अन्नपूर्णा चालीसा: (Annapurna Chalisa) माँ अन्नपूर्णा की आराधना से प्राप्त करें आशीर्वाद

Soma
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अन्नपूर्णा चालीसा: (Annapurna Chalisa) माँ अन्नपूर्णा की आराधना से प्राप्त करें आशीर्वाद

अन्नपूर्णा चालीसा: (Annapurna Chalisa) माँ अन्नपूर्णा की आराधना से प्राप्त करें आशीर्वाद

माँ अन्नपूर्णा, जिन्हें भोजन और समृद्धि की देवी माना जाता है, उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और संतोष आता है। उनका वास जहां होता है, वहां कभी कोई भी कष्ट नहीं रहता। अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) एक विशेष भक्ति गीत है, जिसका पाठ करने से माँ अन्नपूर्णा के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। इस चालीसा में 40 श्लोक होते हैं, जो देवी अन्नपूर्णा की महिमा और उनके अनगिनत गुणों का वर्णन करते हैं। इस लेख में हम अन्नपूर्णा चालीसा की महिमा, इसका महत्व और इससे मिलने वाले लाभों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

Contents

अन्नपूर्णा देवी का महत्व

अन्नपूर्णा देवी का नाम ‘अन्न’ (भोजन) और ‘पूर्णा’ (पूर्ण) से लिया गया है, अर्थात वह देवी जो सभी को भरपूर भोजन और समृद्धि प्रदान करती हैं। हिन्दू धर्म में अन्नपूर्णा देवी को न केवल आहार के रूप में बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में समृद्धि देने वाली देवी माना जाता है। यह देवी गरीबों को भी भोजन का आशीर्वाद देती हैं और समाज में शांति व संतुलन बनाए रखती हैं। उनके पूजन से घर में समृद्धि आती है और दरिद्रता समाप्त होती है।

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का महत्व

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ करने से मनुष्य को आहार, धन और सुख-संप्रदाय की प्राप्ति होती है। इस चालीसा में 40 श्लोक होते हैं, जो देवी अन्नपूर्णा की महिमा का बखान करते हैं। इन श्लोकों का नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है और वह गरीबी और दरिद्रता से मुक्त हो जाता है। इसके अलावा, यह चालीसा मानसिक शांति और संतुलन भी प्रदान करती है। चालीसा का पाठ परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है।

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa)

अन्नपूर्णा चालीसा
(Annapurna Chalisa)


॥ दोहा ॥

विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय ।
अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय ।

