कनकधारा स्तोत्र: गरीबी से समृद्धि तक का अद्भुत रहस्य!
कनकधारा का अर्थ है “सोने की धारा”। यह एक प्रसिद्ध स्त्रोत है, जिसे आदि शंकराचार्य ने रचा था। इसे पढ़ने और सुनने से व्यक्ति के जीवन में धन, सुख और समृद्धि का वास होता है। इस स्तोत्र की महिमा इतनी है कि इसे सुनने से ही व्यक्ति की दरिद्रता दूर हो जाती है।
आदि शंकराचार्य ने इसे माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लिखा था। ऐसा माना जाता है कि माँ लक्ष्मी स्वयं कनकधारा स्तोत्र के पाठ से प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। यह केवल धन का प्रतीक नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का भी मार्गदर्शन करता है।
कनकधारा स्तोत्र की रचना के पीछे एक बहुत सुंदर कहानी है। आदि शंकराचार्य, जब केवल 8 वर्ष के थे, तो एक गरीब ब्राह्मण महिला के घर भिक्षा मांगने गए। उस महिला के पास केवल एक सूखा आंवला था। उन्होंने वही शंकराचार्य को अर्पित किया।
महिला की भक्ति से प्रभावित होकर शंकराचार्य ने माँ लक्ष्मी से प्रार्थना की। उनकी प्रार्थना से माँ लक्ष्मी ने प्रकट होकर महिला को धन-धान्य से संपन्न कर दिया। यही स्तुति “कनकधारा स्तोत्र” के रूप में जानी जाती है।
॥ श्री कनकधारा स्तोत्र ॥
अङ्ग हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती
भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम् ।
अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीला
माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः ॥1॥मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः
प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि ।
माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या
सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥2॥विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्ष –
मानन्दहेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि ।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्ध –
मिन्दीवरोदरसहोदरमिन्दिरायाः ॥3॥आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्द –
मानन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम् ।
आकेकरस्थितकनीनिकपक्ष्मनेत्रं
भूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः ॥4॥बाह्वन्तरे मधुजितः श्रितकौस्तुभे या
हारावलीव हरिनीलमयी विभाति ।
कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला
कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः ॥5॥कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारे –
र्धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव ।
मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्ति –
र्भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः ॥6॥प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत्प्रभावान्
माङ्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्मथेन।
मय्यापतेत्तदिह मन्थरमीक्षणार्धं
मन्दालसं च मकरालयकन्यकायाः ॥7॥दद्याद् दयानुपवनो द्रविणाम्बुधारा –
मस्मिन्नकिञ्चनविहङ्गशिशौ विषण्णे।
दुष्कर्मघर्ममपनीय चिराय दूरं
नारायणप्रणयिनीनयनाम्बुवाहः ॥8॥इष्टा विशिष्टमतयोऽपि यया दयार्द्र –
दृष्ट्या त्रिविष्टपपदं सुलभं लभन्ते।
दृष्टिः प्रहृष्टकमलोदरदीप्तिरिष्टां
पुष्टिं कृषीष्ट मम पुष्करविष्टरायाः ॥9॥गीर्देवतेति गरुडध्वजसुन्दरीति
शाकम्भरीति शशिशेखरवल्लभेति।
सृष्टिस्थितिप्रलयकेलिषु संस्थितायै
तस्यै नमस्त्रिभुवनैकगुरोस्तरुण्यै ॥10॥श्रुत्यै नमोऽस्तु शुभकर्मफलप्रसूत्यै
रत्यै नमोऽस्तु रमणीयगुणार्णवायै।
शक्त्यै नमोऽस्तु शतपत्रनिकेतनायै
पुष्ट्यै नमोऽस्तु पुरुषोत्तमवल्लभायै ॥11॥नमोऽस्तु नालीकनिभाननायै
नमोऽस्तु दुग्धोदधिजन्मभूत्यै।
नमोऽस्तु सोमामृतसोदरायै
नमोऽस्तु नारायणवल्लभायै ॥12॥सम्पत्कराणि सकलेन्द्रियनन्दनानि
साम्राज्यदानविभवानि सरोरुहाक्षि।
त्वद्वन्दनानि दुरिताहरणोद्यतानि
मामेव मातरनिशं कलयन्तु मान्ये ॥13॥यत्कटाक्षसमुपासनाविधिः
सेवकस्य सकलार्थसम्पदः।
संतनोति वचनाङ्गमानसै –
स्त्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे ॥14॥सरसिजनिलये सरोजहस्ते
धवलतमांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे
त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम् ॥15॥दिग्घस्तिभिः कनककुम्भमुखावसृष्ट –
स्वर्वाहिनीविमलचारुजलप्लुताङ्गीम्।
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष –
लोकाधिनाथगृहिणीममृताब्धिपुत्रीम् ॥16॥कमले कमलाक्षवल्लभे
त्वं करुणापूरतरङ्गितैरपाङ्गैः।
अवलोकय मामकिञ्चनानां
प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयायाः ॥17॥स्तुवन्ति ये स्तुतिभिरमूभिरन्वहं
त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।
गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो
भवन्ति ते भुवि बुधभाविताशयाः ॥18॥
कनकधारा स्तोत्र को पढ़ने और समझने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। यह व्यक्ति के जीवन में आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है।
