सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का जादू: तुरंत पाएं भगवान सूर्य की कृपा!

Soma
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सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का जादू: तुरंत पाएं भगवान सूर्य की कृपा!

सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का जादू: तुरंत पाएं भगवान सूर्य की कृपा!

भगवान सूर्य को वेदों में सभी ग्रहों के राजा के रूप में वर्णित किया गया है। वह प्रकाश, ऊर्जा और जीवन के स्रोत हैं। हिंदू धर्म में, भगवान सूर्य की पूजा, व्रत और चालीसा के पाठ से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सफलता और समृद्धि आती है। सूर्य चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक लाभ मिलते हैं। यह चालीसा रोग, आलस्य, दरिद्रता और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में सहायक है। इस लेख में, हम सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का महत्व, फायदे, विधि और चमत्कारी प्रभाव के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Contents

भगवान सूर्य कौन हैं?

भगवान सूर्य को वैदिक देवता माना जाता है। उन्हें सूर्य नारायण, दिवाकर, भास्कर, दिनकर आदि नामों से जाना जाता है। वे दिशाओं के स्वामी और रोगों के नाशक हैं। स्कंद पुराण और भगवद गीता में बताया गया है कि भगवान सूर्य को नमन करने से जीवन में ज्ञान, शक्ति और ऊर्जा आती है।

भगवान सूर्य को न्याय, सत्य, धर्म और स्वास्थ्य का देवता भी कहा जाता है। ज्योतिष में, सूर्य ग्रह को राजयोग, आत्मबल, नेतृत्व क्षमता और आत्मविश्वास का प्रतीक माना गया है। इसलिए, जो लोग अपने जीवन में सफलता, उन्नति और स्वास्थ्य चाहते हैं, उन्हें भगवान सूर्य की आराधना करनी चाहिए।

सूर्य चालीसा (Surya Chalisa)

सूर्य चालीसा
(Surya Chalisa)


॥ दोहा ॥

कनक बदन कुण्डल मकर,मुक्ता माला अङ्ग।
पद्मासन स्थित ध्याइए,शंख चक्र के सङ्ग॥

॥ चौपाई ॥

जय सविता जय जयति दिवाकर!।सहस्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!।सविता हंस! सुनूर विभाकर॥

विवस्वान! आदित्य! विकर्तन।मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते।वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥

सहस्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि।मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर।हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥

मंडल की महिमा अति न्यारी।तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते।देखि पुरन्दर लज्जित होते॥

मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर।सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै।हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥

द्वादस नाम प्रेम सों गावैं।मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै।दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥

नमस्कार को चमत्कार यह।विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई।अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥

बारह नाम उच्चारन करते।सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन।रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥

धन सुत जुत परिवार बढ़तु है।प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते।रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥

सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत।कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित।भास्कर करत सदा मुखको हित॥

ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे।रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा।तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥

पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर।त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन।भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥

बसत नाभि आदित्य मनोहर।कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा।गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥

विवस्वान पद की रखवारी।बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्रांशु सर्वांग सम्हारै।रक्षा कवच विचित्र विचारे॥

अस जोजन अपने मन माहीं।भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै।जोजन याको मन मंह जापै॥

अंधकार जग का जो हरता।नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही।कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥

मंद सदृश सुत जग में जाके।धर्मराज सम अद्भुत बांके॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा।किया करत सुरमुनि नर सेवा॥

भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों।दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥
परम धन्य सों नर तनधारी।हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥

अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन।मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥
भानु उदय बैसाख गिनावै।ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥

यम भादों आश्विन हिमरेता।कातिक होत दिवाकर नेता॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं।पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं॥

॥ दोहा ॥

भानु चालीसा प्रेम युत,गावहिं जे नर नित्य।
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध,होंहिं सदा कृतकृत्य॥

सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का जादू: तुरंत पाएं भगवान सूर्य की कृपा!
सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का जादू: तुरंत पाएं भगवान सूर्य की कृपा!

सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) क्या है?

सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) एक भक्ति गीत है, जिसमें 40 दोहे और चौपाइयां होती हैं। यह तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा की तरह सूर्य देव की स्तुति में बनाई गई है। इस चालीसा के पाठ से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आरोग्य, धन, सफलता और तेज प्रदान करते हैं।

सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का पाठ विशेष रूप से रविवार को किया जाता है। इसका नियमित पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा, रोगों से मुक्ति, सरकारी नौकरी में सफलता और जीवन में तेजस्विता आती है। यह चालीसा सूर्य ग्रह से संबंधित दोषों को भी दूर करती है।


सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) के लाभ

1. स्वास्थ्य लाभ

सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का पाठ करने से शरीर में ऊर्जा और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। यह आंखों, हड्डियों और हृदय के लिए बहुत लाभकारी है।

2. सफलता और उन्नति

भगवान सूर्य को राजयोग और सफलता का देवता माना जाता है। जो लोग करियर, बिजनेस और सरकारी नौकरी में उन्नति चाहते हैं, उन्हें इसका नियमित पाठ करना चाहिए।

3. ग्रह दोष निवारण

जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, उन्हें सूर्य चालीसा का पाठ करने से सूर्य ग्रह की कृपा मिलती है। यह राहु-केतु और शनि के प्रभाव को भी कम करता है।

4. आर्थिक समृद्धि

सूर्य देव को प्रसन्न करने से धन, मान-सम्मान और पदोन्नति प्राप्त होती है। यह व्यापारियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है।

5. आत्मविश्वास और चारित्रिक बल

सूर्य देव बुद्धि, आत्मबल और सत्यता के प्रतीक हैं। उनका आशीर्वाद पाने से व्यक्ति का स्वभाव दृढ़, ईमानदार और आत्मविश्वासी बनता है।


सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का पाठ करने की विधि

1. सही समय

सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का पाठ रविवार या रोज़ सुबह सूर्योदय के समय करना चाहिए। इस समय भगवान सूर्य की ऊर्जा सबसे शक्तिशाली होती है।

2. स्नान और पवित्रता

पाठ से पहले स्नान करें और लाल वस्त्र पहनें। यह शुद्धता और ऊर्जा बढ़ाने में सहायक होता है।

3. सूर्य अर्घ्य देना

सूर्य देव को ताम्बे के लोटे में जल, गुड़, चावल और लाल फूल डालकर अर्घ्य दें। यह सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य लाने में मदद करता है।

4. धूप, दीप और प्रसाद

भगवान सूर्य को गुड़, गेहूं, लाल फूल और दीपक अर्पित करें। इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं।

5. पूर्ण श्रद्धा और आस्था

सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का पाठ श्रद्धा और एकाग्रता से करें। मन से प्रार्थना करें कि भगवान सूर्य आपके जीवन में प्रकाश और सफलता लाएं।


सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का पाठ कैसे करें?

🔹 श्री गणेशाय नमः
🔹 ॐ सूर्याय नमः
🔹 चालीसा पढ़ें और अर्थ समझें
🔹 सूर्य मंत्र का जाप करें – “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः”
🔹 अंत में प्रार्थना करें और प्रसाद बांटें


सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का महत्व ज्योतिष में

ज्योतिष में सूर्य को आत्मा, ऊर्जा, सफलता और नेतृत्व का प्रतीक माना गया है। यदि कुंडली में सूर्य कमजोर हो, तो व्यक्ति को आत्मविश्वास की कमी, करियर में रुकावट, मान-सम्मान की हानि और स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का पाठ करने से सूर्य ग्रह मजबूत होता है और व्यक्ति के जीवन में प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह सूर्य महादशा और अंतर्दशा के दोषों को भी समाप्त करता है।


सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) कब पढ़ना चाहिए?