॥ चौपाई ॥
नित्य आनंद करिणी माता,
वर अरु अभय भाव प्रख्याता ॥

जय ! सौंदर्य सिंधु जग जननी,
अखिल पाप हर भव-भय-हरनी ॥

श्वेत बदन पर श्वेत बसन पुनि,
संतन तुव पद सेवत ऋषिमुनि ॥

काशी पुराधीश्वरी माता,
माहेश्वरी सकल जग त्राता ॥

वृषभारुढ़ नाम रुद्राणी,
विश्व विहारिणि जय ! कल्याणी ॥

पतिदेवता सुतीत शिरोमणि,
पदवी प्राप्त कीन्ह गिरी नंदिनि ॥

पति विछोह दुःख सहि नहिं पावा,
योग अग्नि तब बदन जरावा ॥

देह तजत शिव चरण सनेहू,
राखेहु जात हिमगिरि गेहू ॥

प्रकटी गिरिजा नाम धरायो,
अति आनंद भवन मँह छायो ॥

नारद ने तब तोहिं भरमायहु,
ब्याह करन हित पाठ पढ़ायहु ॥ 10 ॥

ब्रहमा वरुण कुबेर गनाये,
देवराज आदिक कहि गाये ॥

सब देवन को सुजस बखानी,
मति पलटन की मन मँह ठानी ॥

अचल रहीं तुम प्रण पर धन्या,
कीहनी सिद्ध हिमाचल कन्या ॥

निज कौ तब नारद घबराये,
तब प्रण पूरण मंत्र पढ़ाये ॥

करन हेतु तप तोहिं उपदेशेउ,
संत बचन तुम सत्य परेखेहु ॥

गगनगिरा सुनि टरी न टारे,
ब्रहां तब तुव पास पधारे ॥

कहेउ पुत्रि वर माँगु अनूपा,
देहुँ आज तुव मति अनुरुपा ॥

तुम तप कीन्ह अलौकिक भारी,
कष्ट उठायहु अति सुकुमारी ॥

अब संदेह छाँड़ि कछु मोसों,
है सौगंध नहीं छल तोसों ॥

करत वेद विद ब्रहमा जानहु,
वचन मोर यह सांचा मानहु ॥ 20 ॥

तजि संकोच कहहु निज इच्छा,
देहौं मैं मनमानी भिक्षा ॥

सुनि ब्रहमा की मधुरी बानी,
मुख सों कछु मुसुकाय भवानी ॥

बोली तुम का कहहु विधाता,
तुम तो जगके स्रष्टाधाता ॥

मम कामना गुप्त नहिं तोंसों,
कहवावा चाहहु का मोंसों ॥

दक्ष यज्ञ महँ मरती बारा,
शंभुनाथ पुनि होहिं हमारा ॥

सो अब मिलहिं मोहिं मनभाये,
कहि तथास्तु विधि धाम सिधाये ॥

तब गिरिजा शंकर तव भयऊ,
फल कामना संशयो गयऊ ॥

चन्द्रकोटि रवि कोटि प्रकाशा,
तब आनन महँ करत निवासा ॥

माला पुस्तक अंकुश सोहै,
कर मँह अपर पाश मन मोहै ॥

अन्न्पूर्णे ! सदापूर्णे,
अज अनवघ अनंत पूर्णे ॥ 30 ॥

कृपा सागरी क्षेमंकरि माँ,
भव विभूति आनंद भरी माँ ॥

कमल विलोचन विलसित भाले,
देवि कालिके चण्डि कराले ॥

तुम कैलास मांहि है गिरिजा,
विलसी आनंद साथ सिंधुजा ॥

स्वर्ग महालक्ष्मी कहलायी,
मर्त्य लोक लक्ष्मी पदपायी ॥

विलसी सब मँह सर्व सरुपा,
सेवत तोहिं अमर पुर भूपा ॥

जो पढ़िहहिं यह तव चालीसा,
फल पाइंहहि शुभ साखी ईसा ॥

प्रात समय जो जन मन लायो,
पढ़िहहिं भक्ति सुरुचि अघिकायो ॥

स्त्री कलत्र पति मित्र पुत्र युत,
परमैश्रवर्य लाभ लहि अद्भुत ॥

राज विमुख को राज दिवावै,
जस तेरो जन सुजस बढ़ावै ॥

पाठ महा मुद मंगल दाता,
भक्त मनोवांछित निधि पाता ॥ 40 ॥

॥ दोहा ॥

जो यह चालीसा सुभग,
पढ़ि नावैंगे माथ ।
तिनके कारज सिद्ध सब,
साखी काशी नाथ ॥

अन्नपूर्णा चालीसा: (Annapurna Chalisa) माँ अन्नपूर्णा की आराधना से प्राप्त करें आशीर्वाद
अन्नपूर्णा चालीसा: (Annapurna Chalisa) माँ अन्नपूर्णा की आराधना से प्राप्त करें आशीर्वाद!

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ कैसे करें

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ सरल है और इसे किसी भी व्यक्ति द्वारा घर में या मंदिर में किया जा सकता है। इसे सुबह या शाम के समय नियमित रूप से 1 या 11 बार पढ़ने की सलाह दी जाती है। चालीसा का पाठ करते समय एक सच्चे मन से माँ अन्नपूर्णा से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें। विशेष रूप से इस दौरान संयम, श्रद्धा और भक्ति का होना जरूरी है। यह पाठ मानसिक शांति और संतुष्टि प्रदान करता है, साथ ही साथ घर के वातावरण को सकारात्मक बनाता है।अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa)अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ सरल है और इसे किसी भी व्यक्ति द्वारा घर में या मंदिर में किया जा सकता है। इसे सुबह या शाम के समय नियमित रूप से 1 या 11 बार पढ़ने की सलाह दी जाती है। चालीसा का पाठ करते समय एक सच्चे मन से माँ अन्नपूर्णा से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें। विशेष रूप से इस दौरान संयम, श्रद्धा और भक्ति का होना जरूरी है। यह पाठ मानसिक शांति और संतुष्टि प्रदान करता है, साथ ही साथ घर के वातावरण को सकारात्मक बनाता है।

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) के लाभ

  1. समृद्धि की प्राप्ति: अन्नपूर्णा देवी के आशीर्वाद से घर में समृद्धि आती है और धन में वृद्धि होती है।
  2. भोजन का आशीर्वाद: यह चालीसा उन लोगों के लिए विशेष लाभकारी है जो आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं और जिनके पास भोजन की कमी है।
  3. मानसिक शांति: नियमित रूप से अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव दूर होता है।
  4. दरिद्रता का नाश: चालीसा के पाठ से दरिद्रता और गरीबी का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति: अन्नपूर्णा देवी की पूजा से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है और जीवन में सही दिशा प्राप्त होती है।

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) के श्लोक

अन्नपूर्णा चालीसा में 40 श्लोक होते हैं। हर श्लोक में देवी अन्नपूर्णा की विशेषताएँ और उनके द्वारा प्रदान किए जाने वाले आशीर्वाद का वर्णन किया गया है। इन श्लोकों में श्रद्धा और भक्ति के साथ अन्नपूर्णा देवी का गुणगान किया जाता है। यह श्लोक ना केवल हमारे जीवन को सकारात्मक बनाते हैं बल्कि हमें आत्म-संयम और विश्वास की दिशा में भी मार्गदर्शन करते हैं।

उदाहरण के तौर पर:

  1. “शरीर के रोग को नष्ट करने वाली, सभी दुखों से मुक्ति देने वाली, माँ अन्नपूर्णा को प्रणाम है।”
  2. “जो भी भक्त सच्चे मन से माँ अन्नपूर्णा का ध्यान करते हैं, उनके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।”

