष्टादशमहाद्वीपसम्राड्भोक्ताभविष्यति ॥

सर्वोपद्रवनिर्मुक्तस्साक्षाच्छिवमयोभवेत् ।
आपत्काले नित्यपूजां विस्तारात्कर्तुमारभेत् ॥

एकवारं जपध्यानं सर्वपूजाफलं लभेत् ।
नवावरणदेवीनां ललिताया महौजनः ॥

एकत्र गणनारूपो वेदवेदांगगोचरः ।
सर्वागमरहस्यार्थः स्मरणात्पापनाशिनी ॥

ललितायामहेशान्या माला विद्या महीयसी ।
नरवश्यं नरेंद्राणां वश्यं नारीवशंकरम् ॥

अणिमादिगुणैश्वर्यं रंजनं पापभंजनम् ।
तत्तदावरणस्थायि देवताबृंदमंत्रकम् ॥

मालामंत्रं परं गुह्यं परं धाम प्रकीर्तितम् ।
शक्तिमाला पंचधास्याच्छिवमाला च तादृशी ॥

तस्माद्गोप्यतराद्गोप्यं रहस्यं भुक्तिमुक्तिदम् ॥

॥ इति श्री वामकेश्वरतंत्रे उमामहेश्वरसंवादे देवीखड्गमालास्तोत्ररत्नं समाप्तम् ॥

श्री खड्गमाला स्तोत्र: अद्भुत रहस्यों और शक्ति का सरल परिचय
श्री खड्गमाला स्तोत्र: अद्भुत रहस्यों और शक्ति का सरल परिचय!

खड्गमाला का प्रारंभ कैसे करें?

श्री खड्गमाला स्तोत्र का पाठ करने से पहले:

  1. स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. शांत और पवित्र स्थान का चयन करें।
  3. देवी त्रिपुरसुंदरी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  4. मन को एकाग्र करें और आदरपूर्वक पाठ प्रारंभ करें।

श्री खड्गमाला स्तोत्र का पाठ सूर्योदय और सूर्यास्त के समय किया जाना अधिक फलदायी माना जाता है।


खड्गमाला स्तोत्र का पाठ कैसे करें?

श्री खड्गमाला स्तोत्र पढ़ते समय:

  1. ध्यान रखें कि उच्चारण सही हो।
  2. हर शब्द और मंत्र पर विशेष ध्यान दें।
  3. पढ़ने के बाद देवी को प्रसाद अर्पित करें।
  4. संकल्प लें कि इसका प्रभाव अपने जीवन में सकारात्मक रूप से लाएंगे।

खड्गमाला के पीछे का आध्यात्मिक अर्थ

श्री खड्गमाला स्तोत्र केवल एक प्रार्थना नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक यात्रा का मार्गदर्शन है। इसमें व्यक्ति को यह सिखाया जाता है कि:

  • हर चुनौती एक शक्ति का रूप है।
  • जीवन में संतुलन बनाए रखना जरूरी है।
  • ईश्वर के प्रति भक्ति और आस्था ही सच्ची शांति का मार्ग है।

खड्गमाला स्तोत्र के पाठ का लाभ

  1. आध्यात्मिक प्रगति: इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से आत्मा को शुद्धता और दिव्यता मिलती है।
  2. रक्षा कवच: यह स्तोत्र व्यक्ति को बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाने का काम करता है।
  3. ध्यान और योग: खड्गमाला स्तोत्र का पाठ ध्यान को गहरा करता है।
  4. कर्मफल से मुक्ति: यह स्तोत्र व्यक्ति के अधर्म कर्म को समाप्त कर उसे मुक्ति प्रदान करता है।

खड्गमाला का पाठ करने वाले भक्तों के अनुभव

जो लोग नियमित रूप से श्री खड्गमाला स्तोत्र का पाठ करते हैं, वे बताते हैं कि:

  • उनकी भय और चिंता कम हो गई।
  • जीवन में नए अवसर आने लगे।
  • परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आई।
  • आत्मा में एक अद्भुत शक्ति और साहस का संचार हुआ।

क्या खड्गमाला को कोई भी पढ़ सकता है?

हां, खड्गमाला स्तोत्र को हर वह व्यक्ति पढ़ सकता है जो भक्ति और श्रद्धा से भरा हुआ हो। हालांकि, इसके सही उच्चारण और नियमों का पालन करना आवश्यक है।

यह स्तोत्र किसी भी धार्मिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति के लिए उपयोगी है।


खड्गमाला स्तोत्र और आधुनिक जीवन

आज के तनावपूर्ण जीवन में खड्गमाला स्तोत्र व्यक्ति के लिए एक आध्यात्मिक औषधि है।

  • यह मन की स्थिरता को बनाए रखता है।
  • तनाव और डिप्रेशन को कम करता है।
  • व्यक्ति को आध्यात्मिकता और भौतिकता के बीच संतुलन सिखाता है।