इस स्त्रोत को रोजाना पढ़ने से:
माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने का यह एक सशक्त माध्यम है। यह न केवल भौतिक संपन्नता बल्कि आध्यात्मिक शुद्धता भी प्रदान करता है।
कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने के लिए कुछ विशेष नियम हैं:
अगर यह पाठ सही तरीके से किया जाए, तो इसका प्रभाव अवश्य होता है। यह न केवल धन बल्कि सकारात्मक सोच भी लाता है।
कनकधारा स्तोत्र के 21 श्लोक हैं। प्रत्येक श्लोक में माँ लक्ष्मी की महिमा का वर्णन है। इन श्लोकों में माँ लक्ष्मी को:
यह स्त्रोत माँ लक्ष्मी की करुणा और प्रेम को दर्शाता है। इसे पढ़ने से हमारे भीतर नम्रता, संतोष और सकारात्मकता का विकास होता है।
कनकधारा स्तोत्र केवल धन प्राप्ति का साधन नहीं है। यह हमारी आध्यात्मिक उन्नति में भी मदद करता है। इसे पढ़ने से हमारे भीतर:
यह स्त्रोत हमें सिखाता है कि सच्चा धन केवल पैसा नहीं है, बल्कि हमारा चरित्र, ज्ञान, और आध्यात्मिकता भी हैं।
कनकधारा स्तोत्र को नियमित पढ़ने से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:
माँ लक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग आर्थिक संकट और तनाव से जूझ रहे हैं। ऐसे समय में कनकधारा स्तोत्र एक उपाय बन सकता है।
इस स्त्रोत को पढ़ने से हमारी आंतरिक शक्ति बढ़ती है। यह हमें यह भी सिखाता है कि सच्चा सुख केवल धन में नहीं, बल्कि आत्म-संतोष में है।
कनकधारा स्तोत्र को पढ़ते समय उत्पन्न होने वाली ध्वनि तरंगें हमारे मन और शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से, ये तरंगें:
यह एक प्रकार का मेडिटेशन है, जो हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है।
ज्योतिष में, कनकधारा स्तोत्र को ग्रह दोष निवारण के लिए भी उपयोग किया जाता है। खासकर:
इसका पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और धन का प्रवाह बढ़ता है।
कनकधारा स्तोत्र हमें यह प्रेरणा देता है कि हम अपने जीवन में निस्वार्थता और दया का भाव रखें। इसका मुख्य संदेश है कि सच्चा धन हमारी सोच और आचरण में है।
यह स्त्रोत हमें यह भी सिखाता है कि अगर हमारे कार्य पवित्र और सच्चे होंगे, तो माँ लक्ष्मी स्वयं हम पर कृपा करेंगी।
कनकधारा स्तोत्र न केवल एक प्रार्थना है, बल्कि यह जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भरने का मार्ग है। इसका नियमित पाठ व्यक्ति को आध्यात्मिक, मानसिक, और आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है।
अगर आप अपने जीवन में सुख-समृद्धि चाहते हैं, तो कनकधारा स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। माँ लक्ष्मी की कृपा से आपका जीवन भी कनकधारा की तरह स्वर्णिम हो जाएगा।
कनकधारा स्तोत्र एक प्रसिद्ध प्रार्थना है, जिसे आदि शंकराचार्य ने माँ लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए रचा था। इसका उद्देश्य दरिद्रता दूर कर जीवन में सुख और समृद्धि लाना है।
‘कनकधारा’ का शाब्दिक अर्थ है ‘सोने की धारा’। यह माँ लक्ष्मी की कृपा से धन और समृद्धि की वर्षा का प्रतीक है।
कनकधारा स्तोत्र की रचना महान संत आदि शंकराचार्य ने की थी।
यह स्त्रोत दरिद्रता को दूर करता है, सुख-समृद्धि लाता है, और मन को शांत करता है।
जी हां, इसे नियमित रूप से पढ़ने से धन की कमी दूर होती है और आर्थिक स्थिरता आती है।
कनकधारा स्तोत्र का पाठ सुबह और शाम के समय शुद्ध मन और भक्ति भाव से करना चाहिए।
हां, विशेष रूप से दीपावली, धनतेरस, और माँ लक्ष्मी की पूजा के दौरान इसका पाठ करना शुभ माना जाता है।
यह स्त्रोत संस्कृत में है, लेकिन इसके सरल अनुवाद उपलब्ध हैं, जिससे इसे समझना और पढ़ना आसान हो जाता है।
यह स्त्रोत कुल 21 श्लोकों का है।
नहीं, यह स्त्रोत किसी भी धर्म का व्यक्ति पढ़ सकता है, क्योंकि यह आध्यात्मिक उन्नति और समृद्धि के लिए है।
यह स्त्रोत एक गरीब महिला की मदद के लिए रचा गया था, जो माँ लक्ष्मी की कृपा से धनवान बन गई।
हां, यह स्त्रोत विशेष रूप से शुक्र ग्रह और कर्ज मुक्ति से जुड़े दोषों को दूर करने में सहायक है।
जी हां, इसका नियमित पाठ करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
हां, यह व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है और आत्मिक शुद्धता लाता है।
हां, इसे शुद्ध मन और भक्ति भाव से माँ लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप जलाकर करना चाहिए।
Lottery Sambad DEAR Finch Monday Result — 22 September 2025 The Lottery Sambad DEAR Finch…
Every day, millions of Indians wait eagerly for one thing: Lottery Sambad results. With draws…
The results for the much-awaited Lottery Sambad Dear BLITZEN Monday Weekly have been released for…
How Lottery Winners Should Invest Their Money in 2025-2026 Winning the lottery can feel like…
Official Kerala Lottery Results for 22-09-2025 - Bhagyathara (BT-21) Draw Kerala Lottery 22-09-2025 Bhagyathara (BT-21)…
Lottery Sambad Dear DWARKA Monday Weekly Result Announced – Jackpot Number 88304 Wins Big! The…