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

आजकल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह माना जाता है कि भक्ति और ध्यान का मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ करने से मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन बना रहता है, जो शरीर और मन दोनों के लिए लाभकारी होता है। इससे जीवन में संतुलन और शांति का अनुभव होता है, जो जीवन के तनावों से मुक्त करता है।

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का प्रभावी पाठ

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. नियमितता: यह चालीसा नियमित रूप से पढ़ें ताकि इसके आशीर्वाद का पूर्ण लाभ मिल सके।
  2. श्रद्धा और भक्ति: पाठ के दौरान पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से देवी अन्नपूर्णा का ध्यान करें।
  3. शुद्धता: पाठ करते समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। वातावरण को शुद्ध और स्वच्छ रखें।
  4. प्रसाद का वितरण: पाठ समाप्त होने के बाद घर के सभी सदस्य को प्रसाद बांटें और आशीर्वाद लें।

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) के पाठ के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ करने के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। सबसे पहले तो यह ध्यान रखना चाहिए कि चालीसा का पाठ शांति से किया जाए और मानसिक रूप से पूरा ध्यान माँ के चरणों में केंद्रित हो। पाठ करते समय किसी भी प्रकार का व्यवधान न हो, इस बात का ख्याल रखना चाहिए।

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) एक अत्यंत प्रभावशाली पूजा विधि है, जो माँ अन्नपूर्णा से आशीर्वाद प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावी तरीका है। इसे श्रद्धा और भक्ति से पढ़ने पर व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, शांति और संतोष आता है। यह चालीसा न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि मानसिक और शारीरिक दृष्टि से भी लाभकारी है। इसलिए, हर व्यक्ति को अन्नपूर्णा चालीसा का नियमित रूप से पाठ करना चाहिए ताकि वे जीवन के हर क्षेत्र में सुख और समृद्धि का अनुभव कर सकें।

FAQs: अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa)

1. अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) क्या है?

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) एक भक्ति गीत है जिसमें देवी अन्नपूर्णा की महिमा का वर्णन किया गया है। इसे पाठ करने से देवी के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

2. अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ किस समय करना चाहिए?

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ सुबह या शाम के समय किया जा सकता है, लेकिन इसे नियमित रूप से करना सबसे प्रभावी होता है।

3. अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) के कितने श्लोक होते हैं?

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) में कुल 40 श्लोक होते हैं, जो देवी अन्नपूर्णा की महिमा और गुणों का वर्णन करते हैं।

4. क्या अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ हर व्यक्ति को करना चाहिए?

जी हां, कोई भी व्यक्ति अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ कर सकता है, विशेष रूप से वे लोग जो समृद्धि, आशीर्वाद और मानसिक शांति चाहते हैं।

5. अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ करने से समृद्धि, आहार का आशीर्वाद, दरिद्रता का नाश, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

6. अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ करते समय क्या ध्यान रखें?

पाठ करते समय पूरी श्रद्धा और ध्यान से देवी अन्नपूर्णा का स्मरण करें। वातावरण को शुद्ध रखें और किसी प्रकार का व्यवधान न हो।

7. क्या अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ घर में किया जा सकता है?

जी हां, अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ घर में भी किया जा सकता है। इसे घर के किसी भी शांत स्थान पर किया जा सकता है।

8. अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ करने का सही तरीका क्या है?

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ शांत मन से और श्रद्धा से करना चाहिए। इसे रोज़ 1 या 11 बार पढ़ने की सलाह दी जाती है।

9. क्या अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ किसी विशेष दिन करना चाहिए?

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ किसी विशेष दिन किया जा सकता है, लेकिन नियमित रूप से यह लाभकारी है।

10. क्या अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ मानसिक शांति लाता है?

हां, अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ मानसिक शांति और तनाव कम करने में मदद करता है।

11. अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) के श्लोक कैसे याद करें?

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) के श्लोकों को बार-बार पढ़ने और अभ्यास करने से याद किया जा सकता है। आप लिखकर भी याद करने की कोशिश कर सकते हैं।

12. क्या अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) के पाठ से गरीबी दूर होती है?

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का नियमित पाठ दरिद्रता और गरीबी से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है।

13. क्या अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) का पाठ किसी विशेष अवसर पर करना चाहिए?

इसका पाठ किसी भी विशेष अवसर पर किया जा सकता है, जैसे कि नववर्ष, कोई खास तिथि या जब जीवन में कठिनाई महसूस हो।

14. अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) के श्लोकों का अर्थ क्या है?

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) के श्लोकों में देवी अन्नपूर्णा के गुणों, शक्तियों और आशीर्वादों का वर्णन किया गया है, जो जीवन में समृद्धि और शांति लाने के लिए होते हैं।

15. अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa) के पाठ से आहार का आशीर्वाद कैसे मिलता है?

अन्नपूर्णा देवी को भोजन की देवी माना जाता है। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति को हर प्रकार का आहार और समृद्धि मिलती है, जिससे जीवन में संतुलन और सुख रहता है।

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