श्री खड्गमाला स्तोत्र एक शक्ति का स्रोत है। यह न केवल हमारी आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है, बल्कि हमारे दैनिक जीवन की समस्याओं को हल करने में भी मदद करता है।

यदि आप इसे श्रद्धा और पूर्ण निष्ठा के साथ पढ़ते हैं, तो यह आपके जीवन को सकारात्मक ऊर्जा, शांति, और सफलता से भर देगा।


“श्री खड्गमाला स्तोत्र: जीवन बदलने वाली शक्ति का अनमोल रहस्य”
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श्री खड्गमाला स्तोत्र सामान्य प्रश्न और उनके उत्तर

  1. खड्गमाला स्तोत्र क्या है?
    खड्गमाला स्तोत्र देवी त्रिपुरसुंदरी की पूजा का एक शक्तिशाली मंत्र है, जो देवी के विभिन्न रूपों का आह्वान करता है। यह आध्यात्मिक उन्नति और शक्ति प्राप्त करने का एक सशक्त साधन है।
  2. क्या खड्गमाला स्तोत्र केवल हिन्दू धर्म के लोग पढ़ सकते हैं?
    नहीं, यह स्तोत्र किसी भी व्यक्ति के द्वारा पढ़ा जा सकता है, चाहे वह किसी भी धर्म या पृष्ठभूमि से हो। यह केवल श्रद्धा और भक्ति से पढ़ने योग्य है।
  3. खड्गमाला स्तोत्र का पाठ कितनी बार किया जाना चाहिए?
    खड्गमाला का नियमित पाठ करने से लाभ मिलता है। आदर्श रूप से इसे 108 बार या कम से कम 16 बार पढ़ना चाहिए।
  4. क्या खड्गमाला स्तोत्र का पाठ महिलाओं के लिए भी उपयुक्त है?
    हां, यह स्तोत्र महिलाओं के लिए भी उतना ही प्रभावी है। खड्गमाला स्तोत्र में किसी प्रकार का लिंग भेद नहीं है।
  5. क्या खड्गमाला का पाठ सिर्फ मंदिर में किया जा सकता है?
    नहीं, खड्गमाला का पाठ किसी भी स्वच्छ और शांत स्थान पर किया जा सकता है। सबसे अच्छा है यदि आप इसे अपने घर में या पूजा स्थल पर पढ़ें।
  6. क्या खड्गमाला स्तोत्र का पाठ मानसिक शांति देता है?
    हां, यह स्तोत्र व्यक्ति के मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है, साथ ही मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।
  7. क्या खड्गमाला स्तोत्र से समस्याओं का समाधान मिलता है?
    हां, इस स्तोत्र का नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन में समस्याओं को हल करने और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने में मदद करता है।
  8. क्या खड्गमाला स्तोत्र का पाठ किसी विशेष समय पर किया जाना चाहिए?
    आदर्श रूप से, यह स्तोत्र सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पढ़ना बहुत फायदेमंद होता है।
  9. क्या खड्गमाला स्तोत्र का पाठ करने से आत्मविश्वास बढ़ता है?
    हां, नियमित पाठ से व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और वह जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस करता है।
  10. क्या खड्गमाला स्तोत्र का पाठ शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डालता है?
    यह स्तोत्र शारीरिक स्वास्थ्य को सीधे प्रभावित नहीं करता, लेकिन मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा से शरीर में सुधार आता है।
  11. क्या खड्गमाला स्तोत्र का पाठ केवल विशेष अवसरों पर करना चाहिए?
    नहीं, यह स्तोत्र हर दिन पढ़ा जा सकता है, लेकिन विशेष अवसरों जैसे नवरात्रि या माँ दुर्गा की पूजा के समय इसे अधिक लाभकारी माना जाता है।
  12. क्या खड्गमाला स्तोत्र का जाप करने से कर्ज़ और आर्थिक संकट दूर होते हैं?
    हां, इस स्तोत्र का नियमित जाप आर्थिक समस्याओं को कम करने और धन-संप्रदाय बढ़ाने में मदद कर सकता है।
  13. क्या खड्गमाला स्तोत्र का पाठ सिर्फ मंत्रों के उच्चारण से होता है?
    हां, खड्गमाला स्तोत्र में जो मंत्र हैं, उनका सही उच्चारण और ध्यान बेहद महत्वपूर्ण है। केवल मानसिक रूप से ध्यान करने से भी लाभ मिलता है।
  14. क्या खड्गमाला स्तोत्र के पाठ के बाद कुछ विशेष उपाय किए जाते हैं?
    पाठ के बाद देवी को प्रसाद अर्पित किया जाता है और मन में सकारात्मक संकल्प लिया जाता है। इस समय शांतिपूर्ण अवस्था में रहना चाहिए।
  15. क्या खड्गमाला स्तोत्र का पाठ कठिन है?
    खड्गमाला स्तोत्र का पाठ कठिन नहीं है, लेकिन इसका सही उच्चारण और मानसिक एकाग्रता महत्वपूर्ण है। इसे आसानी से सिखा जा सकता है, लेकिन अभ्यास की आवश्यकता होती है।

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