नर्मदा चालीसा: (Narmada Chalisa) नर्मदा मैया की भक्ति से जीवन में सुख-समृद्धि पाएं!

Soma
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नर्मदा चालीसा: (Narmada Chalisa) नर्मदा मैया की भक्ति से जीवन में सुख-समृद्धि पाएं!

नर्मदा चालीसा: (Narmada Chalisa) नर्मदा मैया की भक्ति से जीवन में सुख-समृद्धि पाएं!


नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) – नर्मदा मैया की भक्ति के लिए

नर्मदा नदी को भारत में माँ नर्मदा के रूप में पूजा जाता है। इसे मोक्षदायिनी और पापनाशिनी माना जाता है। हिंदू धर्म में नर्मदा जी की भक्ति अत्यंत पुण्यकारी मानी जाती है। नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) एक भक्तिपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें माँ नर्मदा की महिमा, कृपा और चमत्कार का वर्णन किया गया है। इस लेख में हम नर्मदा चालीसा के महत्व, पाठ विधि, लाभ और इतिहास को विस्तार से जानेंगे।

Contents

नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का महत्व

चालीसा का पाठ हिंदू धर्म में सिद्ध मंत्र माना जाता है। नर्मदा चालीसा के नियमित पाठ से व्यक्ति को मन की शांति, आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता प्राप्त होती है। यह जीवन की संकटों और बाधाओं को दूर करने में मदद करती है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का पाठ करता है, उसे नर्मदा मैया की कृपा प्राप्त होती है और उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं।

नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa)

नर्मदा चालीसा:
(Narmada Chalisa)

॥ दोहा॥

देवि पूजित, नर्मदा,
महिमा बड़ी अपार ।
चालीसा वर्णन करत,
कवि अरु भक्त उदार॥
इनकी सेवा से सदा,
मिटते पाप महान ।
तट पर कर जप दान नर,
पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥

जय-जय-जय नर्मदा भवानी,
तुम्हरी महिमा सब जग जानी ।

अमरकण्ठ से निकली माता,
सर्व सिद्धि नव निधि की दाता ।

कन्या रूप सकल गुण खानी,
जब प्रकटीं नर्मदा भवानी ।

सप्तमी सुर्य मकर रविवारा,
अश्वनि माघ मास अवतारा ॥4

वाहन मकर आपको साजैं,
कमल पुष्प पर आप विराजैं ।

ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं,
तब ही मनवांछित फल पावैं ।

दर्शन करत पाप कटि जाते,
कोटि भक्त गण नित्य नहाते ।

जो नर तुमको नित ही ध्यावै,
वह नर रुद्र लोक को जावैं ॥8

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं,
अंतिम समय परमपद पावैं ।

मस्तक मुकुट सदा ही साजैं,
पांव पैंजनी नित ही राजैं ।

कल-कल ध्वनि करती हो माता,
पाप ताप हरती हो माता ।

पूरब से पश्चिम की ओरा,
बहतीं माता नाचत मोरा ॥12

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं,
सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं ।

शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं,
सकल देव गण तुमको ध्यावैं ।

कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे,
ये सब कहलाते दु:ख हारे ।

मनोकमना पूरण करती,
सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं ॥16

कनखल में गंगा की महिमा,
कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा ।

पर नर्मदा ग्राम जंगल में,
नित रहती माता मंगल में ।

एक बार कर के स्नाना,
तरत पिढ़ी है नर नारा ।

मेकल कन्या तुम ही रेवा,
तुम्हरी भजन करें नित देवा ॥20

जटा शंकरी नाम तुम्हारा,
तुमने कोटि जनों को है तारा ।

समोद्भवा नर्मदा तुम हो,
पाप मोचनी रेवा तुम हो ।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई,
करत न बनती मातु बड़ाई ।

जल प्रताप तुममें अति माता,
जो रमणीय तथा सुख दाता ॥24

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी,
महिमा अति अपार है तुम्हारी ।