📌 रविवार को सूर्योदय के समय
📌 सूर्य ग्रह की दशा खराब होने पर
📌 स्वास्थ्य, करियर और सफलता के लिए
📌 शत्रु नाश और आत्मबल बढ़ाने के लिए
📌 यदि सरकारी कार्यों में रुकावट हो


सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का पाठ जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य, सफलता और आत्मविश्वास लाने का एक शक्तिशाली उपाय है। भगवान सूर्य को प्रसन्न करने से जीवन में तेज, ओज और समृद्धि आती है। यदि आप करियर में तरक्की, आर्थिक उन्नति और मानसिक शांति चाहते हैं, तो सूर्य चालीसा का पाठ अवश्य करें।

FAQs: सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

1. सूर्य चालीसा (Surya Chalisa)क्या है?

सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) भगवान सूर्य की स्तुति में रचित 40 छंदों का भक्ति पाठ है, जिसे पढ़ने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।

2. सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का पाठ करने से क्या लाभ होता है?

यह पाठ स्वास्थ्य, आत्मविश्वास, सफलता, सरकारी नौकरी, और आर्थिक उन्नति में सहायक होता है।

3. सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का पाठ करने का सही समय क्या है?

रविवार को सूर्योदय के समय या रोज़ सुबह स्नान करके पूर्व दिशा की ओर मुख करके पढ़ना उत्तम होता है।

4. क्या सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का पाठ करने से कुंडली के दोष दूर हो सकते हैं?

हाँ, यह पाठ सूर्य ग्रह से जुड़ी समस्याओं को कम करता है और राहु-केतु एवं शनि के बुरे प्रभाव को भी दूर करता है।

5. सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) कितने दिनों तक पढ़ना चाहिए?

कम से कम 43 दिन लगातार पढ़ने से विशेष लाभ मिलता है, लेकिन इसे नियमित रूप से पढ़ना सबसे अच्छा है।

6. क्या बिना व्रत के सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) पढ़ सकते हैं?

हाँ, इसे बिना व्रत के भी पढ़ सकते हैं, लेकिन रविवार को व्रत रखकर पढ़ना अधिक प्रभावी होता है।

7. क्या सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) पढ़ने से सरकारी नौकरी में सफलता मिलती है?

हाँ, यह करियर और सरकारी नौकरी में सफलता दिलाने में मदद करता है, क्योंकि सूर्य राजयोग और नेतृत्व क्षमता के देवता हैं।

8. सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) पढ़ते समय कौन-सी चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए?

🔸 साफ वस्त्र पहनें
🔸 पूर्व दिशा की ओर मुख करें
🔸 ताम्बे के लोटे से जल अर्पित करें
🔸 ध्यान और श्रद्धा के साथ पाठ करें

9. क्या सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) से नेत्र और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं ठीक हो सकती हैं?

हाँ, यह नेत्र, हृदय, पाचन और हड्डियों की समस्याओं में राहत देने में सहायक है।

10. क्या सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का पाठ करने से आत्मविश्वास बढ़ता है?

हाँ, यह मन को शक्ति, साहस और आत्मबल देता है, जिससे व्यक्ति का नेतृत्व कौशल बढ़ता है।

11. सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का पाठ करने के बाद कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करना शुभ होता है।

12. सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) पढ़ने से कौन-कौन से ग्रह दोष समाप्त होते हैं?

🔹 सूर्य महादशा का प्रभाव
🔹 राहु-केतु ग्रह दोष
🔹 शनि की साढ़े साती और ढैय्या

13. सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) किन लोगों के लिए अनिवार्य रूप से पढ़ना चाहिए?

🔸 जिनका सूर्य कमजोर है
🔸 जिन्हें स्वास्थ्य समस्याएं हैं
🔸 जो सरकारी नौकरी चाहते हैं
🔸 जो साहस और आत्मबल बढ़ाना चाहते हैं

14. सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) पढ़ने से आर्थिक तंगी दूर हो सकती है?

हाँ, यह धन, व्यवसाय और उन्नति में सहायक होता है, क्योंकि सूर्य समृद्धि और सफलता के देवता हैं।

15. क्या सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) को घर के मंदिर में पढ़ सकते हैं?

हाँ, इसे घर के मंदिर में या खुली जगह पर सूर्य की ओर मुख करके पढ़ सकते हैं।

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