तुम में पड़ी अस्थि भी भारी,
छुवत पाषाण होत वर वारि ।

यमुना मे जो मनुज नहाता,
सात दिनों में वह फल पाता ।

सरस्वती तीन दीनों में देती,
गंगा तुरत बाद हीं देती ॥28

पर रेवा का दर्शन करके
मानव फल पाता मन भर के ।

तुम्हरी महिमा है अति भारी,
जिसको गाते हैं नर-नारी ।

जो नर तुम में नित्य नहाता,
रुद्र लोक मे पूजा जाता ।

जड़ी बूटियां तट पर राजें,
मोहक दृश्य सदा हीं साजें ॥32

वायु सुगंधित चलती तीरा,
जो हरती नर तन की पीरा ।

घाट-घाट की महिमा भारी,
कवि भी गा नहिं सकते सारी ।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा,
और सहारा नहीं मम दूजा ।

हो प्रसन्न ऊपर मम माता,
तुम ही मातु मोक्ष की दाता ॥35

जो मानव यह नित है पढ़ता,
उसका मान सदा ही बढ़ता ।

जो शत बार इसे है गाता,
वह विद्या धन दौलत पाता ।

अगणित बार पढ़ै जो कोई,
पूरण मनोकामना होई ।

सबके उर में बसत नर्मदा,
यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ॥40

॥ दोहा ॥

भक्ति भाव उर आनि के,
जो करता है जाप ।

माता जी की कृपा से,
दूर होत संताप॥

॥ इति श्री नर्मदा चालीसा ॥

नर्मदा चालीसा: (Narmada Chalisa) नर्मदा मैया की भक्ति से जीवन में सुख-समृद्धि पाएं!
नर्मदा चालीसा: (Narmada Chalisa) नर्मदा मैया की भक्ति से जीवन में सुख-समृद्धि पाएं!

नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का इतिहास

नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का सृजन संतों और भक्तों द्वारा किया गया था। इसमें नर्मदा जी की महानता, उनके तीर्थों, नदी के प्रभाव, तथा उनके दिव्य स्वरूप का गुणगान किया गया है। यह संस्कृत और हिंदी भाषा में मिलती है, जिसमें 40 छंद (चौपाई और दोहे) होते हैं। इस चालीसा का पाठ नर्मदा परिक्रमा करने वाले साधक, संत और श्रद्धालु विशेष रूप से करते हैं।

नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का पाठ विधि

  1. स्नान और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. नर्मदा मैया की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीप जलाएं।
  3. पीले या सफेद फूल अर्पित करें।
  4. धूप और दीप जलाकर चालीसा का पाठ करें।
  5. पाठ के बाद आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
  6. यह पाठ सुबह या संध्या को करना अधिक फलदायी होता है।

नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) पाठ के लाभ

  1. सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
  2. घर में सुख-शांति बनी रहती है।
  3. नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
  4. आर्थिक समस्या दूर होती है।
  5. मानसिक तनाव समाप्त होता है।
  6. नर्मदा परिक्रमा करने वालों को विशेष लाभ मिलता है।

नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का अर्थ

नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) में माँ नर्मदा की उत्पत्ति, उनका स्वरूप, उनका प्रभाव और कृपा का वर्णन किया गया है। इसमें भक्तों के अनुभव, नर्मदा स्नान के लाभ, और उनकी भक्ति से जीवन में बदलाव का उल्लेख किया गया है।

नर्मदा मैया की पूजा और व्रत

नर्मदा जयंती, माघ पूर्णिमा, गंगा दशहरा, और श्रावण मास में नर्मदा मैया की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, नर्मदा चालीसा Narmada Chalisa) का पाठ करते हैं और नर्मदा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है।

नर्मदा परिक्रमा और चालीसा का संबंध

नर्मदा परिक्रमा एक महान आध्यात्मिक यात्रा है, जिसे पूरा करने में लगभग 3 वर्ष लगते हैं। इस दौरान भक्त नर्मदा चालीसा का पाठ करते हैं। ऐसा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष प्राप्ति होती है।

नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का पाठ भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी है। यह न केवल हमें आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है, बल्कि हमारे जीवन की समस्याओं को भी दूर करता है। यदि आप नर्मदा मैया की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो नियमित रूप से नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का पाठ करें और अपने जीवन को सुख-शांति और समृद्धि से भरें।


FAQs: नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa)

1. नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) क्या है?

नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) एक भक्तिपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें नर्मदा मैया की महिमा का गुणगान किया गया है। इसमें 40 छंद (चौपाई और दोहे) होते हैं, जो नर्मदा नदी की कृपा, प्रभाव और महत्ता को दर्शाते हैं।

2. नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का पाठ कब करना चाहिए?

इसका पाठ सुबह या संध्या के समय करना श्रेष्ठ माना जाता है। विशेष रूप से माघ पूर्णिमा, गंगा दशहरा और नर्मदा जयंती पर पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।

3. क्या नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का पाठ करने से लाभ मिलता है?

हाँ, नियमित पाठ करने से मानसिक शांति, नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति, आर्थिक समस्याओं का समाधान, और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।

4. क्या नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) को किसी विशेष स्थान पर पढ़ना चाहिए?

इसे घर में शुद्ध वातावरण में, किसी मंदिर में या फिर नर्मदा तट पर पढ़ना सबसे उत्तम माना जाता है।

5. क्या नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) पढ़ने से नर्मदा परिक्रमा का लाभ मिलता है?

हाँ, नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का पाठ करने से नर्मदा परिक्रमा के समान पुण्य प्राप्त होता है। यह उन भक्तों के लिए विशेष लाभकारी है, जो परिक्रमा नहीं कर सकते

6. क्या नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) पढ़ने से पाप कटते हैं?

हाँ, यह माना जाता है कि नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का नियमित पाठ पापों का नाश करता है और मोक्ष प्राप्ति में सहायक होता है।

7. क्या नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) को किसी भी दिन पढ़ सकते हैं?

हाँ, इसे किसी भी दिन पढ़ सकते हैं, लेकिन सोमवार, शुक्रवार और पूर्णिमा तिथि को पढ़ना अत्यधिक शुभ माना जाता है।

8. क्या नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का पाठ करने के लिए व्रत रखना आवश्यक है?

नहीं, यह आवश्यक नहीं है, लेकिन यदि कोई संकल्पपूर्वक उपवास रखकर इसका पाठ करता है, तो उसे अधिक फल प्राप्त होता है।

9. नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) पढ़ने के लिए कोई विशेष विधि है?

हाँ, स्नान करके, स्वच्छ वस्त्र धारण कर, दीपक जलाकर, और शुद्ध मन से इसका पाठ करना चाहिए।

10. क्या नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का पाठ करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है?

हाँ, ऐसा माना जाता है कि इस चालीसा के पाठ से धन-धान्य की वृद्धि होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

11. क्या नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) किसी भी भाषा में पढ़ सकते हैं?

हाँ, इसे संस्कृत, हिंदी या अपनी मातृभाषा में पढ़ सकते हैं, क्योंकि भक्ति में भाषा की कोई बाधा नहीं होती।

12. क्या नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) केवल नर्मदा भक्तों के लिए है?

नहीं, इसे कोई भी व्यक्ति आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए पढ़ सकता है, चाहे वह नर्मदा भक्त हो या न हो।

13. क्या नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) से ग्रह दोष शांत होते हैं?

हाँ, इस चालीसा के नियमित पाठ से राहु, केतु और शनि दोष शांत होते हैं और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।

14. क्या नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का पाठ रोगों से मुक्ति दिला सकता है?

हाँ, नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) के श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करने से शारीरिक व मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।

15. क्या नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) पढ़ने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है?

हाँ, इस चालीसा के पाठ से घर का वातावरण सकारात्मक होता है और परिवार में आपसी प्रेम और शांति बनी रहती है।

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